कहानी कैसे शुरू हुई : –
देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, ऑटोमोबाइल और हाईटेक इलेक्ट्रॉनिक्स के बढ़ते चलन के बीच एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई थी – जरूरी कच्चे माल यानी रेयर अर्थ मैग्नेट्स की कमी। भारत में इन मैग्नेट्स का उत्पादन बहुत कम है, इसलिए ज्यादातर कंपनियां इन्हें चीन से ही मंगाती थीं। पर पिछले कुछ महीनों से चीन ने इनके निर्यात पर कंट्रोल बढ़ा दिया था, जिससे सप्लाई में बड़ी रुकावट आ गई थी। हाल ही में बड़ी राहत की खबर आई है कि तीन भारतीय कंपनियों को चीन से रेयर अर्थ मैग्नेट्स इंपोर्ट करने का लाइसेंस मिल गया है।
कौन-कौन सी कंपनियां शामिल ? : –
सूत्रों की मानें तो इन तीन कंपनियों में हैं कॉन्टिनेंटल इंडिया, हिताची, और जय उशिन। ये नाम वैसे तो सुनने में बड़े और जानकार लगते हैं, लेकिन साधारण इंसान के लिए समझना जरूरी है कि ये वही कंपनियां हैं जो हमारे आसपास की इंडस्ट्री में लोहे-पीतल जैसे पार्ट्स और इलेक्ट्रोनिक्स के पार्ट्स बनाती हैं। ये कंपनियां अब चीन से आसानी से रेयर अर्थ मैग्नेट्स मंगाकर अपने उत्पादन को बेहतर और तेज कर सकेंगी।
क्या है ये रेयर अर्थ मैग्नेट्स ? : –
रेयर अर्थ मैग्नेट्स वो दुर्लभ खनिज चुंबक हैं जो आधुनिक इलेक्ट्रोनिक्स, इलेक्ट्रिक गाड़ियों के मोटर और कई तकनीकी उपकरणों में जरूरी हैं। ये इतनी ताकतवर चुंबकियां होती हैं कि बिना इनके कई मशीनें और गाड़ियां काम नहीं कर पातीं। भारत में इनके संसाधन कम होने की वजह से चीन पर निर्भरता बढ़ जाती थी, जो जोखिम भी था।
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चीन ने ये सुविधा क्यों दी ? : – हालांकि चीन ने पहले अप्रैल 2025 में रेयर अर्थ मैग्नेट्स पर एक्सपोर्ट कंट्रोल बढ़ा दिए थे और निर्यात को मुश्किल बना दिया था, लेकिन अब भारत की मांग को देखते हुए और दोनों देशों के बीच डिप्लोमैटिक बातचीत के बाद यह अनुमति दी गई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पुष्टि की है कि यह लाइसेंस मिलने से भारतीय ऑटो और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा।
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इसका भारत के लिए क्या मतलब ? : –
- सप्लाई चेन में बड़ी राहत मिलेगी, जिससे उद्योग बंद नहीं होंगे या उत्पादन रुकावटों से बच पाएगा।
- इससे भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और हाईटेक इलेक्ट्रॉनिक्स की कीमतों को नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी।
- विदेशी कच्चे माल पर निर्भरता में कमी आएगी और सरकार के मेक इन इंडिया अभियान को बल मिलेगा।
- तकनीकी प्रगति की गति बढ़ेगी जिससे रोजगार व मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा।
आम आदमी की नजर से : –
आम आदमी के लिए इसका मतलब साफ है – जब तक विदेशों से जरूरी मटेरियल सही से आएगा, तब तक हमारी गाड़ियां, मोबाइल, टीवी जैसी चीजें सस्ती और बेहतर होंगी। और जो नई तकनीक बाजार में आएगी, उसे आसानी से खरीदना संभव होगा। जो लोग इलेक्ट्रिक वाहनों का सपना देखते हैं, उनको ये बात खासी खुशी देगी।
आगे का रास्ता : –
चीन से मिलने वाली इस अनुमति के बाद उम्मीद की जा रही है कि अन्य भारतीय कंपनियों को भी जल्द ही ऐसी छूट मिल सकती है। हालांकि यह सब कुछ सख्त नियंत्रण और नियमों के तहत होगा ताकि यह माल डिफेंस या अमेरिका जैसे देशों तक न पहुंचे। भारत सरकार डिप्लोमैटिक तरीके से इस मामले को आगे भी संभाल रही है।
