“नवदीप सिंह की जीत से भारत ने वर्ल्ड पारा चैंपियनशिप में कायम किया नया इतिहास!”

जयपुर के किसी गली से दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम तक, इन दिनों सिर्फ एक ही नाम हर जगह गूंजता रहा — नवदीप सिंह। पारा एथलेटिक्स की दुनिया में, वो अब सिर्फ खिलाड़ी नहीं, बल्कि लाखों दिलों की धड़कन बन चुके हैं। इस बार वर्ल्ड पारा एथलेटिक्स चैंपियनशिप दिल्ली में हुई और भारत ने पहली बार 22 मेडलों के साथ पूरी दुनिया में अपनी धाक जमा दी। अगर आम आदमी की नजर से देखें, तो ऐसा लग रहा है जैसे हर घर में किसी अपने ने ये जीत हासिल की हो।

नवदीप की फिनिश लाइन रविवार की शाम थी, स्टेडियम खचाखच भरा था। मौसम गर्म और उमस भरा, लेकिन माहौल में जोश की कमी नहीं थी। नवदीप सिंह, जो पिछले साल पेरिस पैरालंपिक्स में गोल्ड जीतकर हीरो बने थे, फिर मैदान में उतरे — इस बार ज्वेलिन थ्रो F41 इवेंट के लिए। शुरुआत में उनका पहला थ्रो ठीक-ठाक रहा, तीसरे प्रयास में उन्होंने 45.46 मीटर की शानदार थ्रो से सिल्वर मेडल पक्का कर दिया। खचाखच भरे स्टेडियम में तालियों की आवाज गूंज उठी, और नवदीप अपने ही अंदाज में जबरदस्त सेलिब्रेशन किया। सोशल मीडिया पर उनका जश्न वायरल हो गया — एकदम देसी, फख्र से भरा।

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"नवदीप सिंह की जीत से भारत ने वर्ल्ड पारा चैंपियनशिप में कायम किया नया इतिहास!"
“नवदीप सिंह की जीत से भारत ने वर्ल्ड पारा चैंपियनशिप में कायम किया नया इतिहास!”(image source – ndtv sports)

नवदीप का कहना था, “गोल्ड का सपना था, मगर आज की जंग बहुत मुश्किल थी। फिर भी ये सिल्वर मेरे लिए दीवाली की मिठाई जैसा है।”भारत का रिकॉर्ड – जोश, जीत और उम्मीदें 2025 की वर्ल्ड पारा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत ने कुल 22 मेडल जीते — 6 गोल्ड, 9 सिल्वर, और 7 ब्रॉन्ज। पिछली बार भारत ने 17 मेडल जीते थे, लेकिन इस बार दिल्ली में भारतीय खिलाड़ियों ने अपने जोश और मेहनत के दम पर भारत को टॉप 10 में जगह दिला दी। इन मेडलों में नवदीप के अलावा और भी सितारे चमके — सिमरन शर्मा ने महिला 100 मीटर T12 में गोल्ड, प्रीति पाल ने महिला 100 मीटर T35 में सिल्वर, और संदीप ने पुरुष 200 मीटर T44 में ब्रॉन्ज जीता। हर खिलाड़ी ने अपनी कहानी खुद लिखी, कभी नई उम्मीदों के साथ, कभी पुराने जख्मों को भूल कर।

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आम आदमी की नजर — गर्व, मुस्कान और सपना सोचिए, कितनी बार सुना है – “हमारे बच्चे खेलते रहेंगे, नाम रोशन करेंगे!” अब ये शब्द सिर्फ शांत दिलासों तक सीमित नहीं, बल्कि हर गली, स्कूल और मोहल्ले की उम्मीद बन चुके हैं। आज जब नवदीप सिंह अपनी जीत पर खुशी मनाते हैं, तो सिर्फ उनके परिवार या साथी ही नहीं, बल्कि देश का हर आम इंसान खुद को विजेता महसूस करता है।इन खिलाड़ियों की मेहनत, व्यवस्थाओं की दिक्कतों के बावजूद तमाम चुनौतियों को पार करना — यही भारत की सबसे बड़ी ताकत है। ये मेडल सिर्फ जीत नहीं, अपनों का सपना, उनके संघर्ष और लगातार जीतने की जिद की कहानी भी है।

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