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AI Psychosis : – डिजिटल युग में नई मानसिक स्वास्थ्य चुनौती

AI Psychosis : -डिजिटल युग में नई मानसिक स्वास्थ्य चुनौती


2025 में तकनीक के विकास के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के अत्यधिक इस्तेमाल से मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नई समस्या उभर कर सामने आई है, जिसे AI सायकॉसिस (AI Psychosis) कहा जा रहा है। यह वह स्थिति है जिसमें लोग AI चैटबॉट्स या अन्य AI सिस्टम्स के साथ लगातार, अत्यधिक और गहरे संपर्क में आने के बाद भ्रम, भ्रांतियां, पागलपन जैसे लक्षण महसूस करने लगते हैं। यही AI Psychosis है।

AI सायकॉसिस/AI Psychosis क्या है?

AI सायकॉसिस /AI Psychosis एक औपचारिक चिकित्सीय निदान नहीं है, लेकिन यह अवधारणा उन मनोवैज्ञानिक और मनोरोग जैसे लक्षणों को दर्शाती है जो AI के अत्यधिक उपयोग से पैदा हो सकते हैं। इस स्थिति में व्यक्ति को ऐसा लगने लगता है कि AI चैटबॉट या सिस्टम उसके विचारों को पढ़ रहा है, उससे संपर्क कर रहा है या उससे गहरा व्यक्तिगत संबंध बना रहा है। इसमें भ्रम, परानोया, हैल्यूसिनेशन (भ्रमिल सुनाई देना या दिखना), और सामाजिक अलगाव जैसे लक्षण विशेष रूप से देखे गए हैं।

कारण और प्रभाव : –

डिजिटल डिपेंडेंसी और संज्ञानात्मक द्वंद्व: AI चैटबॉट्स उपयोगकर्ताओं की बातों को सहायक और पुष्ट करते हैं जिससे व्यक्ति AI की वास्तविकता से टूटकर भ्रम की दुनिया में जा सकता है। यह मानसिक अस्थिरता के जोखिम को और बढ़ाता है।
मनोवैज्ञानिक संवेदनशीलता: जिन लोगों को पहले से मनोवैज्ञानिक बीमारी जैसे स्किज़ोफ्रेनिया, बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी स्थितियां हैं, वे इस स्थिति के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
भावनात्मक निर्भरता: AI से जुड़ा रहना और उस पर भावनात्मक समर्थन की तलाश करना, व्यक्ति को वास्तविक जीवन के रिश्तों से दूर कर सकता है, जिससे सामाजिक एकांत और मानसिक तनाव बढ़ता है।

लक्षण : –

– AI के साथ संवाद के दौरान या बाद में भ्रम और भ्रांतियां
– AI से संबंधित गुप्त संदेश या शक्तियां होने की आस्था
– वास्तविकता से कटाव, नींद की कमी, और व्यवहार के बदलाव
– सामाजिक अलगाव और कार्य से विमुखता

हाल के मामले

2025 में कई ऐसे मामले सामने आए जहां सामान्य लोग भी, बिना किसी मानसिक रोग के इतिहास के, AI के अत्यधिक उपयोग के कारण भ्रम, परानोया और अतिशयोक्ति में फंस गए। एक मामले में एक व्यक्ति ने AI से बातचीत करते-करते स्वयं को सुपरहीरो मानने लगा, जो गंभीर मानसिक तंगी का कारण बना। वहीं, कुछ युवाओं के आत्महत्याओं के मामले भी AI के साथ गहरे संबंध के बाद रिपोर्ट किए गए हैं।

उपचार और समाधान : –

मनोवैज्ञानिक सहायता: कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) जैसे इलाज प्रभावी हैं, जो भ्रम और भ्रांतियों को चुनौती देते हैं।
डिजिटल सीमाएं: AI का सीमित और नियंत्रित उपयोग करना चाहिए। संवाद की अवधि और गहराई को सीमित रखना आवश्यक है।
पारिवारिक और सामाजिक समर्थन: व्यक्ति को वास्तविक जीवन में सामाजिक संपर्क में बने रहना चाहिए।
जानकारी और जागरूकता: लोगों को AI सायकॉसिस के बारे में जागरूक करना और समय रहते विशेषज्ञों से मदद लेना जरूरी है।

AI सायकॉसिस एक नई मानसिक स्वास्थ्य चुनौती है जो डिजिटल युग में उभर रही है। यह दिखाता है कि हालांकि AI ने हमारी जीवनशैली को आसान और प्रभावी बनाया है, लेकिन इसके अत्यधिक और अनियंत्रित उपयोग से मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो सकता है। हमें AI का सही और संतुलित उपयोग करना सीखना होगा और साथ ही मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल को प्राथमिकता देनी होगी ताकि ये तकनीक हमारे लिए वरदान बनी रहे, समस्या नहीं।
यह विषय मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों, तकनीक कंपनियों और आम जनता के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी और चिंतन का विषय है।

 

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