2025 के विश्व के टॉप 10 विश्वविद्यालय और भारत की मजबूरी: कारण, रैंकिंग और सुधार की दिशा

सोचिए, गाँव के एक लड़के अजय, और दिल्ली की एक लड़की सिया, दोनों की तमन्ना है कि उनकी डिग्री पर दुनिया के सबसे बड़े विश्वविद्यालय का नाम लिखा हो। परेशानी ये है कि हम सब सुनते तो हैं MIT, ऑक्सफोर्ड, हार्वर्ड के किस्से, लेकिन असल में आजकल कौन-सा विश्वविद्यालय नंबर 1 है, और बाकी टॉप 10 कौन से हैं, ये हर किसी को नहीं पता होता। तो चलिए, 2025 के ताजातरीन “QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स” के हिसाब से आम लोगों की बोली में टॉप 10 विश्वविद्यालयों की चर्चा करते हैं।

2025 के टॉप 10 वर्ल्ड यूनिवर्सिटीज़ : –

  1.  MIT – America
  2. Imperial College London – England
  3. Oxford University -England
  4. Harvard University – England
  5. Cambridge University – England
  6. Stanford University – America
  7. ETH Zurich – Switzerland
  8. National University Of Singapore – Singapore
  9. University College London – England
  10. California Institute Of Technology – England

 

इनमें से MIT तो कुछ सालों से लगातार नंबर 1 पर बना हुआ है। इम्पीरियल कॉलेज लंदन ने इस साल चार पायदान छलांग लगाई – जो बड़ी बात है।

 

ये यूनिवर्सिटी टॉप में क्यों हैं ?

  • MIT, हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड जैसी अमेरिकी यूनिवर्सिटी रिसर्च और इनोवेशन के मामले में जगप्रसिद्ध हैं।
  • ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज इंग्लैंड की शान हैं, इनकी फैकल्टी और पुरानी गहराई इन्हें अलग बनाती है।
  • ETH ज्यूरिख ने इंजीनियरिंग और विज्ञान के क्षेत्र में बड़ा नाम किया है।
  • नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर, एशिया में सबसे आगे निकल चुकी है।

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किस देश से कितने विश्वविद्यालय ?

अमेरिका के चार, इंग्लैंड के चार, स्विट्ज़रलैंड, सिंगापुर से एक-एक।
इससे साफ है कि शिक्षा और रिसर्च के लिए इंग्लिश स्पीकिंग देश अभी भी बाकी दुनिया से आगे चल रहे हैं।

आम आदमी को क्यों जानना चाहिए ?

  • दुनिया के टॉप विश्वविद्यालयों में एडमिशन का सपना हर स्टूडेंट देखता है।
  • ये रैंकिंग नौजवानों को हवा-हवाई सपनों की जगह हकीकत में रास्ता चुनने में मदद करती है।
  • बहुत सारे छात्र स्कॉलरशिप, रिसर्च फेलोशिप और एक्सचेंज प्रोग्राम्स के डर से अप्लाय नहीं करते—जब असली लिस्ट जानेंगे तो थोड़ी तैयारी और ज्यादा भरोसा भी आएगा।
  • अभिभावकों को भी राह दिखती है कि किस विश्वविद्यालय में फीस, क्वालिटी और कॅरियर ग्रोथ कैसी है।
2025 के विश्व के टॉप 10 विश्वविद्यालय और भारत की मजबूरी: कारण, रैंकिंग और सुधार की दिशा
2025 के विश्व के टॉप 10 विश्वविद्यालय और भारत की मजबूरी: कारण, रैंकिंग और सुधार की दिशा(image source – topuniversities)

रैंकिंग कैसे तय होती है ?

