The Invisible Giant : इंटरनेट का वो ‘गार्ड’ जिसे आप रोज देखते हैं पर जानते नहीं।

इंटरनेट का ‘अदृश्य चौकीदार’ : आखिर कितना इंटरनेट चलता है Cloudflare के भरोसे ?

क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है ? आप किसी वेबसाइट पर जाते हैं, और कंटेंट खुलने से पहले एक सफेद स्क्रीन आती है जिस पर लिखा होता है—”Checking your browser before accessing…” या फिर कभी ऐसा हुआ कि अचानक Discord, ChatGPT, और आधी दुनिया की वेबसाइट्स एक साथ चलना बंद हो गईं ?

अगर हाँ, तो बधाई हो! आपकी मुलाकात इंटरनेट के सबसे बड़े ‘चौकीदार’ से हो चुकी है, जिसका नाम है—Cloudflare (क्लाउडफ्लेयर)।

आजकल हम सब इंटरनेट पर जीते हैं, लेकिन हमें ये नहीं पता कि पर्दे के पीछे आखिर खेल क्या चल रहा है। आज मैं आपको एक ऐसी कंपनी के बारे में बताऊंगा, जिसके बिना आज का मॉडर्न इंटरनेट शायद चल ही नहीं पाएगा। यकीन मानिए, आँकड़े जानकर आपके होश उड़ जाएंगे!

आखिर क्या बला है ये Cloudflare ?

आसान भाषा में समझाऊं, तो क्लाउडफ्लेयर इंटरनेट का ‘ट्रैफिक पुलिस’ और ‘बाउंसर’ दोनों है।
जब आप अपने ब्राउज़र में किसी वेबसाइट का नाम लिखते हैं, तो आपका कंप्यूटर उस वेबसाइट के सर्वर से कनेक्ट होने की कोशिश करता है। लेकिन अगर वेबसाइट क्लाउडफ्लेयर का इस्तेमाल कर रही है (जो कि ज्यादातर करती हैं), तो आप सीधे वेबसाइट तक नहीं पहुंचते।

आप पहले क्लाउडफ्लेयर के पास जाते हैं। क्लाउडफ्लेयर देखता है कि “भाई, तुम इंसान हो या कोई वायरस/बोट?” अगर सब सही लगता है, तभी वो आपको वेबसाइट तक जाने देता है। यह सब मिली-सेकंड्स में होता है, इसलिए आपको पता भी नहीं चलता।
असली सच: इंटरनेट का कितना हिस्सा इसके पास है ?

अब आते हैं असली सवाल पर—इंटरनेट का कितना हिस्सा वास्तव में क्लाउडफ्लेयर पर चल रहा है? जो जवाब रिसर्च में मिला, वो चौंकाने वाला है।

The Invisible Giant : इंटरनेट का वो 'गार्ड' जिसे आप रोज देखते हैं पर जानते नहीं।
The Invisible Giant : इंटरनेट का वो ‘गार्ड’ जिसे आप रोज देखते हैं पर जानते नहीं। ( image – global cyber security network )

1. हर 5 में से 1 वेबसाइट

ताज़ा आंकड़ों (W3Techs 2025 डेटा) के मुताबिक, पूरी दुनिया की लगभग 20% वेबसाइट्स क्लाउडफ्लेयर का इस्तेमाल करती हैं। सुनने में 20% कम लग सकता है, लेकिन इंटरनेट की विशाल दुनिया में यह करोड़ों वेबसाइट्स के बराबर है।

2. ‘रिवर्स प्रॉक्सी’ का राजा

वेबसाइट्स को सुरक्षित रखने वाली सर्विस (जिसे रिवर्स प्रॉक्सी कहते हैं) के मामले में क्लाउडफ्लेयर का राज है। इस बाजार में इनका हिस्सा करीब 80% है। यानी, अगर कोई वेबसाइट अपनी सुरक्षा के लिए किसी गार्ड को रखती है, तो 10 में से 8 बार वो गार्ड क्लाउडफ्लेयर ही होता है।

3. टॉप वेबसाइट्स की निर्भरता

जो दुनिया की टॉप 10,000 सबसे भारी-भरकम वेबसाइट्स हैं (जैसे Uber, Shopify, Fitbit, Discord), उनमें से लगभग 32.8% पूरी तरह से क्लाउडफ्लेयर पर निर्भर हैं।

इसे सब इस्तेमाल क्यों करते हैं ? (फ्री का जुगाड़!)

अब आप सोचेंगे कि सब इसी के पीछे क्यों पड़े हैं ? इसके दो मुख्य कारण हैं, जो एक आम आदमी को भी समझ आएंगे :

मुफ्त की सुरक्षा : क्लाउडफ्लेयर का एक ‘फ्री प्लान’ है जो छोटे ब्लॉगर्स और वेबसाइट मालिकों के लिए वरदान है। यह फ्री में आपकी साइट को हैकर्स (DDoS हमलों) से बचाता है।

रफ़्तार (Speed) : क्लाउडफ्लेयर के सर्वर दुनिया के हर कोने में हैं। मान लीजिए वेबसाइट का असली सर्वर अमेरिका में है और आप भारत से उसे खोल रहे हैं। क्लाउडफ्लेयर उस वेबसाइट की एक कॉपी भारत के सर्वर पर रख लेता है और आपको वहीं से दिखा देता है। इससे वेबसाइट बिजली की रफ़्तार से खुलती है।

जब ‘चौकीदार’ सो जाता है, तो क्या होता है ?
यही सबसे डरावना हिस्सा है। हमने 18 नवंबर 2025 को ही देखा (और उससे पहले भी कई बार), जब क्लाउडफ्लेयर के सिस्टम में एक छोटी सी गड़बड़ी आई।

The Invisible Giant : इंटरनेट का वो 'गार्ड' जिसे आप रोज देखते हैं पर जानते नहीं।
The Invisible Giant : इंटरनेट का वो ‘गार्ड’ जिसे आप रोज देखते हैं पर जानते नहीं। ( image – southeast asia )

नतीजा ?

दुनिया भर में हड़कंप मच गया। ChatGPT ने जवाब देना बंद कर दिया, लोगों की कैब बुक नहीं हो रही थीं, क्रिप्टो एक्सचेंज अटक गए और बड़ी-बड़ी न्यूज़ वेबसाइट्स पर “Error 500” दिखने लगा।

इसे तकनीकी भाषा में “Single Point of Failure” कहते हैं। यानी हमने अपने इंटरनेट के बहुत बड़े हिस्से की चाबी एक ही कंपनी को दे दी है। अगर क्लाउडफ्लेयर को जुकाम होता है, तो आधी दुनिया को बुखार आ जाता है।

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हम कितने निर्भर हैं ?

कुल मिलाकर बात ये है कि क्लाउडफ्लेयर इंटरनेट का वो अदृश्य ढांचा (Invisible Backbone) बन चुका है, जिसे हम देख नहीं पाते, लेकिन उसके बिना हमारा काम नहीं चल सकता। यह इंटरनेट को सुरक्षित भी बनाता है और तेज़ भी, लेकिन साथ ही यह एक जोखिम भी है क्योंकि बहुत ज्यादा पावर एक ही जगह केंद्रित हो गई है।

अगली बार जब आपका इंटरनेट न चले और वाई-फाई राउटर को गाली देने का मन करे, तो एक बार चेक कर लीजियेगा—हो सकता है दुनिया का ‘चौकीदार’ चाय पीने गया हो!

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