जन-मंच

सुप्रीम कोर्ट ने SAIL की माइनिंग पर भी लगाई रोक: झारखंड के जंगलों के लिए राहत

सुप्रीम कोर्ट ने SAIL की माइनिंग पर भी लगाई रोक: झारखंड के जंगलों के लिए राहत

सुप्रीम कोर्ट ने SAIL की माइनिंग पर भी लगाई रोक: झारखंड के जंगलों के लिए राहत (image source - down to earth)

झारखंड का नाम सुनते ही दिमाग में पहाड़, जंगल और खनिज की तस्वीर आ जाती है। लेकिन अब झारखंड की खदानों में काम करने वालों के लिए बड़ी खबर आई है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा है कि जो proposed mining ban यानी प्रस्तावित खनन प्रतिबंध झारखंड में लागू होगा, वह स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) के खदानों पर भी लागू होगा। यह फैसला न केवल खनिकों और कंपनियों के लिए, बल्कि पूरे इलाके के पर्यावरण और लोगों के लिए भी बेहद अहम है।

कहानी की शुरुआत : सरंडा के जंगलों से : –

ये पूरी कहानी सरंडा जंगल और वहां रहने वाले आदिवासियों से शुरू होती है। यहां के जंगल इतने घने और पुराने हैं कि इन्हें झारखंड का फेफड़ा कहा जाता है। लंबे समय से इस क्षेत्र में लौह अयस्क खनन हो रहा है, जिसमें SAIL जैसी सरकारी कंपनी भी शामिल है। लेकिन धीरे-धीरे पर्यावरण को हो रहे नुकसान और सरंडा जंगल को वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी (वन्यजीव अभयारण्य) घोषित करने की मांग जोर पकड़ती गई।

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और आदेश : –

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि पुराने आदेशों का सही तरह पालन नहीं किया जा रहा है। कोर्ट ने साफ बोला, “चाहे वो SAIL हो या कोई और खनिक, कानून सबके लिए बराबर है। जंगल के घोषित क्षेत्रों में कोई खनन नहीं चलेगा।” सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि SAIL के पास चाहे 30 साल की लीज़ हो, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता—जैसे ही इलाका वन्यजीव सैंक्चुरी घोषित होगा तो वहां mining activities रुक जाएंगी।

सुप्रीम कोर्ट ने SAIL की माइनिंग पर भी लगाई रोक: झारखंड के जंगलों के लिए राहत (image source – prabhat khabar)

यह आदेश बिलकुल साफ है — 126 compartment में कोई भी खनन नहीं चलेगा, चाहे वह SAIL का खदान हो या किसी और की लीज़। SAIL की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि अभी उनकी कुछ खदानें चालू नहीं हैं, कृपया उन्हें छूट दी जाए। कोर्ट ने यह अनुरोध ठुकरा दिया, और कहा, “छूट किसी को नहीं मिलेगी, कानून सब पर लागू होगा।”

ये भी पढ़े : – हेमंत सोरेन के संपत्ति का खुलासा: झारखंड के मुख्यमंत्री की दौलत की असली कहानी

अब सोचिए, एक आम मजदूर जो SAIL की खदान में काम करता है, उसके लिए यह कितना बड़ी खबर है। लोगों में डर है कि खनन बंद होने से रोज़गार पर असर पड़ेगा। वहीं इलाके के आदिवासी, गांव वाले और पर्यावरण प्रेमी लोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुश हैं — उनका कहना है कि जंगल बचेंगे, नदी का साफ पानी रहेगा, और जमीन की सेहत सुधरेगी। मगर गांव की चाय दुकान पर आजकल दो ही बातें होती हैं — “सरकार खनन बंद कराएगी तो हम क्या करेंगे?” और “जंगल बच जाएगा तो बच्चों का भविष्य अच्छा होगा।”

ये भी पढ़े : – पलामू टाइगर रिजर्व की जंगल सफारी: झारखंड की प्रकृति का देसी रोमांच

माइनिंग बैन का असर : –

खबरों के मुताबिक सरंडा क्षेत्र के जंगलों में अभी कई compartment हैं, जहां लौह अयस्क की खुदाई होती है। SAIL यहां से देश भर के रेलवे, उद्योग और यहां तक कि इसरो जैसे मिशन को स्टील सप्लाई करता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश के बाद यह सब बंद करना पड़ सकता है। बताते हैं कि सरंडा के जंगलों की वजह से कोयना नदी और उसकी सहायक नदियों में खनन का केमिकल पहुंचता था, जिससे पानी जहर की तरह रंग बदल लेता है। कोर्ट ने पर्यावरण और आदिवासी समाज के हित को दृष्टि में रखकर ही ये ठोस कदम उठाया है।

सुप्रीम कोर्ट ने SAIL की माइनिंग पर भी लगाई रोक: झारखंड के जंगलों के लिए राहत(image source – facebook)

आगे क्या होगा ? : –

कोर्ट ने झारखंड सरकार को एक हफ्ते का समय दिया है कि वह ज़रूरी प्रक्रिया पूरी करे, जंगल को अभयारण्य घोषित करे, और नए नियम लागू करे। सरकार से पूछा गया है कि क्यों पुराने आदेशों का पालन नहीं हुआ, और अगर फिर से कोई गड़बड़ हुई तो मुख्य सचिव को कोर्ट में तलब किया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई जल्द होनी है।

गांव के देवेंद्र कहते हैं, “अच्छा है, जंगल बचेंगे तो हमारी हवा, पानी, सबके लिए अच्छा रहेगा। लेकिन बच्चे बेरोजगार हो जाएंगे तो भी परेशानी है।” वहीं, स्कूल के मास्टरजी बोलते हैं, “यह फैसला दूरगामी है — आज नुकसान लगेगा, लेकिन आने वाले दिनों में नए रोजगार और पर्यावरण दोनों को संतुलित किया जा सकता है।”यह मामला बताता है कि जब सुप्रीम कोर्ट कोई बड़ा फैसला करता है, तो वह सिर्फ कानून का मामला नहीं रह जाता — बल्कि वह हर किसी की जिंदगी को छू जाता है।

Exit mobile version