स्टैनफोर्ड की लिस्ट 6,239 भारतीय वैज्ञानिकों के नाम शामिल हैं। मुझे तो गर्व से सीना चौड़ा हो गया। अब भले ही हम आम लोग लैब में न हों, लेकिन जब देश के वैज्ञानिक दुनिया भर में नाम रोशन करते हैं, तो लगता है जैसे हमारी भी जीत हो गई।
क्या है ये स्टैनफोर्ड की लिस्ट?
हर साल अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और Elsevier नाम की साइंटिफिक पब्लिशिंग कंपनी मिलकर एक लिस्ट बनाते हैं। इसमें वो वैज्ञानिक शामिल होते हैं जिनका रिसर्च दुनिया भर में सबसे ज़्यादा असर डालता है। इसका मतलब ये नहीं कि जिसने सबसे ज़्यादा पेपर लिखे वही टॉप पर है—बल्कि ये देखा जाता है कि उनके काम को कितनी बार दूसरे वैज्ञानिकों ने अपने रिसर्च में इस्तेमाल किया, यानी “citation impact” कितना है।
इस लिस्ट में दो तरह के आंकड़े होते हैं—एक तो पूरे करियर का असर और दूसरा सिर्फ पिछले साल का। और इस बार की लिस्ट में भारत से 6,239 वैज्ञानिकों ने जगह बनाई है, जो कि पिछले साल से भी ज़्यादा है।
कौन-कौन से संस्थान चमके?
अब आप सोच रहे होंगे कि ये वैज्ञानिक कहां से हैं? तो सुनिए : –
– IITs ने सबसे ज़्यादा 755 वैज्ञानिक दिए हैं। इनमें IIT Delhi, IIT Kharagpur, IIT Madras जैसे नाम शामिल हैं।
– Indian Institute of Science (IISc), Bangalore से 134 वैज्ञानिक शामिल हुए।
– AIIMS Delhi से 56 डॉक्टरों ने लिस्ट में जगह बनाई।
– Punjab University से 48 प्रोफेसर शामिल हुए, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है।
– Lucknow शहर से ही 49 वैज्ञानिकों ने नाम कमाया, जिनमें SGPGI और KGMU के डॉक्टर शामिल हैं।
– Central University of Jharkhand से भी तीन प्रोफेसर शामिल हुए हैं, जो एनवायरनमेंट और एनर्जी जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।
मतलब ये कि देश के कोने-कोने से वैज्ञानिकों ने दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित लिस्ट में जगह बनाई है।
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आम आदमी के लिए इसका मतलब क्या है?
अब आप कहेंगे, “भाई, इससे हमें क्या?” तो सुनिए—जब हमारे देश के वैज्ञानिक दुनिया भर में पहचाने जाते हैं, तो इसका असर सिर्फ लैब तक नहीं रहता। इससे हमारे देश की साख बढ़ती है, विदेशी यूनिवर्सिटीज़ में भारतीयों को रिसर्च के मौके मिलते हैं, और नई टेक्नोलॉजी, नई दवाइयाँ, नई खोजें हमारे जीवन को बेहतर बनाती हैं।
जैसे एक डॉक्टर ने बताया कि SGPGI के वैज्ञानिकों की पहचान से अब युवा डॉक्टरों को भी प्रेरणा मिलेगी। और यही बात है—जब एक प्रोफेसर या वैज्ञानिक दुनिया में नाम कमाता है, तो वो अगली पीढ़ी को रास्ता दिखाता है।
हम अक्सर क्रिकेट, फिल्म या राजनीति की खबरों में उलझे रहते हैं। लेकिन असली हीरो तो वो हैं जो चुपचाप लैब में बैठकर रिसर्च करते हैं, ताकि हमारी ज़िंदगी बेहतर हो सके। स्टैनफोर्ड की ये लिस्ट हमें याद दिलाती है कि भारत सिर्फ एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था नहीं है, बल्कि एक रिसर्च पावरहाउस भी है।
तो अगली बार जब आप किसी डॉक्टर, इंजीनियर या प्रोफेसर से मिलें, तो उन्हें सलाम ज़रूर करना—क्या पता वो भी स्टैनफोर्ड की अगली लिस्ट में हों!
