कांके रिजॉर्ट के संचालक गुंजन सिंह के घर और उससे जुड़े कई ठिकानों पर ईडी की टीम ने एक साथ छापेमारी की। ये छापे जमीन घोटाले से जुड़े मामले में हुए हैं, जिसमें सरकारी दस्तावेजों में हेराफेरी करके जमीन की खरीद-बिक्री में गड़बड़ी की गई थी। बताया जा रहा है कि इस पूरे मामले में बीके सिंह नाम के व्यक्ति को इस गिरोह का सरगना माना गया है, और गुंजन सिंह उनके करीबी सहयोगी हैं।
ईडी की टीम सुबह अरगोड़ा चौक से कटहल मोड़ की तरफ स्थित ग्लोबल प्लैटिनम अपार्टमेंट पहुंची, जहां गुंजन सिंह रहते हैं। वहां से भारी मात्रा में नकद रुपये बरामद हुए, इतना कि नोट गिनने की मशीन मंगवानी पड़ी। सोचिए, आम आदमी तो महीने के खर्च के लिए 500-1000 रुपये गिनता है, और यहां मशीन से नोट गिने जा रहे हैं!
छापेमारी सिर्फ रांची तक सीमित नहीं रही। दिल्ली में भी तीन ठिकानों पर ईडी ने रेड की। कुल मिलाकर नौ जगहों पर एक साथ कार्रवाई हुई। इसमें दुर्गा डेवलपर्स नाम की कंपनी भी शामिल है, जिसका गठन 1997 में हुआ था और जिसके शेयर कैपिटल की शुरुआत 50 लाख रुपये से हुई थी। इस कंपनी के निदेशक अनिल कुमार झा और उनके परिवार के सदस्य हैं।
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अब सवाल ये उठता है कि आखिर ये जमीन घोटाला है क्या? दरअसल, कांके अंचल के कुछ सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर जमीन के दस्तावेजों में हेराफेरी की गई थी। जमीन की असली कीमत और मालिकाना हक को बदलकर उसे ऊंचे दामों में बेचा गया। इसमें कई रसूखदार लोग शामिल हैं, जिनके खिलाफ पहले से ही ईडी ने आरोप पत्र दाखिल कर रखा है।
आम आदमी की नजर से देखें तो ये मामला बहुत बड़ा है। हम जैसे लोग तो जमीन खरीदते वक्त सौ बार सोचते हैं, और यहां करोड़ों की हेराफेरी हो रही है। ये छापेमारी बताती है कि कानून का डंडा चाहे देर से चले, लेकिन चलता जरूर है। और ये भी कि बड़े-बड़े नाम और आलीशान रिजॉर्ट के पीछे क्या-क्या खेल चल रहे हैं, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं।
रांची जैसे शहर में जहां लोग मेहनत से अपना घर बनाते हैं, वहां ऐसे घोटाले आम जनता के भरोसे को तोड़ते हैं। लेकिन ईडी की कार्रवाई से उम्मीद जगी है कि शायद अब ऐसे मामलों में सख्ती बरती जाएगी और दोषियों को सजा मिलेगी।
अंत में यही कहना चाहूंगा कि ये मामला सिर्फ एक रिजॉर्ट या एक व्यक्ति का नहीं है, ये उस सिस्टम का हिस्सा है जिसमें पैसे और पावर के दम पर कानून को मोड़ा जाता है। लेकिन जब जांच एजेंसियां सक्रिय होती हैं, तो सच्चाई सामने आती है — और यही आम आदमी की जीत होती है।