इस साल QS रैंकिंग्स ने सिर्फ रिसर्च, फैकल्टी या इंटरनैशनल स्टूडेंट्स पर ही नहीं, बल्कि रोजगार और सतत विकास (Sustainability) जैसे फैक्टर भी जोड़े हैं। इसीलिए अब यह रैंकिंग नवीनीकरण, डाइवर्सिटी और रोजगार जैसे मुख्य मुद्दों को भी तवज्जो देती है।

 

भारत की टॉप रैंकिंग वाली यूनिवर्सिटीज़

भारत की यूनिवर्सिटीज़ का प्रदर्शन पिछले कुछ वर्षों में काफी सुधरा है और अब कई भारतीय विश्वविद्यालय विश्व की टॉप रैंकिंग में अपनी जगह बना रहे हैं।

2025 की QS रैंकिंग के अनुसार भारत की टॉप यूनिवर्सिटीज़ निम्नलिखित हैं : –

  1. IIT Bombay – World Rank – 152
  2. IIT Delhi – World Rank – 155
  3. IIT Madras -World Rank – 173
  4. Delhi University – World Rank – 189
  5. IIT Kanpur -World Rank – 210

 

भारत की रैंकिंग में गिरावट के कारण : –

  • अंतरराष्ट्रीय छात्रों की कमी: अधिकांश भारतीय विश्वविद्यालयों में विदेशी छात्रों की संख्या कम हो गई है। दुनिया के अन्य देश अपने विश्वविद्यालयों में ज्यादा अंतरराष्ट्रीय छात्र लाने में सफल रहे हैं, जबकि भारत पीछे रह गया है।
  • फैकल्टी से संबंधित चुनौतियां: भारत में कई विश्वविद्यालयों का फैकल्टी (शिक्षक) से छात्र अनुपात सही नहीं है। पर्याप्त और क्वालिटी वाली फैकल्टी की कमी के कारण शिक्षण और रिसर्च पर असर पड़ा है। कई संस्थानों में पीएचडी करने वाले शिक्षक कम हैं, जो रैंकिंग में नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • रिसर्च और उद्धरणों (Citations) में कमी: रिसर्च की संख्या और उस रिसर्च के उद्धरण भी कम रहना एक बड़ी समस्या है। विश्व के टॉप विश्वविद्यालय रिसर्च में आगे होते हैं और उनके पेपर ज्यादा उद्धृत होते हैं, जिससे उनका नाम भी चमकता है।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग और नेटवर्क कम होना: भारत के विश्वविद्यालयों के पास दूसरे देशों के विश्वविद्यालयों के साथ कम सहयोग नेटवर्क हैं, जिससे ग्लोबल कॉलेजों से मेल जोल कम हो जाता है।
  • ग्रामीण और शहरी विभाजन: कई भारतीय विश्वविद्यालयों में संसाधन और इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में असमानता है, जो क्वालिटी एजुकेशन को प्रभावित करता है।

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क्या भारत में सुधार हो रहा है ? 

बेशक, भारत की स्थिति में सुधार भी हो रहा है। क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में भारतीय विश्वविद्यालयों की संख्या पिछले 10 सालों में 11 से बढ़कर 46 हो गई है, जो महत्त्वपूर्ण प्रगति है। कुछ संस्थान जैसे UPS (यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज) ने बहुत तेजी से रैंकिंग में ऊपर उठाया है। IIT दिल्ली और IIT मद्रास जैसी यूनिवर्सिटीज़ ने रिसर्च क्वालिटी को बेहतर बनाया है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है।

आम छात्रों और माता-पिता के लिए इसका अर्थ : –

  • छात्रों को अब सिर्फ अच्छे नंबर लाने से ज्यादा रिसर्च, फैकल्टी के बारे में भी सोचना होगा।
  • वे विदेशों में पढ़ाई के लिए आवेदन करते समय अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखें।
  • भारत सरकार और विश्वविद्यालयों को भी पहल करनी होगी कि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें।
  • बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, फैकल्टी ट्रेनिंग, और ग्लोबल नेटवर्क को बढ़ावा देने की जरूरत है।

 

बच्चों के ख्वाबों और असली दुनिया का फ़र्क : –

अजय और सिया को अब पता है, अगर MIT या ऑक्सफोर्ड में पढ़ना है तो सिर्फ नंबर ही नहीं, पर्सनैलिटी और सोच दोनों दमदार चाहिए।
आज वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स सिर्फ एक लिस्ट नहीं, बल्कि वह ‘रोडमैप’ है जो मामूली गांव-शहर के छात्रों को भी बड़े सपने देखने की हिम्मत देता है।

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