UPSC ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, अब प्रीलीम्स के बाद ही देगी आंसर की!

हर साल लाखों युवा UPSCकी परीक्षा देते हैं, जिनका सपना होता है देश की सेवा करना। लेकिन कई सालों से जो बात सबसे ज्यादा परेशान करती थी, वो थी आंसर की की देर से जारी होने की प्रक्रिया। यही कारण था कि कई बार छात्र सही या गलत जवाबों पर सवाल नहीं उठा पाते थे। इसी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका छिड़ी थी, और अब इस मामले में यूपीएससी ने जो जवाब दिया है, वह हर आम इंसान के लिए समझने लायक है।

UPSC ने सुप्रीम कोर्ट को क्या कहा? सुप्रीम कोर्ट के सामने यूपीएससी ने एक अहम हलफनामा दिया जिसमें कहा गया है कि अब से वो सिविल सर्विसेज की प्रीलीम्स परीक्षा के तुरंत बाद ही आंसर की जारी करेगा। अब तक तो साल भर इंतजार करना पड़ता था, जब तक पूरी भर्ती प्रक्रिया खत्म न हो जाए, तभी अंतिम आंसर की प्रकाशित होती थी। लेकिन इस फैसले के बाद उम्मीदवारों को जल्दी पता चलेगा कि उन्होंने कौन से सवाल सही जवाब दिए और किस जवाब पर संशय है।यह बदलाव सुप्रीम कोर्ट में दर्ज याचिका और छात्रों की मांगों के बाद आया है।

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याचिका का कहना था कि लेट आंसर की के चलते कई योग्य उम्मीदवार बिना कारण मेनस तक नहीं पहुंच पाते, क्योंकि उनका जवाब जांचने और चुनौती देने का मौका ही नहीं मिलता। अब यूपीएससी इस बात को समझते हुए, परीक्षा के बाद ‘प्रोविजनल आंसर की’ जारी करेगा और उम्मीदवार अपनी आपत्तियां दर्ज कर सकेंगे, जो विशेषज्ञों की टीम द्वारा जांची जाएंगी।

UPSC ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, अब प्रीलीम्स के बाद ही देगी आंसर की!
UPSC ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, अब प्रीलीम्स के बाद ही देगी आंसर की!(image source -upsc)

आम भाषा में समझें तो…कल्पना कीजिए कि आप एक प्रतियोगी परीक्षा देते हैं। उसके बाद परिणाम आने में साल भर लग जाता है, लेकिन आपको ये भी पता नहीं चलता कि आपके कितने जवाब सही थे। इसलिए आप नहीं समझ पाते कि तैयारी में क्या-क्या सुधार करें। अब यूपीएससी ने कहा है कि ये इंतजार खत्म होगा। अब प्रीलीम्स के बाद जल्द ही आंसर की मिल जाएगी, ताकि आप अपनी गलतियों को जान सकें और भविष्य की तैयारी बेहतर कर सकें।यह कदम पूरी प्रक्रिया को ज्यादा पारदर्शी बनाएगा। पहले कई बार सवालों या आंसर की में त्रुटि होने के कारण उम्मीदवारों को अपनी गलती सुधारने का मौका नहीं मिलता था, अब ऐसा नहीं होगा। हर चुनौती को तीन विश्वसनीय स्रोतों से समर्थित होना जरूरी होगा, ताकि आवेग या बेबुनियादी प्रार्थनाएं खारिज की जा सकें।

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सुप्रीम कोर्ट का भी रहा योगदान इस पूरे मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट कर रहा है। कोर्ट ने वरिष्ठ वकील जयदीप गुप्ता को ‘अमिकस कुरिआई’ नियुक्त किया है, जो कोर्ट की मदद कर रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि आंसर की परीक्षा के एक दिन बाद जारी की जाए और उम्मीदवारों को एक हफ्ते का वक्त दिया जाए अपनी आपत्तियां दर्ज कराने का। इस पर यूपीएससी ने विचार किया और इस नए नियम को अपनाने का फैसला किया।साथ ही यूपीएससी ने कोर्ट को बताया कि ये फैसला संतुलित है, क्योंकि एक तरफ उम्मीदवारों का अधिकार सुरक्षित रहेगा और दूसरी तरफ परीक्षा के आधिकारिक परिणामों की विश्वसनीयता भी बनी रहेगी। अब अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होनी है, जिसमें इस मामले पर अंतिम फैसला हो सकता है।

क्यों था ये बदलाव जरूरी ? : – जब साल भर इंतजार करना पड़ता था, तो कई उम्मीदवारों को अपनी गलतियों को जानने का मौका नहीं मिलता था। इसका मतलब था कि कोई भी सवाल उठा नहीं सकता था कि क्या उनकी गलत मूल्यांकन हुई। इससे केवल उम्मीदवार ही नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठते थे। आज आधुनिक समय में पारदर्शिता और समय पर जानकारी देना बेहद जरूरी हो गया है।इसीलिए इस नए फैसले को छात्र वर्ग और आम जनता दोनों ने खूब सराहा है। इससे ना केवल तैयारी का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि हमे भी इस परीक्षा प्रणाली में सुधार की झलक दिखाई देती है।

 यूपीएससी का ये फैसला उस आम युवा की उम्मीदों का जवाब है जो दिन-रात मेहनत करता है और चाहता है कि उसका सही मूल्यांकन हो। अब जब आंसर की जल्दी मिलेगी, तो युवा भी अपनी गलतियों को समझ कर आगे बढ़ पाएंगे। वो महसूस करेंगे कि सिस्टम उनके साथ है, उन्हें धोखा नहीं दे रहा।इस फैसले से ना केवल उम्मीदवारों का भरोसा बढ़ेगा, बल्कि आने वाले समय में यूपीएससी जैसी बड़ी संस्था की इमेज भी मजबूत होगी। ये बदलाव देश में न्यायप्रियता और जवाबदेही की नई मिसाल कायम करेगा।

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