हम वैल्यूएशन पर ज़्यादा फ़िक्र नहीं करते, कहते हैं SEBI के मुखिया IPO प्राइसिंग पर
पिछले कुछ समय में IPO यानि कि Initial Public Offering यानी कंपनी के शेयरों को पहली बार बाजार में पेश करने के दौरान वैल्यूएशन को लेकर चर्चा ज़ोरों पर रही है। खासकर जब बड़ी कंपनियां जैसे कि Lenskart ने अपनी IPO की क़ीमतें बहुत ऊंचे स्तर पर रखी, तो सवाल उठे कि क्या ये क़ीमतें सही हैं? क्या SEBI यानी Securities and Exchange Board of India, जो हमारे शेयर बाजार का मुख्य नियामक है, इस पर कुछ कहेगा या हस्तक्षेप करेगा ?
SEBI का जवाब : “वैल्यूएशन की जिम्मेदारी बाजार की है”SEBI के चेयरमैन तुइन कांत पांडे ने 6 नवंबर 2025 को मुंबई में एक इवेंट में साफ़ कहा कि SEBI यह तय नहीं करता कि IPO की वैल्यूएशन क्या होनी चाहिए। उनका कहना है कि “वैल्यूएशन का फैसला निवेशक करते हैं, क्योंकि यह ‘देखने वाले की आंखों में’ है।” यानी कंपनी की क़ीमत को तय करना SEBI का काम नहीं, बल्कि शेयर बाजार और निवेशकों का अपना फैसला है कि वे शेयरों को कितनी कीमत पर खरीदना चाहते हैं।
SEBI का मुख्य काम –
- पारदर्शिता और जानकारी देना : पांडे ने बताया कि SEBI का काम कंपनियों से पूरी और सही जानकारी लेना है ताकि निवेशक सही निर्णय ले सकें।
- SEBI ने यहां तक तय किया है कि जानकारी कैसे, कितनी बड़ी फ़ॉन्ट में और किस- किस तुलना के साथ दी जानी चाहिए। इससे जो भी शेयर खरीदेगा, उसे हर जरूरी तथ्य, कंपनी के वर्तमान और भविष्य के वित्तीय हालात के बारे में पता चले।
- बाकी मार्केट में शेयर की कीमत क्या होगी, यह मार्केट की मांग और आपूर्ति तय करेगी।
आख़िर क्यों हो रही है इतनी बहस ? : –
आपने देखा होगा कि पिछले कुछ IPOs जैसे कि Lenskart, Nykaa या Paytm की पेशकशों पर चर्चा हुई कि ये बहुत महंगे थे। खासकर जब Lenskart को उनकी FY25 की कमाई के 230 गुना के ऊपर कीमत दी गई, जो एक बहुत बड़ी संख्या है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह सही है या नहीं ? SEBI का जवाब है कि ये सब मार्केट की मर्जी पर निर्भर करता है। अगर निवेशक इसे खरीदना चाहते हैं, तो कीमत ऊपर जाएगी, नहीं तो नहीं।

SEBI की भूमिका और बाज़ार की आज़ादी : –
SEBI का मानना है कि उसे बाज़ार का कंट्रोलर नहीं बनना चाहिए। वह पूंजी बाजार के पारदर्शिता और अच्छे संचालन की देखरेख करता है, लेकिन बाज़ार के मूल्य निर्धारण में हस्तक्षेप नहीं करता। यह एक समझदारी भरा फैसला है क्योंकि बाजार में मांग और आपूर्ति के आधार पर कीमतें तय होती हैं।
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एक आम आदमी की नजर से समझें : –
मान लीजिए आपने कोई सामान खरीदना है। उसके दाम दुकानदार तय करता है, लेकिन आप खरीदने वाले के रूप में अपनी पसंद और जरूरत के हिसाब से तय करते हैं कि वह दाम सही है या ज्यादा। ठीक वैसा ही है बाजार में शेयरों का दाम। SEBI का काम है यह सुनिश्चित करना कि दुकानदार (कंपनी) पूरी तरह से ईमानदार हो और हर चीज़ बताई जाए, ताकि आप ठीक से सोच-समझकर ख़रीदारी कर सकें।
संक्षेप में : –
- SEBI IPO वैल्यूएशन तय नहीं करता, यह निवेशकों और मार्केट की मर्जी है।
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- SEBI का मुख्य काम पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।
- IPO की कीमत बाजार की मांग-आपूर्ति के हिसाब से तय होती है।
- हाल के समय में Lenskart जैसे IPO की ऊंची कीमतों को लेकर बहस हुई है।
- बाज़ार को नियंत्रित करना SEBI का उद्देश्य नहीं है, बल्कि सभी को सही जानकारी देना है।
- SEBI के चेयरमैन के इस बयान से हमें समझ आता है कि IPO द्वारा पैसा जुटाना और उसके योग्य या अत्यधिक मूल्यांकन का फैसला पूरी तरह बाज़ार के हाथ में है।
आम इंसान के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे निवेश से पहले पूरी जानकारी लेकर समझदारी से फैसले करें, क्योंकि SEBI केवल यह सुनिश्चित करता है कि उन्हें सही जानकारी मिले।