“अब तो हैकर्स भी उड़ने लगे हैं”: एयरपोर्ट्स पर रैनसमवेयर का खतरा बढ़ता जा रहा है

 

कुछ दिन पहले मेरे दोस्त रवि को दिल्ली से लंदन जाना था। उसने मुझे कॉल किया, बोला—“भाई, एयरपोर्ट पर चेक-इन सिस्टम बंद है, सब मैनुअल चल रहा है। बोर्डिंग पास हाथ से लिख रहे हैं!” मुझे लगा शायद कोई तकनीकी गड़बड़ी होगी, लेकिन जब न्यूज़ देखी तो पता चला कि यूरोप के कई बड़े एयरपोर्ट्स पर रैनसमवेयर अटैक हुआ है। अब ये कोई फिल्मी कहानी नहीं थी, बल्कि हकीकत थी।

रैनसमवेयर क्या होता है ?

रैनसमवेयर एक तरह का खतरनाक सॉफ्टवेयर होता है जिसे साइबर अपराधी कंप्यूटर सिस्टम में डाल देते हैं। ये सिस्टम को लॉक कर देता है और फिर हैकर्स कहते हैं—“अगर डेटा वापस चाहिए तो फिरौती दो।” ये फिरौती अक्सर बिटकॉइन या किसी और डिजिटल करेंसी में मांगी जाती है ताकि ट्रैक न किया जा सके।

पहले ये अटैक कंपनियों या सरकारी दफ्तरों तक सीमित थे, लेकिन अब एयरपोर्ट्स जैसे अहम इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भी होने लगे हैं।

हाल ही में क्या हुआ ?

सितंबर 2025 में यूरोप के कई बड़े एयरपोर्ट्स जैसे लंदन हीथ्रो, बर्लिन ब्रांडेनबर्ग और ब्रुसेल्स एयरपोर्ट पर एक बड़ा रैनसमवेयर अटैक हुआ। इस अटैक ने Collins Aerospace नाम की कंपनी के MUSE सिस्टम को टारगेट किया, जो चेक-इन, बोर्डिंग और बैगेज हैंडलिंग जैसे काम संभालता है।

– लंदन और बर्लिन में कई फ्लाइट्स रद्द करनी पड़ीं।
– ब्रुसेल्स एयरपोर्ट ने iPad और लैपटॉप से चेक-इन करना शुरू किया।
– कुछ यात्रियों को हाथ से लिखे बोर्डिंग पास दिए गए।

यूरोपीय यूनियन की साइबर एजेंसी ENISA ने पुष्टि की कि ये सब एक थर्ड-पार्टी रैनसमवेयर अटैक की वजह से हुआ।

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क्यों हो रहे हैं ऐसे अटैक ?

साइबर एक्सपर्ट्स का कहना है कि एयरपोर्ट्स अब हाई-प्रोफाइल टारगेट बन गए हैं। वजह है :

– लाखों यात्रियों का डेटा एक जगह होता है।
– सिस्टम में थोड़ी सी गड़बड़ी से पूरी उड़ान व्यवस्था ठप हो सकती है।
– कंपनियाँ जल्दी-जल्दी ransom दे देती हैं ताकि नुकसान कम हो।

2025 में ही एयरलाइन और एयरपोर्ट सेक्टर पर 600% ज़्यादा रैनसमवेयर अटैक हुए हैं। मतलब खतरा अब सिर्फ कंप्यूटर तक नहीं, बल्कि हमारी उड़ानों तक पहुंच गया है।

“अब तो हैकर्स भी उड़ने लगे हैं”: एयरपोर्ट्स पर रैनसमवेयर का खतरा बढ़ता जा रहा है
“अब तो हैकर्स भी उड़ने लगे हैं”: एयरपोर्ट्स पर रैनसमवेयर का खतरा बढ़ता जा रहा है(image source- business post)

आम आदमी की नजर से : –

अब सोचिए, आप एयरपोर्ट पहुंचे, फ्लाइट टाइम पर है, लेकिन चेक-इन नहीं हो पा रहा। बोर्डिंग पास नहीं मिल रहा। बैग नहीं जा रहा। और वजह? कोई हैकर ने सिस्टम लॉक कर दिया है।

ये सिर्फ तकनीकी समस्या नहीं है, ये हमारी सुरक्षा, समय और भरोसे से जुड़ा मामला है। अगर एयरपोर्ट्स जैसे संवेदनशील जगहों पर सिस्टम हैक हो जाए, तो यात्रियों की जान तक खतरे में पड़ सकती है।

क्या किया जा रहा है ?

यूरोपीय यूनियन ने इस अटैक की जांच शुरू कर दी है। Collins Aerospace अपनी सेवाएं बहाल करने की कोशिश कर रही है। लेकिन एक्सपर्ट्स कहते हैं कि जब तक कंपनियाँ अपने सॉफ्टवेयर को सुरक्षित नहीं बनातीं, तब तक ऐसे अटैक होते रहेंगे।

भारत में भी एयरपोर्ट्स को सतर्क रहने की ज़रूरत है। डिजिटल इंडिया के दौर में जब हर चीज़ ऑनलाइन हो रही है, तो साइबर सुरक्षा को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।

रैनसमवेयर अब सिर्फ कंप्यूटर की समस्या नहीं है, ये हमारी उड़ानों, यात्राओं और जिंदगी का हिस्सा बनता जा रहा है। हमें न सिर्फ तकनीकी समाधान चाहिए, बल्कि जागरूकता भी चाहिए। क्योंकि अगली बार जब आप एयरपोर्ट जाएं, तो ये न हो कि फ्लाइट छूट जाए और वजह हो—“हैकर्स ने सिस्टम लॉक कर दिया है।”

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