कोयला माफियाओं पर ED की बड़ी कार्रवाई: झारखंड-बंगाल में 40 से ज्यादा जगहों पर छापे
सुबह 6 बजे शुरू हुआ ऑपरेशन
भाई, आज सुबह-सुबह झारखंड और पश्चिम बंगाल में कोयला माफियाओं की नींद हराम हो गई। 21 नवंबर 2025 को ठीक सुबह 6 बजे जब सब सो रहे थे, तभी प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीमें अपनी कार्रवाई में जुट गईं। 40 से ज्यादा ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई, जिसमें लगभग 100 ED अधिकारी और कर्मचारी शामिल थे। केंद्रीय सुरक्षा बलों की टीमें भी पूरी सुरक्षा व्यवस्था के साथ मौजूद रहीं।
ये कोई छोटी-मोटी कार्रवाई नहीं थी दोस्तों। मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के तहत ये ऑपरेशन चलाया गया, जो बताता है कि माजरा कितना गंभीर है।
कौन-कौन आया निशाने पर ?
अब बात करते हैं कि आखिर किन लोगों के ठिकानों पर ED की टीमें पहुंचीं। झारखंड में तो नाम सुनकर ही समझ आ जाएगा कि कोयला कारोबार में किसकी चलती है:
झारखंड में 18 ठिकानों पर छापे
झारखंड में अनिल गोयल, संजय उद्योग, एल.बी. सिंह और अमर मंडल जैसे नामों से जुड़े स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया गया। ये वो नाम हैं जो कोयला चोरी और तस्करी के कई बड़े मामलों में शामिल बताए जाते हैं।
खास बात ये है कि धनबाद में कोयला व्यापारी एल.बी. सिंह के 16 ठिकानों पर छापेमारी हुई। सुना है कि जब ED की टीम पहुंची तो सिंह ने अपने पालतू कुत्तों को छोड़ दिया ताकि अधिकारी अंदर न आ सकें! मगर ED को कोई रोक नहीं सकता था उस दिन।
पश्चिम बंगाल में 24 ठिकानों पर कार्रवाई
पश्चिम बंगाल में दुर्गापुर, पुरुलिया, हावड़ा और कोलकाता जिलों में 24 स्थानों पर छापे मारे गए। यहां नरेंद्र खरका, युधिष्ठिर घोष, कृष्ण मुरारी कयाल, चिन्मयी मंडल, राजकिशोर यादव जैसे लोगों के ठिकाने शामिल थे।
बंगाल में कोलकाता के अलावा असनसोल के कोयला बेल्ट में भी छापे पड़े। सॉल्ट लेक, हावड़ा – यानी जहां-जहां कोयला व्यापारियों और खनन ठेकेदारों के दफ्तर और घर हैं, वहां-वहां ED की टीमें पहुंच गईं।

कितना बड़ा है ये घोटाला ?
अब जरा सोचो भाई, ED ऐसे ही थोड़ी न 40 जगहों पर एक साथ छापे मारती है। सूत्रों के अनुसार इस पूरे मामले में सरकार को सैकड़ों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। हां, आपने सही पढ़ा – सैकड़ों करोड़!
कोयला चोरी, अवैध खनन, गैरकानूनी परिवहन और स्टोरेज – सब कुछ चल रहा था खुल्लमखुल्ला। और जब इतना बड़ा घोटाला होता है तो पैसा कहां जाता है? वो पैसा जो असल में सरकारी खजाने में जाना चाहिए था, वो कुछ लोगों की जेब में चला जाता है। इसी पैसे की जांच के लिए Prevention of Money Laundering Act (PMLA) के तहत ये कार्रवाई की गई।
क्या-क्या मिला छापों में ?
ED की टीमों ने कुछ जगहों से नकदी और सोने के आभूषण भी जब्त किए। अब ये तो शुरुआत है दोस्तों। जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी, पता चलेगा कि कितनी बेनामी संपत्ति है, कितने फर्जी कंपनियों के जरिए पैसा घुमाया गया, और किस-किस का हाथ है इस पूरे खेल में।
छापे सिर्फ घरों तक सीमित नहीं थे। दफ्तरों के अलावा टोल कलेक्शन बूथ और चेक पोस्ट पर भी तलाशी ली गई। ये दिखाता है कि ED ने पूरी तैयारी के साथ ये ऑपरेशन प्लान किया था।

