Apple पर कॉपीराइट किताबों से AI ट्रेनिंग के लिए मुकदमा

Apple पर कॉपीराइट किताबों से AI ट्रेनिंग का मुकदमा

एप्पल नाम की विख्यात कंपनी पर कॉपीराइट उल्लंघन का मुकदमा हुआ है। इसकी वजह है उनकी नई तकनीक, जिसे Apple Intelligence कहा जाता है। इस AI सिस्टम को ट्रेन करने के लिए reportedly उन्होंने हजारों कॉपीराइटेड किताबों का बिना अनुमति इस्तेमाल किया है।

मामला क्या है ? : –

कहानी ये शुरू हुई अमेरिका के कैलिफोर्निया में जहां दो न्यूरोसाइंटिस्ट यानी दिमाग और तंत्रिका विज्ञान के प्रोफेसर – सुजाना मार्टिनेज-कॉन्डे और स्टीफन मैकनिक ने ये आरोप लगाया कि एप्पल ने उनका और कई अन्यों का कॉपीराइटेड साहित्य बिना अनुमति लिए इस्तेमाल कर लिया। उन्होंने कहा कि एप्पल ने “शैडो लाइब्रेरीज” से पायरेटेड किताबें लेकर अपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को ट्रेन किया। शैडो लाइब्रेरीज का मतलब ऐसे डिजिटल पुस्तकालय होते हैं जहां चोरी की हुई किताबें होती हैं।

क्यों बड़ी बात है ये ? : –

सोचिए, कोई बड़ी कंपनी आपकी मेहनत की किताबों को बिना पूछे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करे और आपको उसका कुछ ना दे। ये कॉपीराइट उल्लंघन की सीधी बात है। और इससे लेखक, किताबें छापने वाले प्रकाशक, संगीतकार जैसे क्रिएटिव लोग बहुत नुकसान उठाते हैं।

इसके अलावा, इस केस से ये भी सवाल उठता है कि AI तकनीक के लिए काम करने वाले बड़े टेक्नोलॉजी फर्मों को किस हद तक कॉपीराइट वाले कामों का इस्तेमाल करना चाहिए? एक तरफ टेक कंपनियां बड़ी तेजी से नई-नई AI सेवाएं बना रही हैं, तो दूसरी तरफ जो उनकी मदद से पैसे कमाते हैं, उन्हें किस हक से उनकी मेहनत का कोई हिस्सा नहीं दिया जाता?

एप्पल के खिलाफ दूसरी बार मुकदमा : –

ये पहली बार नहीं है जब एप्पल पर ऐसा आरोप लगा हो। पिछले महीने भी कुछ और राइटर्स ने इसी तरह का असरदार मुकदमा किया है, जिसमें कहा गया कि एप्पल ने उनकी किताबों का उपयोग भी AI ट्रेनिंग के लिए किया। ये मामला उन बड़े मुकदमों का हिस्सा है जो अब Microsoft, OpenAI और Meta जैसे दिग्गज टेक फर्मों के खिलाफ भी चल रहे हैं।

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क्या Apple Intelligence है ? : –

Apple Intelligence, एप्पल का AI सिस्टम है जो iPhone और iPad जैसे डिवाइसेज में काम करता है। जब एप्पल ने इस सिस्टम की घोषणा की, उसी दिन कंपनी की मार्केट वैल्यू 200 बिलियन डॉलर से ज्यादा बढ़ गई, जो कंपनी के इतिहास का सबसे बड़ा एकल दिन था। यानी AI की दुनिया में एप्पल की पकड़ और भी मजबूत होने वाली है। लेकिन सवाल ये है कि क्या उन्होंने ये तकनीक विकसित करते वक्त सही तरीके से कॉपीराइटेड मैटेरियल का इस्तेमाल किया या नहीं।

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Apple पर कॉपीराइट किताबों से AI ट्रेनिंग के लिए मुकदमा
Apple पर कॉपीराइट किताबों से AI ट्रेनिंग के लिए मुकदमा(image source – gizbot)

मुकदमे की मांग : –

दो प्रोफेसर मार्टिनेज-कॉन्डे और मैकनिक कोर्ट से चाहते हैं कि एप्पल को पैसे के रूप में क्षतिपूर्ति (डैमेज) देनी चाहिए और साथ ही उसे निर्देश दिया जाए कि वह बिना अनुमति लिए उनके या किसी भी कॉपीराइटेड लेखक के काम का उपयोग बंद करे।

इस मामले का बड़ा मतलब : –

यह केस केवल एप्पल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे टेक इंडस्ट्री और लेखक समुदाय के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है। AI के जमाने में जब टेक कंपनियां बड़े पैमाने पर डाटा और कॉन्टेंट का इस्तेमाल कर रही हैं, तो कॉपीराइट का सम्मान और कानूनी अधिकार भी मजबूत होना चाहिए।

एक तरफ जहां टेक फर्मों के लिए हाई क्वालिटी डाटा चाहिए, तो वहीं दूसरी तरफ कापीराइटदारों के लिए भी उनके काम का उचित सम्मान और भुगतान जरूरी है। दोस्तों, ये कहानी हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि टेक्नोलॉजी और कानून का संतुलन कैसे बनाया जाए ताकि दोनों हित सुरक्षित रहें। एप्पल का ये केस यह बताता है कि बड़े कंपनियां भी नियमों के ऊपर नहीं हैं। और हर क्रिएटर को उनकी मेहनत का सही अधिकार मिलना चाहिए।

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