भारत का रक्षा उत्पादन हुआ मजबूत, आयात घटा और निर्यात पहुंचा 23,622 करोड़ रुपये
कहानी की शुरुआत : –
भारत की रक्षा उत्पादन क्रांतिहाल के वर्षों में भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति देखी है। पहले जहां हम विदेशी हथियारों और प्रणालियों पर पूरी तरह निर्भर थे, अब स्थिति बदल रही है। देश में रक्षा उत्पादन ने नई ऊंचाइयों को छुआ है और इसका असर दुनियाभर में महसूस किया जा रहा है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का रक्षा उत्पादन रिकॉर्ड 1.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले साल से 18% अधिक है। साथ ही, निर्यात भी बढ़कर 23,622 करोड़ रुपये (लगभग 2.76 अरब डॉलर) के असाधारण स्तर पर पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष के 21,083 करोड़ रुपये से 12% से ज्यादा का इजाफा है। यानी अब भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति रंग ला रही है और आयात पर निर्भरता भी कम हो रही है।
रक्षा उत्पादन और निर्यात में वृद्धि के पीछे क्या है ? : –
यह तेजी का मुख्य कारण भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी पहलों का फोकस रहा है, जो घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत सुधार, निवेश में आसानी और नवाचार को प्रोत्साहित करती हैं। साथ ही, प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम ने भारतीय कंपनियों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद की है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और निजी रक्षा कंपनियों ने मिलकर पिछले साल अपने उत्पादन और निर्यात दोनों में महत्वपूर्ण वृद्धि की है। खासतौर पर निजी क्षेत्र का योगदान 65% की बड़ी हिस्सेदारी के साथ निर्यात में बढ़ता जा रहा है, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां भी मजबूती से साथ चल रही हैं।
निर्यात का वैश्विक प्रभाव और बाजार : –
भारत के रक्षा उत्पादों का निर्यात लगभग 80 से अधिक देशों को होता है जिसमें छोटे हथियारों से लेकर आधुनिक उप-प्रणाली और सिस्टम तक शामिल हैं। इसका मतलब है कि भारत आज सिर्फ आयातक देश नहीं, बल्कि एक मजबूत निर्यातक देश भी बन चुका है। इसका असर भारतीय रक्षा क्षेत्र की वैश्विक स्वीकार्यता, गुणवत्ता और भरोसे पर साफ़ दिखाई देता है। निवेशकों का ध्यान भी इस क्षेत्र की मजबूत प्रगति पर गया है, जिससे ‘निफ्टी इंडिया डिफेंस इंडेक्स’ में पिछले कुछ महीनों में 30% से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। यह इंडेक्स खासतौर पर रक्षा क्षेत्र की कंपनियों के शेयरों को दर्शाता है।
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आयात में कमी और आत्मनिर्भरता का सपना : –
आयात की बात करें तो भारत लगातार रक्षा उपकरणों, हथियारों, और प्रणालियों पर विदेशी निर्भरता कम कर रहा है। स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास, स्थानीय विनिर्माण प्रोत्साहन और नए रक्षा औद्योगिक कॉरिडोर जैसी योजनाओं के चलते आयात घटा है। सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचि जारी कर कई वस्तुओं के आयात पर रोक लगाई गई है ताकि घरेलू उद्योग को बढ़ावा मिले। इसका फायदा यह भी हुआ कि देश के रक्षा क्षेत्र में रोजगार बढ़े हैं और तकनीक पर नियंत्रण भारत के हाथ में आया है।
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आम आदमी के लिए इसका अर्थ : –
जब भारत जैसे बड़े देश में हथियार और सुरक्षा उपकरण देश में ही बनेंगे, तो इसका मतलब है कि सुरक्षा और राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता मजबूत होगी। यह आर्थिक दृष्टि से भी अच्छा है क्योंकि अधिक पूंजी देश के भीतर रहती है और रोजगार के अवसर भी मिलते हैं। साथ ही, वैश्विक स्तर पर भारत की छवि भी मजबूत होती है जो संपूर्ण देश की तरक्की का प्रतीक है। रक्षा उत्पादन और निर्यात में वृद्धि देश के लिए आत्मसम्मान का विषय भी है और आने वाले वर्षों में इसका लाभ सभी भारतीयों को पहुंचेगा ।