भारत का दुर्लभ काला बाघ

भारत का दुर्लभ काला बाघ और प्रसेनजीत यादव: नेशनल ज्योग्राफिक के कवर पर छपी अद्भुत तस्वीर

भारत में वन्यजीवन की विविधता और सुंदरता हर किसी का ध्यान खींचती है, लेकिन कुछ प्राणी ऐसे होते हैं जो अपनी दुर्लभता और रहस्यमय प्रकृति के कारण विशेष पहचान बनाते हैं। इनमें से एक है भारत का दुर्लभ “काला बाघ” जिसे वैज्ञानिक दृष्टि से “मेलेनिस्टिक टाइगर” कहा जाता है। भारतीय वन्यजीव फोटोग्राफर प्रसेनजीत यादव द्वारा ओडिशा के सिमिलिपाल टाइगर रिज़र्व में कैद की गई इस अनोखी प्रजाति की तस्वीर नेशनल ज्योग्राफिक पत्रिका के अक्टूबर 2025 संस्करण के कवर पेज पर प्रकाशित हुई है, जो भारत और खासकर सिमिलिपाल के लिए गर्व का विषय है।

काला बाघ क्या है?

काला बाघ वास्तव में शुद्ध काला नहीं होता, बल्कि इसकी त्वचा पर काली धारियाँ इतनी पास-पास होती हैं कि वे काले रंग में मिल जाती हैं। इसका वैज्ञानिक नाम मेलेनिस्टिक टाइगर है। यह एक आनुवंशिक उत्परिवर्तन का परिणाम होता है, जहां बाघ की धारियाँ सामान्य से अधिक गाढ़ी और घनी हो जाती हैं। यह दुर्लभ प्रकार केवल सिमिलिपाल टाइगर रिज़र्व जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में पाया जाता है, जो पूर्वी भारत में स्थित है।
सिमिलिपाल में कुल 40 रॉयल बंगाल टाइगरों में से लगभग 18 बाघ इस तरह के मेलेनिस्टिक फॉर्म में पाए गए हैं, जो इस अभयारण्य को विश्व का अनोखा ठिकाना बनाते हैं।

प्रसेनजीत यादव की उपलब्धि

प्रसेनजीत यादव ने 120 दिनों तक सिमिलिपाल के घने जंगलों में रहकर इस दुर्लभ बाघ का अध्ययन और ट्रैकिंग की। इस अवधि के दौरान कई बार विफलताओं का सामना करना पड़ा, लेकिन धैर्य और मेहनत से अंततः उन्होंने इस रहस्यमय जीव की अद्भुत तस्वीरें कैद कीं। उनकी इस मेहनत और प्रतिबद्धता को नेशनल ज्योग्राफिक ने पहचानते हुए अक्टूबर 2025 के अंक के कवर पेज पर प्रकाशित किया, जो अकेले भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए गर्व की बात है।
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने भी इस उपलब्धि की सराहना की और कहा कि सिमिलिपाल का यह प्राकृतिक मुकुट है। पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी प्रसेनजीत यादव के प्रयासों को बधाई दी है।

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काला बाघ और संरक्षण

मेलेनिस्टिक टाइगर की यह खास प्रजाति वन्य जीवन संरक्षण के लिए प्रेरणा स्रोत है। हालांकि उनका रंग भेद अक्सर शिकारियों और पर्यावरणीय खतरों से उन्हें और अधिक संवेदनशील बनाता है। सिमिलिपाल जैसे संरक्षित क्षेत्रों में इस प्रकार के बाघों का संरक्षण, उनके प्राकृतिक आवास को सुरक्षित रखना और जागरूकता फैलाना आवश्यक है।
प्रसेनजीत जैसी फ़ोटोग्राफ़रों की मेहनत और दस्तावेज़ीकरण से न केवल वन्यजीवन की सुंदरता सामने आती है बल्कि इसके संरक्षण की आवश्यकता भी स्पष्ट होती है।

नेशनल ज्योग्राफिक कवर का महत्व

नेशनल ज्योग्राफिक एक प्रतिष्ठित वैश्विक प्रकृति और विज्ञान प्रकाशन है। किसी विशेष जीव की तस्वीर का वहाँ कवर पेज पर छपना उसके वैश्विक महत्व और दुर्लभता का साक्ष्य है। यह फोटो केवल प्रसेनजीत यादव की प्रतिभा और मेहनत का परिचायक ही नहीं, बल्कि ओडिशा और भारत के वन्य जीवन संरक्षण के लिए संदेश भी है।

भारत के सिमिलिपाल टाइगर रिज़र्व का काला बाघ प्रकृति के रहस्यों में एक अनमोल मोती है। प्रसेनजीत यादव ने अपनी तस्वीरों के माध्यम से इस दुर्लभ जीव को पूरे विश्व के सामने प्रस्तुत किया है और नेशनल ज्योग्राफिक कवर के रूप में इस उपलब्धि को गौरवपूर्ण स्वरूप दिया है।
यह घटना हमें जंगलों और वन्य जीवों के संरक्षण की दिशा में सावधानी और सक्रियता की चेतावनी भी देती है। प्रेरणा मिलती है उन फोटोग्राफरों से जो घने जंगलों में महीनों अकेले रहकर इन अनमोल जीवों की कहानी दुनिया को बताते हैं।
आइए हम भी प्रकृति की इस सुंदरता और वन्य जीवों की रक्षा के लिए जागरूकता फैलाएं और इस महान धरोहर को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखें।

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