भारत ने अपनी तक़दीर खुद लिखने की ताकत रखता है। यह बात 2024 के अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार विजेता जेम्स ए. रॉबिंसन ने कही है, जिनकी रिसर्च ने यह साफ कर दिया है कि एक देश की तरक्की और समृद्धि का आधार उसके संस्थान और शासन व्यवस्था होते हैं। आम आदमी की भाषा में, जैसे कोई अपने अनुभव से समझाए, इस ब्लॉग में जानिए जेम्स रॉबिंसन की सोच, उनके विचारों का भारत पर क्या असर हो सकता है, और भारत कैसे अपनी किस्मत में खुद काबू पा रहा है।
जेम्स ए. रॉबिंसन का संदेश : भारत अपनी तक़दीर खुद तय करता है –
नोबेल विजेता जेम्स रॉबिंसन कौन हैं ? : –
जेम्स ए. रॉबिंसन यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो के प्रोफेसर हैं और 2024 के नोबेल पुरस्कार विजेता तीन अर्थशास्त्रियों में से एक हैं। उनका काम यह समझने पर केंद्रित है कि क्यों कुछ देश अमीर होते हैं और कुछ गरीबी में ही रहते हैं। उन्होंने अपनी रिसर्च में दिखाया कि एक देश के राजनीतिक और आर्थिक संस्थान कैसे उसकी तरक्की या पिछड़ापन तय करते हैं। जेम्स और उनके साथियों ने बताया कि “इंस्टीट्यूशंस” यानी संस्थान और शासन प्रणाली देश की समृद्धि के लिए कितने जरूरी हैं।
भारत पर उनका विश्वास : –
हाल ही में दिए गए एक इंटरव्यू में जेम्स ने कहा, “भारत के पास अपनी तक़दीर पर नियंत्रण है। इसे कोई पहले नहीं समझ पाया था, लेकिन अब यह बात दुनिया के सामने आ रही है। भारत ने दिखा दिया है कि कैसे मजबूत संस्थान, लोकतंत्र, और अच्छे शासन के जरिए वह अपनी आर्थिक और सामाजिक स्थिति बदल सकता है।” उनका मानना है कि भारत के अद्भुत सामाजिक विविधता और लोकतांत्रिक संस्थान उसकी ताकत हैं।
“संस्थान” क्यों हैं महत्वपूर्ण ? : –
जेम्स की रिसर्च के अनुसार, जब देश में कानून का राज, सार्वजनिक सेवाएं, और बराबरी के मौके होते हैं, यानी संस्थान मजबूत होते हैं, तो वहां की जनता को अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार मिलता है। इसके उलट, अगर देश में भ्रष्टाचार, कमजोर प्रशासन और कुछ ही लोगों के बस में फैसला लेने की शक्ति होती है तो देश पिछड़ जाता है।

भारत कैसे आगे बढ़ रहा है ? : –
भारत ने पिछले 75 वर्षों में लोकतंत्र और संस्थानों को मजबूत बनाया है। चाहे वह चुनावों का सिस्टम हो, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, या डिजिटल इंडिया के जरिए सरकारी सेवाओं की पारदर्शिता हो — ये सब चीजें भारत को उसकी तकदीर पर नियंत्रण देती हैं। जेम्स ने यह भी कहा कि भारत के युवाओं की संख्या और तकनीकी प्रगति इसकी क्षमता को बहुत बढ़ा रही है।
आम आदमी के लिए इसका मतलब : –
आप सोच रहे होंगे कि ये “संस्थान” क्या हैं और मेरा इससे क्या लेना-देना ? सीधे शब्दों में कहें तो जब सरकार साफ-सुथरी होगी, काम करेंगे अधिकारी, अदालतें सही निर्णय देंगी और सबको बराबर मौका मिलेगा, तभी आपकी नौकरी, आपका बच्चा स्कूल या कॉलेज में ठीक से पढ़ेगा, और आपका अस्पताल में इलाज होगा। भारत के बड़े बदलाव इसी से जुड़े हैं।
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भारत की मजबूत जड़ें, उज्जवल भविष्य : –
जेम्स ने अपने शोध में बताया कि भारत जैसे बड़े लोकतंत्र की जड़ें गहरी हैं। अपनी संस्कृति, संविधान, और संस्थागत व्यवस्था के कारण भारत समय और चुनौतियों के बावजूद अपनी समृद्धि का रास्ता बना सकता है। वे आशावादी हैं कि भारत खुद अपने भाग्य को आकार देने में सक्षम है और यह तभी संभव है जब वह अपने संस्थानों को और भी मजबूत बनाए।
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सीख और भविष्य की राह : –
जेम्स ने कहा है कि भारत को उन संस्थानों को और ज्यादा सशक्त करना होगा जो लोकतंत्र, न्याय, और अच्छे प्रशासन के लिए जरूरी हैं। इससे गरीबी कम होगी, आर्थिक अवसर बढ़ेंगे और सभी को बराबर का फायदा मिलेगा। भारत ने पहले ही अपने दम पर बहुत कुछ कर दिखाया है, अब और भी बड़ी उड़ान भरने की बारी है।