जॉली एलएलबी 3 का रिव्यू – एक मनोरंजक कोर्टरूम ड्रामा और सामाजिक संदेश
2025 में रिलीज हुई फिल्म ‘जॉली एलएलबी 3’ ने दर्शकों के दिलों में अपनी अलग जगह बनाई है। यह फिल्म अक्षय कुमार, अरशद वारसी और सौरभ शुक्ला जैसे नामचीन कलाकारों की शानदार अदाकारी के साथ कोर्टरूम ड्रामा की प्रसिद्ध फ्रेंचाइजी की तीसरी किस्त है। निर्देशक सुभाष कपूर ने इस बार भी न्याय व्यवस्था के साथ-साथ किसानों के महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दे को फिल्म में प्रभावशाली ढंग से पेश किया है।
कहानी
फिल्म की कहानी एक किसान परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है। एक किसान अपनी जमीन बचाने के लिए संघर्ष करता है, लेकिन दबंग ताकतों और भ्रष्ट नेताओं के कारण उसके ऊपर अत्याचार बढ़ता है। निराश होकर किसान आत्महत्या कर लेता है। उसकी विधवा सीमा बिस्वास न्याय की तलाश में कोर्ट पहुंचती है। कोर्टरूम में दो जॉली—अक्षय कुमार का जॉली मिश्रा और अरशद वारसी का जॉली त्यागी—सामने आते हैं, जो अलग-अलग पक्षों में लड़ते हैं, लेकिन बाद में एक साथ मिलकर केस लड़ते हैं। फिल्म में किसानों के साथ अन्याय, न्याय व्यवस्था की खामियां और सामाजिक जागरूकता को हंसी-ठिठोली के साथ दर्शाया गया है।
अभिनय
अक्षय कुमार ने जॉली मिश्रा के किरदार में ऊर्जा और जोश के साथ न्याय की लड़ाई को जीवंत किया है। अरशद वारसी अपनी मस्ती और सहज अंदाज में जॉली त्यागी का किरदार निभाकर फिल्म में कॉमिक टच लाते हैं। सीमा बिस्वास की भावुकता और गहराई दर्शकों को बांधे रखती है। सौरभ शुक्ला ने जज त्रिपाठी के रूप में कोर्टरूम ड्रामा को संतुलित किया है। राम कपूर भी मजबूत वकील के रूप में अपनी छाप छोड़ते हैं। हालांकि महिला किरदारों की भूमिका इसमें सीमित और कमज़ोर लगी।
समीक्षा और संदेश
फिल्म में हास्य, व्यंग्य, समाजिक तथ्य और न्यायालयिक प्रक्रिया का अच्छा मिश्रण देखने को मिलता है। हालांकि कुछ दृश्य थोड़ा ज़्यादा ड्रामाटिक और ओवर करने वाले हैं, फिर भी यह फिल्म मनोरंजन के साथ जागरूकता भी बढ़ाती है। फिल्म का मुख्य संदेश ‘जय जवान, जय किसान’ के माध्यम से किसानों और सैनिकों की अहमियत को रेखांकित करता है। कानून व्यवस्था में सुधार और किसानों के दर्द की चर्चा फिल्म की आत्मा है।
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तकनीकी और निर्देशन
निर्देशक सुभाष कपूर ने फिल्म की कहानी को सशक्त तरीके से प्रस्तुत किया है। कोर्टरूम सीन प्रभावशाली और मनोरंजक हैं, हालांकि कुछ जगह सिनेमाई बनावट ज्यादा हो गई है। फिल्म के संगीत का प्रभाव सीमित है लेकिन दृश्यांकन और संवाद प्रभावी हैं। फिल्म का क्लाइमेक्स दर्शकों को मजबूर कर देता है कि वे न्याय के महत्व पर सोचें।
‘जॉली एलएलबी 3’ एक सफल कोर्टरूम ड्रामा है जो हंसाती भी है और सोचने पर मजबूर भी करती है। अक्षय कुमार और अरशद वारसी की केमिस्ट्री, सौरभ शुक्ला का विनोद और सामाजिक मुद्दों की प्रस्तुति इसे देखना चाहिए ऐसी फिल्म बनाती है। यह फिल्म न्याय के प्रति विश्वास बनाए रखने के साथ-साथ किसानों के जख्मों पर भी प्रकाश डालती है। यदि न्याय, कॉमेडी और सामाजिक संदेश की तलाश है तो ‘जॉली एलएलबी 3’ को जरूर देखें।
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