झारखंड के पलामू में 80 करोड़ का सांप का जहर बरामद, वन्यजीव तस्करों का बड़ा गिरोह धराया
हैरान करने वाली बरामदगी : –
पलामू से एक ऐसी खबर आई है जो सुनकर यकीन करना मुश्किल है। वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो और वन विभाग की टीम ने मिलकर एक ऐसा खुलासा किया है जो वन्यजीव तस्करी के काले कारोबार का असली चेहरा दिखाता है। टीम ने 1200 ग्राम शुद्ध सांप का जहर बरामद किया है, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब 80 करोड़ रुपये बताई जा रही है। जी हां, आपने सही सुना – 80 करोड़ रुपये! इतना पैसा तो आम इंसान जिंदगीभर में शायद ही कभी देख पाए।
इस कार्रवाई में सिर्फ सांप का जहर ही नहीं, बल्कि करीब ढाई किलो पैंगोलिन शल्क भी जब्त किया गया है। पैंगोलिन, जिसे हम सल्लू सांप या बज्जरकीट के नाम से भी जानते हैं, एक दुर्लभ जानवर है जिसकी तस्करी दुनियाभर में होती है। इसकी कीमत भी कोई कम नहीं – करीब 20 लाख रुपये।
कैसे हुआ खुलासा ?
डीएफओ सत्यम कुमार के मुताबिक, वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो को गुप्त सूचना मिली थी कि पलामू में सांप के जहर की खरीद-बिक्री का धंधा चल रहा है। इसके बाद वन विभाग ने पूरी प्लानिंग के साथ कार्रवाई की।
सबसे पहले बिहार के औरंगाबाद जिले के देव इलाके से बाप-बेटे की जोड़ी को पकड़ा गया। ये थे 60 साल के मोहम्मद सिराज और उनके 36 साल के बेटे मोहम्मद मिराज। जब इन दोनों से पूछताछ की गई तो असली खेल सामने आया।
इन दोनों ने बताया कि असली सप्लायर कोई और है – पलामू के हरिहरगंज इलाके के कौवाखोह गांव का रहने वाला 50 साल का राजू कुमार। देखने में तो राजू कुमार एक आम दुकानदार है जो हरिहरगंज बाजार में गुड़ और महुआ की दुकान चलाता है, लेकिन असल में वो इसी दुकान के पीछे से करोड़ों रुपये का काला धंधा चला रहा था।
सांप के जहर का काला बाजार : –
अब सवाल ये उठता है कि आखिर सांप के जहर की इतनी कीमत क्यों है? वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, बरामद किया गया जहर फ्रांस में निर्मित है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत प्रति ग्राम करीब 8 लाख रुपये तक पहुंच जाती है।
हालांकि इसका वैज्ञानिक इस्तेमाल बेहद सीमित है, लेकिन काले बाजार में इसकी जबरदस्त मांग है। अफसोसनाक बात ये है कि इस जहर का इस्तेमाल अक्सर नशे, यौन उत्तेजना और गलत मनोरंजन के लिए किया जाता है। कुछ लोग तो इसे तांत्रिक क्रियाओं और अंधविश्वास के लिए भी इस्तेमाल करते हैं।
पैंगोलिन – दुनिया का सबसे ज्यादा तस्करी होने वाला जानवर : –
पैंगोलिन को दुनिया में सबसे ज्यादा तस्करी होने वाला जंगली स्तनधारी माना जाता है। भारत में पाए जाने वाले भारतीय और चीनी दोनों तरह के पैंगोलिन वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 के तहत पूरी तरह से संरक्षित हैं। फिर भी इसकी तस्करी बेरोकटोक जारी है।
इसके शल्क का इस्तेमाल चीनी पारंपरिक दवाओं में किया जाता है और इसके मांस को स्वादिष्ट माना जाता है। हाल के आंकड़ों के मुताबिक, 2018 से 2022 तक भारत में करीब 1,203 पैंगोलिन का शिकार किया गया। यह संख्या सिर्फ पकड़े गए मामलों की है, असली आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा भयावह हो सकता है।

कितना बड़ा है यह सिंडिकेट ?
अधिकारियों का मानना है कि यह किसी छोटे-मोटे गिरोह का काम नहीं है। यह एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट है जो कई राज्यों और देशों तक फैला हुआ है। बरामद सामान को अंतरराष्ट्रीय काले बाजार में भेजने की तैयारी चल रही थी।
अब जांच एजेंसियां कड़ी पूछताछ कर रही हैं ताकि इस नेटवर्क में शामिल बाकी लोगों की पहचान की जा सके। सात अन्य संदिग्ध लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। अधिकारियों को उम्मीद है कि यह कार्रवाई एक बड़े सिंडिकेट के खुलासे की शुरुआत साबित हो सकती है।
क्यों होती है यह तस्करी ?
वन्यजीव तस्करी का अवैध कारोबार दुनियाभर में करीब 20 बिलियन डॉलर का है। यह कारोबार अंतरराष्ट्रीय गिरोहों द्वारा चलाया जाता है और कई बार इससे मिलने वाले पैसों का इस्तेमाल अवैध हथियारों के व्यापार जैसी खतरनाक गतिविधियों के लिए किया जाता है।
भारत भी वन्यजीव तस्करी के लिए शीर्ष 20 देशों में शामिल है। हवाई मार्ग से वन्यजीव तस्करी के मामले में तो हम शीर्ष 10 देशों में हैं। पलामू जैसे इलाके, जो जंगलों और वन्यजीवों से भरे हुए हैं, इन तस्करों के लिए आसान शिकारगाह बन गए हैं।
आगे क्या ?
इस बरामदगी के बाद पलामू जिले में वन्यजीव अपराध के खिलाफ निगरानी बढ़ा दी गई है। अधिकारियों का कहना है कि इस मामले को बहुत गंभीरता से लिया जा रहा है क्योंकि यह सिर्फ एक स्थानीय अपराध नहीं, बल्कि एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा है।
पकड़े गए आरोपियों के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। उम्मीद की जा रही है कि यह मामला अदालत में जल्द से जल्द पहुंचे और दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिले।

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हमें क्या सोचना चाहिए ?
पलामू का यह मामला हमें सोचने पर मजबूर करता है। एक तरफ हम प्रकृति और वन्यजीवों के संरक्षण की बात करते हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछ लालची लोग पैसों के लिए इन मासूम जीवों की जानें ले रहे हैं। सांप हो या पैंगोलिन, ये सभी प्रकृति के संतुलन में अहम भूमिका निभाते हैं।
सरकार और वन विभाग की कड़ी मेहनत से यह बड़ी कार्रवाई हुई है, लेकिन अभी लड़ाई खत्म नहीं हुई है। जब तक काले बाजार में इन चीजों की मांग रहेगी, तब तक कुछ लोग इन्हें बेचने के लिए बेजुबान जानवरों की हत्याएं करते रहेंगे।
हम सभी को चाहिए कि अगर हमें कहीं भी वन्यजीव तस्करी या अवैध शिकार की भनक लगे तो तुरंत वन विभाग या पुलिस को सूचित करें। यही हमारी और आने वाली पीढ़ियों की जिम्मेदारी है।