कुछ दिन पहले मैं अपने मोहल्ले के स्कूल के बाहर चाय पी रहा था। तभी एक टीचर साहब आए, जेब से गुटखा निकाला और मुंह में दबा लिया। पास में खड़े एक सज्जन बोले, “अब ये आदत महंगी पड़ सकती है।” मैंने पूछा, “क्यों भई?” तो उन्होंने बताया कि झारखंड सरकार ने नया नियम बनाया है—अब स्कूल में कोई शिक्षक या स्टाफ तंबाकू खाते पकड़ा गया, तो उसे 200 रूपए का जुर्माना देना पड़ेगा।
अब ये सुनकर मुझे थोड़ा ताज्जुब हुआ। लेकिन जब घर आकर न्यूज़ पढ़ी, तो पता चला कि बात बिल्कुल सही है।
क्या है नया नियम?
झारखंड के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने हाल ही में एक गाइडलाइन जारी की है। इसके मुताबिक, राज्य के सभी स्कूलों और शिक्षण संस्थानों को “तंबाकू मुक्त शिक्षण संस्थान” घोषित किया जाएगा। इसका मतलब ये कि स्कूल परिसर में कोई भी व्यक्ति—चाहे वो शिक्षक हो, स्टाफ हो या छात्र—अगर तंबाकू खाते हुए पकड़ा गया, तो 200 रूपए का जुर्माना लगेगा।
ये जुर्माना सिर्फ गुटखा या पान मसाला पर नहीं, बल्कि सिगरेट, बीड़ी और किसी भी तंबाकू उत्पाद पर लागू होगा।

क्यों लिया गया ये फैसला ?
सरकार का कहना है कि स्कूल बच्चों के भविष्य की नींव रखते हैं। अगर वहीं पर शिक्षक तंबाकू खाते दिखेंगे, तो बच्चों पर गलत असर पड़ेगा। इसलिए ये कदम उठाया गया है ताकि स्कूलों का माहौल साफ-सुथरा और स्वस्थ रहे।
इसके अलावा, तंबाकू सेवन से कैंसर, सांस की बीमारी और दिल की समस्या जैसी गंभीर बीमारियाँ होती हैं। जब शिक्षक खुद तंबाकू छोड़ेंगे, तो बच्चों को भी सही दिशा मिलेगी।
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क्या-क्या बदलाव होंगे स्कूलों में ?
- हर स्कूल में “तंबाकू मुक्त संस्थान” का बोर्ड लगाया जाएगा।
- स्कूल परिसर में “गैर-धूम्रपान क्षेत्र” का बैनर लगाना अनिवार्य होगा।
- एक “तंबाकू नियंत्रण कमेटी” बनाई जाएगी, जिसमें शिक्षक, छात्र, अभिभावक और स्थानीय जनप्रतिनिधि शामिल होंगे।
- कक्षा 9वीं से 12वीं तक के छात्रों में से किसी एक को “टोबैको मॉनिटर” बनाया जाएगा, जो निगरानी रखेगा कि कोई तंबाकू तो नहीं खा रहा।
- स्कूल परिसर में तंबाकू के अवशेष (जैसे गुटखा के पाउच या बीड़ी के टुकड़े) मिलने पर माना जाएगा कि वहां तंबाकू सेवन हुआ है।
दुकानदारों पर भी कार्रवाई
स्कूल से 100 गज के दायरे में कोई तंबाकू की दुकान नहीं लग सकती। अगर कोई दुकानदार नियम तोड़ता है, तो शिक्षक या प्रिंसिपल थाना में शिकायत कर सकते हैं। और अगर दुकानदार नहीं मानता, तो 200 रूपए का जुर्माना वसूला जाएगा।
अब बात करते हैं हमारी नजर से। हम सब जानते हैं कि तंबाकू सेहत के लिए नुकसानदायक है। लेकिन जब स्कूलों में ही शिक्षक इसे खाते दिखें, तो बच्चों को क्या सिखाया जाएगा? ये नया नियम सिर्फ जुर्माना लगाने के लिए नहीं है, बल्कि एक संदेश है—कि अब बदलाव ज़रूरी है।
अगर स्कूल साफ रहेंगे, शिक्षक तंबाकू नहीं खाएंगे, तो बच्चों को भी अच्छी आदतें मिलेंगी। और यही तो असली शिक्षा है।
झारखंड सरकार का ये कदम सराहनीय है। 200 रूपए का जुर्माना भले छोटा लगे, लेकिन इसका असर बड़ा हो सकता है। अगर हर स्कूल इस नियम को सख्ती से लागू करे, तो आने वाले सालों में हम तंबाकू मुक्त पीढ़ी देख सकते हैं।
तो अगली बार जब कोई शिक्षक गुटखा निकालें, तो उन्हें प्यार से याद दिलाइए—“अब ये आदत महंगी पड़ सकती है, सर!”