कैसे चलता है ये खेल ?
आम आदमी के लिए समझना जरूरी है कि ये कोयला माफिया कैसे काम करता है। सरल भाषा में समझो तो:
1. अवैध खनन : जहां खनन की इजाजत नहीं, वहां से भी कोयला निकाला जाता है
2. चोरी : लीगल माइंस से भी तय मात्रा से ज्यादा कोयला निकालकर बाहर बेच दिया जाता है
3. फर्जी कागजात : नकली परमिट और दस्तावेज बनाकर अवैध कोयले को लीगल दिखाया जाता है
4. अवैध परिवहन : बिना टैक्स दिए, बिना रॉयल्टी दिए कोयला दूसरे राज्यों में बेचा जाता है
5. मनी लॉन्ड्रिंग : इस सब से कमाए गए काले धन को सफेद करने के लिए फर्जी कंपनियां और बेनामी संपत्तियां
झारखंड और बंगाल क्यों ?
अब सवाल उठता है कि इन्हीं दो राज्यों में क्यों? जवाब आसान है। झारखंड देश के सबसे बड़े कोयला उत्पादक राज्यों में से एक है। धनबाद तो कोयले की खानों के लिए मशहूर है।
पश्चिम बंगाल भी कोयले का बड़ा केंद्र है। असनसोल, दुर्गापुर, पुरुलिया – इन सभी इलाकों में कोयले का कारोबार बड़े पैमाने पर होता है। और जहां इतना बड़ा कारोबार होगा, वहां अवैध गतिविधियों की संभावना भी ज्यादा रहती है।
राज्य पुलिस भी साथ : –
ED ने इस ऑपरेशन को झारखंड और पश्चिम बंगाल की राज्य पुलिस के साथ मिलकर अंजाम दिया। ये अच्छी बात है क्योंकि इससे पता चलता है कि केंद्र और राज्य की एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं।
ED के रांची और कोलकाता जोनल ऑफिस दोनों ने अलग-अलग मगर एक साथ ये कार्रवाई की। ऐसा समन्वित अभियान बताता है कि काफी पहले से प्लानिंग चल रही थी।
CBI की जांच भी चल रही है
दिलचस्प बात ये है कि ED के साथ-साथ CBI भी इस कोयला तस्करी मामले की जांच कर रही है। हाल ही में CBI ने कोर्ट को बताया था कि उनकी जांच जल्द पूरी होने वाली है। और उसके कुछ दिनों बाद ही ED ने ये बड़ी कार्रवाई कर दी।
साफ है कि सरकार कोयला माफिया के खिलाफ गंभीर है और हर एजेंसी को काम पर लगा दिया गया है।
आम आदमी को क्या फर्क पड़ता है ?

अब कई लोग सोचेंगे कि भई हमें क्या? हमारा तो कोयले से कोई लेना-देना नहीं। मगर दोस्तों, इससे फर्क तो पड़ता है!
जब सैकड़ों करोड़ का कोयला अवैध तरीके से बेचा जाता है तो:
– सरकारी खजाने को रॉयल्टी और टैक्स नहीं मिलता
– ये पैसा विकास के कामों में लग सकता था
– अवैध खनन से पर्यावरण को भारी नुकसान होता है
– स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिलता क्योंकि सब कुछ गैरकानूनी तरीके से होता है
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आगे क्या होगा ?
अभी तो ये शुरुआत है। ED ने जो दस्तावेज और सबूत जमा किए हैं, उनकी जांच होगी। फिर और लोगों से पूछताछ होगी। कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया जा सकता है।
मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ED की जांच काफी विस्तृत होती है। बैंक अकाउंट, संपत्ति, कंपनियों के रिकॉर्ड – सब कुछ खंगाला जाएगा।
आज की कार्रवाई एक संकेत है कि कोयला माफिया कितना भी ताकतवर क्यों न हो, कानून उनसे ऊपर है। 40 से ज्यादा जगहों पर एक साथ छापे मारना कोई मामूली बात नहीं है।
झारखंड और पश्चिम बंगाल में सालों से कोयला माफिया का बोलबाला था। उम्मीद है कि अब इन पर लगाम लगेगी। सैकड़ों करोड़ की चोरी रुकेगी तो वो पैसा असली विकास के कामों में आएगा।
देखना ये होगा कि इस जांच में और कौन-कौन से बड़े नाम सामने आते हैं। अभी तो सिर्फ शुरुआत हुई है दोस्तों, असली खेल तो अब शुरू होगा!