रेल यात्रा करने वालों के लिए एक नई खुशखबरी है — वंदे भारत स्लीपर ट्रेन अब हकीकत बनने जा रही है। भारतीय रेलवे की यह नई पेशकश लंबी दूरी की यात्राओं को न सिर्फ तेज बल्कि बेहद आरामदायक भी बनाने वाली है। अगर आपने कभी सोचा था कि काश रेल में भी एयरप्लेन जैसी लग्ज़री मिल जाए, तो ये ट्रेन उसी ख्वाब को हकीकत में बदलने आई है।
शुरुआत कैसे और कब : –
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के मुताबिक, वंदे भारत स्लीपर ट्रेन की सर्विस 15 अक्टूबर 2025 के बाद शुरू की जाएगी । फिलहाल दिल्ली के शकूर बस्ती कोचिंग डिपो में इसका पहला रैक तैयार है और दूसरा रैक पूरा होते ही इसे नियमित सेवा में उतारा जाएगा।
पहली वंदे भारत स्लीपर एक्सप्रेस के दिल्ली से पटना के बीच चलने की संभावना है, जो प्रयागराज के रास्ते से जाएगी । अभी जहां राजधानी एक्सप्रेस इस सफर को करीब 23 घंटे में पूरा करती है, वहीं वंदे भारत स्लीपर सिर्फ 11.5 घंटे में यह दूरी तय करेगी ।
डिजाइन और निर्माण : –
इस ट्रेन को KINET Railway Solutions (भारत और रूस का संयुक्त उपक्रम) ने डिजाइन किया है । यह वही कंपनी है जिसे कुल 120 वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों यानी 1,920 कोचों के निर्माण और रखरखाव का जिम्मा दिया गया है ।
निर्माण का काम भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (BEML) और इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF), चेन्नई ने किया है । इसका ट्रायल जनवरी 2025 में मुंबई-अहमदाबाद रूट पर सफलतापूर्वक पूरा हुआ था ।
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अंदर से कैसी है यह ट्रेन : –
वंदे भारत स्लीपर ट्रेन को देखकर लगता है जैसे किसी होटल के कमरे को चालते-फिरते ट्रैक पर उतार दिया गया हो। इसमें नॉइज-फ्री इंटीरियर, सेंसर-बेस्ड लाइटिंग, और ऑटोमेटिक दरवाजे दिए गए हैं । हर बर्थ पर रीडिंग लाइट, USB चार्जिंग पॉइंट, और मोबाइल स्लॉट हैं ।
फर्स्ट एसी कोच में गर्म पानी का शावर मिलेगा—जो भारतीय रेल में पहली बार होगा । खाने-पीने के लिए मॉड्यूलर पैंट्री, आरामदायक सीटें और CCTV कैमरे सुरक्षा के लिहाज़ से लगाए गए हैं ।
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ट्रेन की रफ्तार और संरचना : –
यह सेमी हाई-स्पीड ट्रेन 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक दौड़ सकती है । इसमें कुल 16 कोच होंगे — 11 AC थ्री-टियर, 4 AC टू-टियर, और 1 फर्स्ट AC कोच । कुल मिलाकर करीब 1,128 यात्री इसमें एक साथ सफर कर पाएंगे।
भविष्य की योजनाएं : –
रेलवे मंत्रालय ने 2025 के अंत तक 9 और वंदे भारत स्लीपर ट्रेनें शुरू करने की योजना बनाई है, जबकि 2026–27 के बाद 24-कोच की लंबी ट्रेनें भी ट्रैक पर उतरेंगी । इसके लिए बेंगलुरु के पास मेंटेनेंस डिपो बनाया जा रहा है, जो 2026 में तैयार होगा ।
आम आदमी की नज़र से : –
सच कहें तो भारतीय रेल की यह कोशिश वाकई तारीफ के काबिल है। पहले जब लोग रातभर सफर करते थे, तो उनके लिए नींद और सफर दोनों मुश्किल हो जाते थे—भीड़, गर्मी, सफाई की दिक्कतें और देरी से चलने वाली ट्रेनों का झंझट। लेकिन अब वंदे भारत स्लीपर ट्रेन के साथ सफर सचमुच “एयरलाइंस वाला पंच” देने वाला है—बस टिकट रेल का, पर आराम होटल जैसा।
