अमूल ने 2025 में जीएसटी दरों में कटौती के बाद अपने लगभग 700 उत्पादों के दाम कम कर उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दी है। यह फैसला न सिर्फ जीएसटी दरों में आई कमी का सीधा लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए किया गया है, बल्कि इससे अमूल के उत्पादों की खपत बढ़ाने की भी उम्मीद जताई गई है। नई कीमतें 22 सितंबर 2025 से लागू हो गई हैं, जिससे दूध, दही, मक्खन, घी, पनीर, आइसक्रीम, चॉकलेट, बेकरी और फ्रोजन स्नैक्स जैसे कई लोकप्रिय उत्पादों की कीमतें सस्ती हो गई हैं।
अमूल के 700 उत्पादों में कटौती की मुख्य बातें
अमूल ने दूध, मक्खन, घी, पनीर, चॉकलेट, आइसक्रीम, बेकरी उत्पाद, फ्रोजन स्नैक्स, कंडेंस्ड मिल्क, मूंगफली स्प्रेड और माल्ट-आधारित पेय सहित लगभग 700 उत्पादों की कीमतों में कमी की है। इसका उद्देश्य जीएसटी 2.0 के तहत दरों में हुई कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों तक पहुंचाना है।
प्रमुख उत्पादों की नई कीमतें और राहत
- अमूल घी: 1 लीटर कार्टन घी की कीमत 650 रुपये से घटाकर 610 रुपये कर दी गई है, यानी प्रति लीटर 40 रुपये की बचत। 5 लीटर टिन घी की कीमत 3275 रुपये से घटकर 3075 रुपये हुई।
- अमूल मक्खन (बटर): 100 ग्राम मक्खन की कीमत 62 रुपये से घटकर 58 रुपये हो गई। 500 ग्राम मक्खन 305 रुपये से घटकर 285 रुपये में उपलब्ध होगा।
- पनीर: अमूल प्रसंस्कृत पनीर ब्लॉक का 1 किलोग्राम का मूल्य 575 रुपये से कम होकर 545 रुपये हुआ है। फ्रोजन पनीर (200 ग्राम) अब 99 रुपये की जगह 95 रुपये में मिलेगा।
- दूध: अमूल ताजा टोंड मिल्क (1 लीटर यूएचटी) की कीमत 77 रुपये से घटकर 75 रुपये हो गई है, वहीं अमूल गोल्ड की कीमत 83 रुपये से 80 रुपये हुई है।
- आइसक्रीम, चॉकलेट, बेकरी, फ्रोजन स्नैक्स जैसे उत्पादों में भी कीमतों में 1 रुपये से लेकर 40 रुपये तक की कटौती हुई है।
इस फैसले का उपभोक्ताओं और बाजार पर प्रभाव
अमूल के इस कदम से उपभोक्ताओं को सीधा फायदा होगा। महंगाई के इस दौर में दूध, घी, मक्खन, पनीर और आइसक्रीम जैसी रोजमर्रा की जरूरी वस्तुओं की कीमतों में कटौती से घरों का बजट बचत की ओर अग्रसर होगा। साथ ही, अमूल का मानना है कि कीमतों में कमी से उत्पादों की खपत बढ़ेगी जिससे कारोबार में भी इजाफा होगा।
खासकर त्योहारों के मौसम में जब लोगो की खरीदारी बढ़ती है, तब यह राहत और भी अधिक महत्वपूर्ण होगी। छोटे तथा मध्यम वर्ग के उपभोक्ता अब अमूल के शताधिकारित व गुणवत्तापूर्ण उत्पादों को आसानी से खरीद पाएंगे। इसने बाजार में प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा दिया है, जिससे अन्य डेयरी कंपनियों को भी अपने दाम कम करने पड़ सकते हैं।
ग्लांस (Glance) ने 2025 में भारत की सबसे तेज़ी से यूनिकॉर्न बनने वाली टेक कंपनी
जीएसटी दरों में कटौती के पीछे कारण
जीएसटी परिषद ने सितंबर 2025 में कई उपभोक्ता वस्तुओं पर कर दरों को कम किया है, जिसके परिणामस्वरूप दूध, मक्खन, घी और अन्य डेयरी उत्पादों जैसे दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर जीएसटी दर घटकर कई मामलों में 18% से 5% तक आ गई। यह बदलाव उपभोक्ताओं पर टैक्स बोझ को कम करने की दिशा में बड़ा कदम है।
अमूल ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए 700 से अधिक उत्पादों की कीमतों में कटौती की घोषणा की ताकि ग्राहकों को जीएसटी में हुई कमी का पूरा फायदा मिल सके। उन्होंने नए मूल्य 22 सितंबर से लागू किए और पहले ही अपने वितरकों, खुदरा विक्रेताओं तथा अमूल पार्लर संचालकों को इस बदलाव की जानकारी भी दे दी है।
अमूल के इस कदम से जुड़े कुछ मुद्दे और चुनौती
- अमूल की कीमतों में छूट से उपभोक्ताओं को फायदा होगा लेकिन विपणन एवं लॉजिस्टिक्स खर्च पहले जैसे ही रहेंगे, इसलिए कंपनी को लागत नियंत्रण के लिए अतिरिक्त मेहनत करनी होगी।
- पाउच वाले दूध की कीमतों में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ क्योंकि उनपर पहले से ही जीएसटी शून्य है, इसलिए उस क्षेत्र में कोई ज्यादा राहत नहीं मिली।
- दूध और डेयरी उत्पादों की कीमतों में उतार-चढ़ाव लगातार होता रहता है, इसलिए लंबे समय तक इस राहत को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- राज्य सरकारों द्वारा लगाए जाने वाले स्थानीय कर-शुल्क और परिवहन लागत में वृद्धि भी कीमतों पर असर डाल सकती है।
अमूल ने अपनी 700 से अधिक उत्पादों की कीमतों में की गई भारी कटौती के माध्यम से उपभोक्ताओं को महंगाई से राहत दी है। यह कदम खासतौर से उन परिवारों के लिए फायदेमंद है जो दैनिक दूध और डेयरी उत्पादों पर नियमित खर्च करते हैं। जीएसटी दरों में कमी का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाना अमूल का प्रशंसनीय कदम है, जो घरेलू बाजार में प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा देगा और उपभोक्ता वर्ग की क्रय शक्ति को मजबूत करेगा।
इसके साथ ही, यह उम्मीद की जा रही है कि कीमतों में कमी से अमूल के प्रोडक्ट्स की मांग बढ़ेगी और बाजार में डेयरी उद्योग को नई ऊर्जा मिलेगी। भविष्य में भी ऐसे प्रयासों से भारत में डेयरी सेक्टर का विकास और उपभोक्ता की भलाई दोनों सुनिश्चित होंगी।
अधिक पढ़े :- टॉप 10 राज्य भारत के कुल करोड़पति परिवारों का 79% हिस्सा रखते हैं।
