भारत से स्पेन के लिए पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात सितंबर 2025 में जोरदार बढ़ोतरी के साथ लगभग 46,000 प्रतिशत तक पहुंच गया है। यह आंकड़ा पिछले साल सितंबर के मुकाबले एकदम रिकॉर्ड तोड़ है। इस ब्लॉग में आम आदमी की भाषा में इस अनोखे व्यापारिक बदलाव, इसके कारणों और इसके प्रभाव की कहानी बताई जाएगी।
स्पेन अब भारतीय पेट्रोलियम का नया बड़ा खरीदार : –
फिलहाल तक यूरोपीय देशों में नीदरलैंड्स जैसे देश भारतीय पेट्रोलियम उत्पादों के प्रमुख आयातक थे, लेकिन अब स्पेन इस सूची में सबसे ऊपर आ गया है। सितंबर 2024 में भारत ने लगभग 1.1 मिलियन डॉलर के पेट्रोलियम उत्पाद स्पेन को भेजे थे, जो सितंबर 2025 तक बढ़कर 513.7 मिलियन डॉलर यानी लगभग 51.37 अरब रुपये तक पहुंच गए। इस वृद्धि का पीछे कई कारक हैं।
यह बढ़ोतरी क्यों हुई ? : –
स्पेन और उसके आसपास के दक्षिणी यूरोप के क्षेत्र में मिड-डिस्टिलेट और विमानन ईंधन की मांग तेजी से बढ़ रही है। भारतीय रिफाइनर अपने प्रतिस्पर्धी रिफाइनिंग मार्जिन और बेहतर शिपिंग लागत का फायदा उठाकर इस मांग को पूरा कर रहे हैं। यूरोप के कुछ पारंपरिक सप्लायर्स अब अपने आपूर्ति चेन में बदलाव कर रहे हैं, खासकर रूस से आने वाली कच्ची तेल पर प्रतिबंध के कारण, जिससे भारतीय उत्पादों की मांग और बढ़ गई है।
यूरोपीय संघ के नियम और भारत की रणनीति : –
एक बड़ा कारण यह है कि यूरोपीय संघ जनवरी 2026 से रूसी कच्चे तेल से बने रिफाइंड उत्पादों के आयात पर पूरा प्रतिबंध लगाने वाला है। इससे सप्लायर्स को नए स्रोतों की तलाश है, जहां भारत की भूमिका सामने आ रही है। भारत ने अपनी रिफाइनिंग उत्पादन क्षमता में सुधार करके और लॉजिस्टिक नेटवर्क मजबूत करके इस मौके का फायदा उठाया है।
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आम आदमी की नजर से देखें तो…सोचिए कि भारत एक बार फिर से विश्व स्तर पर तकनीक, कौशल और क्वालिटी के दम पर अपनी छाप छोड़ रहा है। पेट्रोलियम उत्पादों का यह बंपर निर्यात देश की अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा की अच्छी उपलब्धता लेकर आता है। इससे रोजगार के नए अवसर बनते हैं, उद्योगों को बढ़ावा मिलता है और देश की आर्थिक मजबूती बढ़ती है। महाराष्ट्र, गुजरात, और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के रिफाइनर इस बढ़ोतरी में अहम रोल निभा रहे हैं।
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क्या यह वृद्धि टिकाऊ है ? : –
46,000 प्रतिशत की इतनी बड़ी वृद्धि एक प्रकार की अल्पकालिक तीव्रता भी हो सकती है, जिसमें कुछ खास शिपमेंट्स और लॉजिस्टिक बदलाव शामिल हों। भविष्य में यह महत्वपूर्ण होगा कि भारतीय कंपनियां निरंतर मांग बनाए रखें, सप्लाई चेन को मजबूत करें और नियमों का सख्ती से पालन करें। साथ ही घरेलू बाजार और विदेशी बाजार के बीच संतुलन व संरक्षण जरूरी होगा।स्पेन के लिए भी फायदेस्पेन जैसे देश जो पारंपरिक तेल सप्लायर्स से दूरी बना रहे हैं, भारत से बेहतर और सस्ते उत्पाद प्राप्त कर आर्थिक रूप से मजबूत होंगे। यह नए व्यापारिक रिश्ते दोनों देशों के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं।
