हेमंत सोरेन ने खोला युवाओं के सपनों का आसमान, दुमका में शुरू हुआ फ्लाइंग इंस्टीट्यूट

झारखंड फ्लाइंग इंस्टीट्यूट: दुमका में खुला युवाओं के सपनों का आसमान

 दुमका में बड़ी सौगात, अब घर के पास ही बनेंगे पायलट : – 

दोस्तों, आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसी खबर की जो झारखंड के युवाओं के लिए किसी सपने के सच होने जैसी है। 24 नवंबर 2024 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुमका के सिदो-कान्हू एयरपोर्ट परिसर में “झारखंड फ्लाइंग इंस्टीट्यूट” का उद्घाटन किया। अब सोचिए, जो बच्चे पायलट बनने का सपना देखते थे और दिल्ली या दूसरे शहरों में भागना पड़ता था, उन्हें अब अपने राज्य में ही ट्रेनिंग मिल सकेगी।

मैं जब यह खबर पढ़ रहा था तो मन में यही आया कि यह तो वाकई एक क्रांतिकारी कदम है। झारखंड जैसे राज्य में, जहां युवाओं के लिए रोजगार के मौके सीमित रहे हैं, वहां एविएशन सेक्टर में करियर का दरवाजा खुलना बहुत बड़ी बात है।

क्या है खास इस इंस्टीट्यूट में ? : – 

अब आप पूछेंगे कि आखिर इस इंस्टीट्यूट में ऐसा क्या है? तो बता दूं, यह संस्थान कमर्शियल पायलट लाइसेंस यानी CPL की ट्रेनिंग देगा। पहले चरण में यहां 30 पायलटों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। और सबसे अच्छी बात यह है कि इनमें से 15 छात्रों की ट्रेनिंग का पूरा खर्च राज्य सरकार उठाएगी। यानी गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चों के लिए भी पायलट बनने का रास्ता आसान हो गया।

इंस्टीट्यूट का निदेशक कैप्टन एसपी सिन्हा को बनाया गया है। डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन यानी DGCA के सभी नियमों के मुताबिक यहां मल्टी इंजन रेटिंग के साथ CPL कोर्स पूरा होगा। मतलब स्टूडेंट्स को पूरी तरह से प्रोफेशनल ट्रेनिंग मिलेगी जो कहीं भी काम आएगी।

राज्य सरकार की दूरदर्शी योजना : – 

झारखंड सरकार सिर्फ एक इंस्टीट्यूट तक सीमित नहीं रहना चाहती। उनकी योजना है कि गिरिडीह और धनबाद में एयरो पार्क बनाए जाएं जहां एविएशन से जुड़ी मनोरंजन गतिविधियां हों। देवघर से बासुकीनाथ के बीच हेलीकॉप्टर शटल सर्विस शुरू करने की भी तैयारी है। इसके अलावा छोटे विमानों को किराए पर देने की योजना भी है।

सोचिए, अगर ये सब चीजें हो जाती हैं तो झारखंड में एविएशन सेक्टर में कितने रोजगार के अवसर पैदा होंगे! सिर्फ पायलट ही नहीं, बल्कि ग्राउंड स्टाफ, मेंटेनेंस, एयरपोर्ट मैनेजमेंट – हर क्षेत्र में नौकरियां मिलेंगी।

पहले क्या थी स्थिति ? : –

अभी तक झारखंड में कोई सरकारी फ्लाइंग स्कूल नहीं था। जमशेदपुर में एक प्राइवेट स्कूल “अल्केमिस्ट एविएशन” जरूर था, लेकिन बाकी सभी संस्थान सिर्फ क्लासरूम में पढ़ाते थे और फ्लाइंग के घंटे पूरे करने के लिए छात्रों को बाहर भेजना पड़ता था। CPL की ट्रेनिंग में करीब 30 लाख रुपये का खर्च आता है, जो हर किसी के बस की बात नहीं।

अब जब दुमका में यह संस्थान खुल गया है तो यहां के युवाओं को अपने घर के करीब ही सारी सुविधाएं मिल जाएंगी। सिदो-कान्हू एयरपोर्ट में पहले से ही ग्लाइडर की ट्रेनिंग चलती थी, लेकिन अब यहां पूर्ण रूप से कमर्शियल पायलट बनने की ट्रेनिंग मिलेगी।

मुख्यमंत्री का विजन : – 

जब हेमंत सोरेन ने इस इंस्टीट्यूट का उद्घाटन किया तो उन्होंने कहा कि उनकी सरकार गांव से चलती है, मुख्यालय से नहीं। उनकी प्राथमिकता है कि सेवाएं लोगों के दरवाजे तक पहुंचें। “सेवा का अधिकार” पहल के तहत पंचायत स्तर पर कैंप लगाए जा रहे हैं जहां जाति प्रमाणपत्र, आय प्रमाणपत्र, निवास प्रमाणपत्र, राशन कार्ड, पेंशन जैसी सुविधाएं मिल रही हैं।

यह सोच दिखाती है कि सरकार सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित नहीं रहना चाहती बल्कि दूरदराज के इलाकों में भी विकास ले जाना चाहती है। दुमका जैसे जिले में फ्लाइंग इंस्टीट्यूट खोलना इसी सोच का परिणाम है।

हेमंत सोरेन ने खोला युवाओं के सपनों का आसमान, दुमका में शुरू हुआ फ्लाइंग इंस्टीट्यूट
हेमंत सोरेन ने खोला युवाओं के सपनों का आसमान, दुमका में शुरू हुआ फ्लाइंग इंस्टीट्यूट

किसानों के लिए भी बड़ी खबर : – 

वैसे इस दिन सिर्फ फ्लाइंग इंस्टीट्यूट का ही उद्घाटन नहीं हुआ। मुख्यमंत्री ने मसलिया-रानेश्वर मेगा लिफ्ट सिंचाई परियोजना की भी समीक्षा की जो सिद्धेश्वरी नदी पर बन रही है। यह परियोजना किसानों के लिए बड़ी राहत लाने वाली है क्योंकि इससे साल भर पानी की उपलब्धता बनी रहेगी और फसल उत्पादन बढ़ेगा। सरकार का लक्ष्य है कि झारखंड के हर खेत तक सिंचाई की सुविधा पहुंचे।

इस मौके पर 23 लाभार्थियों को विभिन्न संपत्तियां बांटी गईं, जिनमें दिव्यांगों के लिए मोटर चालित ट्राइसाइकिल, मोटरसाइकिल, मिनी मेडिकल यूनिट, बस, छात्रावास संबंधी सहायता और आर्थिक सहायता शामिल थी।

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युवाओं के लिए सुनहरा मौका : – 

अगर आप या आपके परिवार में कोई पायलट बनने का सपना देखता है तो यह सही समय है। केंद्र सरकार की उड़ान योजना के तहत देश में क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बढ़ रही है, जिसकी वजह से पायलटों की मांग भी बढ़ रही है। CPL के लिए 200 घंटे की फ्लाइंग जरूरी होती है और अब यह सुविधा झारखंड में ही मिल जाएगी।

जो स्टूडेंट्स अभी तक पैसों की कमी की वजह से अपने सपने को दफन कर देते थे, उनके लिए यह संस्थान एक नई उम्मीद की किरण है। आने वाले समय में जब और भी छात्र यहां से ट्रेनिंग लेकर निकलेंगे तो झारखंड का नाम एविएशन के क्षेत्र में भी रोशन होगा।

झारखंड फ्लाइंग इंस्टीट्यूट की स्थापना सिर्फ एक इमारत या संस्थान खोलने भर की बात नहीं है। यह राज्य के युवाओं को ऊंची उड़ान भरने का मौका देने, उनके सपनों को पंख लगाने की पहल है। जब एक गरीब या मध्यमवर्गीय परिवार का बच्चा पायलट की वर्दी पहनकर विमान उड़ाएगा, तो वह सिर्फ अपने परिवार का ही नहीं बल्कि पूरे राज्य का गौरव बढ़ाएगा।

उम्मीद है कि यह पहल सफल होगी और आने वाले समय में झारखंड से न जाने कितने पायलट निकलेंगे जो देश-विदेश में अपनी सेवाएं देंगे। यह कदम बताता है कि अगर सही नीयत और योजना हो तो कोई भी राज्य विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ सकता है।

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