दो साल की मेहनत, और फिल्म बनी ही नहीं: अनुराग कश्यप ने बताया बेसिल जोसफ का ‘शक्तिमान’ अनुभव

 

अब आप सोचिए, कोई डायरेक्टर दो साल तक एक फिल्म पर काम करे, स्क्रिप्ट लिखे, मीटिंग करे, प्लानिंग करे — और आखिर में फिल्म बने ही नहीं। ऐसा ही कुछ हुआ मलयालम सिनेमा के चर्चित डायरेक्टर बेसिल जोसफ के साथ, और इस बात का खुलासा किया खुद अनुराग कश्यप ने।

अनुराग कश्यप, जो अपने बेबाक अंदाज़ और साफ-साफ बोलने के लिए जाने जाते हैं, हाल ही में एक इंटरव्यू में बोले कि बेसिल जोसफ ने अपनी ज़िंदगी के दो साल ‘शक्तिमान’ फिल्म बनाने की कोशिश में बर्बाद कर दिए। अब ये बात सुनकर थोड़ा झटका लगता है, क्योंकि ‘शक्तिमान’ तो हमारे बचपन का सुपरहीरो है — टीवी पर उसका नाम सुनते ही बच्चे टीवी के सामने बैठ जाते थे।

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तो हुआ यूं कि सोनी पिक्चर्स ने भारत के पहले सुपरहीरो ‘शक्तिमान’ पर फिल्म बनाने का प्लान किया। इसके लिए उन्होंने ‘मिन्नल मुरली‘ जैसी हिट फिल्म बना चुके बेसिल जोसफ को डायरेक्टर के तौर पर चुना। फिल्म में लीड रोल के लिए पहले रणवीर सिंह का नाम सामने आया, फिर बाद में अल्लू अर्जुन की चर्चा भी हुई। लेकिन फिल्म कभी बन ही नहीं पाई।

अनुराग कश्यप ने बताया कि मलयाली मनोरमा अवॉर्ड्स के दौरान उनकी मुलाकात बेसिल से हुई। बातचीत में बेसिल ने बताया कि उन्होंने दो साल तक ‘शक्तिमान’ फिल्म के लिए मेहनत की — लेकिन बॉलीवुड की ईगो और अंदरूनी राजनीति के चलते प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पाया। अनुराग ने कहा, “मैंने उससे पूछा कि तू ये ‘पॉनमैन’ जैसे रोल कैसे कर लेता है, वो भी ‘मिन्नल मुरली’ बनाने के बाद। उसने हंसते हुए कहा, मैंने अपनी लाइफ के दो साल ‘शक्तिमान’ करने में बर्बाद कर दिए।”

अब आम आदमी की नजर से देखें तो ये बहुत बड़ी बात है। हम जैसे लोग तो एक फिल्म के ट्रेलर देखकर ही एक्साइटेड हो जाते हैं, और यहां डायरेक्टर दो साल तक बैठा रहा, लेकिन फिल्म बनी ही नहीं। सोचिए, कितनी मीटिंग्स हुई होंगी, कितनी बार स्क्रिप्ट बदली गई होगी, कितनी बार उम्मीद जगी होगी — और फिर सब ठप।

दो साल की मेहनत, और फिल्म बनी ही नहीं: अनुराग कश्यप ने बताया बेसिल जोसफ का 'शक्तिमान' अनुभव
दो साल की मेहनत, और फिल्म बनी ही नहीं: अनुराग कश्यप ने बताया बेसिल जोसफ का ‘शक्तिमान’ अनुभव(image source-Wikipedia)

इससे एक बात साफ होती है कि फिल्म इंडस्ट्री में सिर्फ टैलेंट से काम नहीं चलता, वहां ईगो, पॉलिटिक्स और बड़े-बड़े नामों की टकराहट भी बहुत मायने रखती है। बेसिल जैसे डायरेक्टर, जिन्होंने ‘मिन्नल मुरली’ जैसी शानदार फिल्म दी, वो भी बॉलीवुड की अंदरूनी खींचतान में उलझ गए।

अब सवाल ये है कि क्या ‘शक्तिमान’ फिल्म कभी बनेगी? क्या हम अपने बचपन के सुपरहीरो को बड़े पर्दे पर देख पाएंगे? फिलहाल तो कोई पक्का जवाब नहीं है। लेकिन इतना जरूर है कि अगर फिल्म बनेगी, तो उसे बनाने वाले को बहुत धैर्य और समझदारी की जरूरत होगी।

अंत में यही कहना चाहूंगा कि बेसिल जोसफ का अनुभव सिर्फ एक फिल्म का नहीं, बल्कि उस सिस्टम का आईना है जिसमें टैलेंट से ज्यादा तिकड़म चलती है। और अनुराग कश्यप जैसे लोग जब ऐसी बातें सामने लाते हैं, तो हमें समझ आता है कि फिल्म बनाना सिर्फ कैमरा चलाना नहीं — बल्कि एक लंबी लड़ाई है, जिसमें कई बार दो साल की मेहनत भी बेकार चली जाती है।

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