दोस्तों, कभी सोचा था कि भारत के जंगल फिर से चीतों की दौड़ से गूंज उठेंगे ? सत्तर साल से ऊपर हो गए थे जब आखिरी चीता भारत की धरती से गायब हो गया था। बस, किताबों या फिल्मों में ही दिखता था चीता… लेकिन वो दिन आ गया जब कूनो नेशनल पार्क, मध्य प्रदेश में, देश की पहली चीता जंगल सफारी शुरू हुई। अब हम-आप भी यहां जाकर खुले जंगल में चीता की मस्त चाल देख सकते हैं!
कहानी चीता की वापसी की : –
ये बात 2022 की है, जब प्रधानमंत्री मोदी जी के जन्मदिवस पर नामीबिया से आठ चीते लाए गए और कूनो के जंगलों में छोड़ दिए गए। फिर अगली फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से भी कुछ चीते आए। धीरे-धीरे ये पंजे बिछाते हुए यहां के माहौल में ऐसे घुलमिल गए जैसे हमेशा से यहीं थे। साथ ही, कुछ शावकों का जन्म भी यहीं हुआ – मतलब स्वदेशी चीते भी अब हमारे जंगलों में हैं।
आम पर्यटक की आंखों से : –
तो हुआ ये कि अक्टूबर 2025 से कूनो नेशनल पार्क ने अपने दरवाज़े पर्यटकों के लिए खोल दिए। पहले जहां सफारी में बाघ या तेंदुआ ही दिखता था, अब खूब चीतों का रोमांच मिल रहा है। सफारी के लिए ऑनलाइन-ऑफलाइन दोनों तरीके से बुकिंग हो सकती है। छह लोगों की जिप्सी सफारी के लिए करीब 4500 रुपये तक लगते हैं, और खुद के वाहन से जाएं तो ठीक 1200 रुपये में भी एंट्री ले सकते हैं।
जब पहली बार सफारी गेट खुले, तो खबर थी कि तीनों गेट – टिकटोली, अहेरा और पीपलबावड़ी – पर्यटकों के लिए खोल दिए गए। यहां खुली हवा में 16 चीते घूम रहे हैं, बाकि कुछ शावक और चीते बाड़े में हैं।

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जंगल के हालात और कुछ चुनौतियाँ : –
चीता सफारी में रोमांच के साथ थोड़ा सस्पेंस भी है – क्योंकि चीते खुले जंगल में हैं, हर सफारी में दिख जाए ऐसा ज़रूरी नहीं। कई बार पर्यटक सफारी कर लौट आए लेकिन चीते का दीदार नहीं हुआ। मगर इंतज़ार का पुरसुकून मज़ा ही अलग है! चीते अपनी टेरिटरी बना रहे हैं, खुले जंगल में धूप सेंकते दिख जाते हैं।
साथ ही, जंगल में शिकार और उनकी सुरक्षा को लेकर भी कई नियम बनाए गए हैं। चीते मानव पर हमला नहीं करते, ये वन अधिकारी कह चुके हैं। लेकिन कभी-कभी गांव वाले डरकर हल्ला मचाते हैं, जैसे हाल में ज्वाला नाम की मादा चीता अपने बच्चों के साथ गांव की तरफ चली गई – वहां के निवासियों ने डरकर उसे भगा दिया। चीता प्रोजेक्ट के तहत उनकी सुरक्षा, मोनिटरिंग समय-समय पर होती है।
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सफारी में क्या-क्या खास ?
सिर्फ चीता दिखाने के लिए नहीं, सफारी में इंटरप्रिटेशन सेंटर भी है जहाँ चीते, जंगल और बाकी जीवों के बारे में जानकारी मिलती है। यहाँ टेंट सिटी, हॉट एयर बैलून, पैरामोटरिंग जैसी फन एक्टिविटीज़ भी शुरू हो गई हैं ताकि पर्यटक का अनुभव यादगार रहे।
चीता सफारी का अनुभव : –
देखो, कोई भी सफारी जाए तो अपने छोटे-छोटे बच्चे, परिवार के साथ ही जाए। कैमरा, बिनोक्यूलर साथ रखना चाहिए। सफारी का समय सीमित रहता है, सुबह-सुबह या शाम को जाना बेहतर है क्योंकि तब अधिकतर वन्यजीव एक्टिव रहते हैं। गाइड की सुनना चाहिए – जंगल में धैर्य रखें, चीता दिखे तो खुश हो लें, न दिखे तो भी सफर यादगार रहेगा क्योंकि यहां का जंगल, पेड़, हवा, ट्रैक ही अलग हैं। चीतों के अलावा बाघ, तेंदुए, नीलगाय, चीतल, सैकड़ों पक्षी भी देखने को मिलते हैं।
कूनो नेशनल पार्क – अब एक नई पहचान : –
आज कूनो सिर्फ एक नेशनल पार्क नहीं रहा – यह भारत में चीतों के ‘घर’ के रूप में उभर आया है। चीता सफारी ने मध्य प्रदेश के जंगल पर्यटन को भी नई जान दी है। अगर रोमांच और जंगल प्रेम है, तो जरूर जाइए कूनो में चीता दिखाने वाली पहली सफारी का हिस्सा बनने!अब खुला दरवाज़ा है – तो अगली छुट्टी में परिवार या दोस्तों के साथ निकल पड़ो, मौका चूकना मत! जैव विविधता, रोमांच और भारतीय जंगलों का असली स्वाद पाओ – कूनो में भारत के चीते तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं।