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जिस अमेरिका को लोग सपनों की धरती कहते थे, अब वहीं टैलेंट को रोकने की दीवार खड़ी हो गई है!

जिस अमेरिका को लोग सपनों की धरती कहते थे, अब वहीं टैलेंट को रोकने की दीवार खड़ी हो गई है!

जिस अमेरिका को लोग सपनों की धरती कहते थे, अब वहीं टैलेंट को रोकने की दीवार खड़ी हो गई है!(image source-business standard)

 

पहले जब कोई कहता था कि “बेटा अमेरिका जा रहा है पढ़ाई करने”, तो मोहल्ले में मिठाई बंटती थी। सबको लगता था कि अब उसका भविष्य बन गया। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। अमेरिका, जो कभी दुनिया भर के होनहारों को गले लगाता था, अब उनके लिए दरवाज़े बंद कर रहा है। और ये कोई अफवाह नहीं है—ये सरकारी फैसला है।

सितंबर 2025 में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसा फैसला लिया जिसने लाखों लोगों के सपनों को झटका दे दिया। उन्होंने H-1B वीज़ा की फीस को सीधा $100,000 कर दिया। पहले ये फीस करीब $2,000 से $5,000 के बीच होती थी। अब सोचिए, 83 लाख रूपए की फीस! इतने में तो भारत में एक अच्छा घर आ जाए।

H-1B वीज़ा क्या होता है?
ये वीज़ा अमेरिका में काम करने के लिए मिलता है, खासकर टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में। भारत से हर साल हजारों लोग इस वीज़ा पर अमेरिका जाते हैं। अभी करीब 7.3 लाख भारतीय H-1B वीज़ा पर अमेरिका में हैं, और उनके साथ 5.5 लाख परिवार के सदस्य भी।

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अब इतनी भारी फीस लगने से क्या होगा ?

छोटे स्टार्टअप, मिड-साइज़ कंपनियां और आम छात्र—सबके लिए अमेरिका जाना लगभग नामुमकिन हो गया है। जो लोग एजुकेशन लोन लेकर अमेरिका पढ़ने गए थे, अब उन्हें डर है कि नौकरी नहीं मिली तो लोन कैसे चुकाएंगे?

इस फैसले का असर सिर्फ लोगों पर नहीं, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। MUFG बैंक के मुताबिक, अमेरिका से भारत आने वाले पैसों में $8 बिलियन की कमी आ सकती है। यानी भारत के GDP का 0.2% हिस्सा कम हो सकता है।

जिस अमेरिका को लोग सपनों की धरती कहते थे, अब वहीं टैलेंट को रोकने की दीवार खड़ी हो गई है! (image source-care health insurance)

अब लोग क्या कर रहे हैं ?

बेंगलुरु के एजुकेशन कंसल्टेंट्स बता रहे हैं कि अब परिवार यूरोप, सिंगापुर जैसे देशों की तरफ देख रहे हैं। वहां वीज़ा आसान है, फीस कम है, और माहौल भी सुरक्षित है। अमेरिका में बंदूक हिंसा और नस्लीय तनाव भी लोगों को डराता है।

लेकिन इस सबके बीच एक अच्छी बात भी है। भारत के बड़े-बड़े ग्रुप जैसे अडानी अब H-1B वीज़ा धारकों को भारत में नौकरी देने की पेशकश कर रहे हैं। अमिताभ कांत जैसे नीति विशेषज्ञ कह रहे हैं कि अमेरिका का ये कदम भारत के लिए मौका है—अब टैलेंट देश में ही रुकेगा और इनोवेशन यहीं होगा।

IIT जैसे संस्थानों से हर साल 16,000 से ज़्यादा होनहार इंजीनियर निकलते हैं। पहले ये सब अमेरिका चले जाते थे, अब अगर यही लोग भारत में काम करें तो देश की टेक्नोलॉजी, स्टार्टअप और रिसर्च को नई उड़ान मिल सकती है।

अब वो ज़माना गया जब अमेरिका जाना ही सफलता की गारंटी था। अब भारत में भी मौके हैं, और अमेरिका की दीवारें हमें मजबूर कर रही हैं कि हम अपने ही घर में सपने देखें और उन्हें पूरा करें।

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