पलामू टाइगर रिजर्व की जंगल सफारी: झारखंड की प्रकृति का देसी रोमांच

पलामू टाइगर रिजर्व जंगल सफारी की कहानी

दोस्तों, आज एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहा हूँ जहाँ जाकर आप प्रकृति की सचमुच की भीड़ और जंगल की सैर कर सकते हैं। ये जगह है झारखंड का पलामू टाइगर रिजर्व। मैंने भी थोड़ी रिसर्च की और जाना कि पलामू टाइगर रिजर्व न सिर्फ झारखंड का बल्कि पूरे देश का एक खास टाइगर रिजर्व है। यह 1974 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत बनाया गया, और यहाँ आज भी बाघ, हाथी, चीता, भालू और कई सारी दूसरी जंगली जीवों की आबादी सुरक्षित है।

पलामू टाइगर रिजर्व क्या है ? : –

पलामू टाइगर रिजर्व झारखंड के पलामू, लातेहार और गढ़वा जिलों में फैला हुआ है, लगभग 1130 वर्ग किलोमीटर में। यह भारत के 9 सबसे पुराने और महत्वपूर्ण टाइगर रिजर्व्स में से एक है। इसका खास हिस्सा है बेतला नेशनल पार्क, जो करीब 226 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और इसी पार्क में जंगल सफारी होती है। यह जंगल साल के चारों मौसम अलग-अलग रंग में खिलता है और यहाँ की घनी हरियाली, जल स्रोत और घाटियाँ पर्यटकों को एक अनोखा अनुभव देती हैं।

जंगल सफारी का अनुभव कैसा है ? : –

पलामू टाइगर रिजर्व की जंगल सफारी पूरी तरह से प्राकृतिक और रोमांचक होती है। पहले यहाँ सफारी निजी या क्लोज व्हीकल में होती थी, लेकिन अब वन विभाग ने नियम कड़े कर दिए हैं और केवल रजिस्टर्ड और पर्यावरण के अनुकूल ऑपन जीप से ही सफारी की अनुमति है। इस बदलाव से सफारी अधिक सुरक्षित, ज़िम्मेदार और पर्यावरण के अनुकूल हो गई है। साथ ही, ट्रेंड गाइड्स पर्यटकों को जंगल की हर छोटी-बड़ी जैव विविधता के बारे में बताते हैं, जिससे सफारी सिर्फ मनोरंजन ही नहीं, बल्कि सीखने का भी मौका बन जाती है।

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क्या यहाँ बाघ देखना आसान है ? : –

यहां बाघ, हाथी, बायसन, चीतल और कई अन्य जंगली जानवर पाए जाते हैं, लेकिन बाघ को देखना थोड़ा किस्मत पर निर्भर करता है। कारण है कि पलामू में बाघों की संख्या कम है, लगभग पांच बाघ हैं। जंगल अलग-अलग इलाकों में फैला है और बाघ घने जंगलों में छुपे रहते हैं। इसलिए कई बार पर्यटक पूरी सफारी जीप में घूमने के बाद भी बाघ देख पाने में सफल नहीं हो पाते। इसी समस्या को ध्यान में रखकर वन विभाग एक खास टाइगर सफारी और जू सफारी विकसित कर रहा है, जहाँ बाघ और अन्य जानवरों को देखने के चांस बहुत बढ़ जाएंगे।

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पर्यटन और स्थानीय जीवन पर असर : –

पलामू टाइगर रिजर्व के पास के गांवों को वन क्षेत्र से धीरे-धीरे दूर स्थानांतरित किया जा रहा है ताकि जंगल को मानव हस्तक्षेप से बचाया जा सके और जंगली जानवरों के लिए अधिक सुरक्षित माहौल बनाया जा सके। इससे न सिर्फ जंगली जीवों को फायदा होगा, बल्कि स्थानीय लोगों को बेहतर सुविधाएं और रोजगार भी मिलेंगे। वन विभाग इस सफारी प्रोजेक्ट के जरिए पर्यटकों को नई जगहों से जोड़ने और रोजगार बढ़ाने की योजना बना रहा है।

सफारी के नियम और सावधानियाँ : –

पलामू टाइगर रिजर्व में पर्यटकों के लिए कुछ नियम भी लागू हैं, जैसे वन्य जीवों को कोई भी भोजन, फल या स्नैक्स देना सख्त मना है, उल्लंघन पर जुर्माना भी है। यह नियम इसलिए बनाए गए हैं ताकि जानवरों का प्राकृतिक व्यवहार प्रभावित न हो। साथ ही, सफारी के लिए ऑनलाइन बुकिंग सुविधा भी शुरू की गई है, जिससे पर्यटकों को टिकट लेने में आसानी हो

पलामू टाइगर रिजर्व की जंगल सफारी: झारखंड की प्रकृति का देसी रोमांच
पलामू टाइगर रिजर्व की जंगल सफारी: झारखंड की प्रकृति का देसी रोमांच(image source -abp news)

जंगल की सुरक्षा और भविष्य की योजनाएँ : –

पलामू टाइगर रिजर्व में अभी करीब 110 फॉरेस्ट गार्ड और 300 ट्रैकर वन्य जीवों की सुरक्षा करते हैं। लाठी-टांगी के अलावा अब सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए सशस्त्र बलों की तैनाती पर भी विचार हो रहा है। वन विभाग का उद्देश्य है कि यहां के जंगल और जीव सुरक्षित रहें और पर्यटक यहां आकर प्रकृति का आनंद बिना किसी खतरे के उठा सकें।

अगर आप झारखंड के प्राकृतिक सुंदरता और वाइल्डलाइफ की सैर का असली अनुभव लेना चाहते हैं, तो पलामू टाइगर रिजर्व की जंगल सफारी आपके लिए ज़रूर है। यहाँ आते ही आपको झाड़ियों की सरसराहट, पेड़ों की छाँव, जंगली जानवरों के पदचिह्न और हवाओं की खुशबू से लगने लगेगा कि आप सचमुच प्रकृति के करीब हैं।

सिर्फ रोमांच नहीं, बल्कि ये सफारी जागरूकता भी देती है कि हमें अपनी प्रकृति और जीव-जंतुओं का कितना ख्याल रखना चाहिए। वन विभाग की मेहनत और पर्यटकों का सहयोग इस जंगल को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखने में मदद करेगा।अगर जंगल, जानवर और सफारी पसंद हैं तो इस जगह की यात्रा की प्लानिंग जल्दी करें और इस हसीन सफर का मजा लें।

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