जन-मंच

लोकतंत्र पर सवाल: DMK ने सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग के SIR आदेश को चुनौती दी

लोकतंत्र पर सवाल: DMK ने सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग के SIR आदेश को चुनौती दी

लोकतंत्र पर सवाल: DMK ने सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग के SIR आदेश को चुनौती दी ( image source - www.dmk.in)

DMK ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, कहा SIR है असल में NRC जैसा

SIR क्या है और क्यों हुआ विवाद ? : –

हमारे देश में चुनावों की तैयारी तेज हो रही है और चुनाव आयोग (EC) ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण के लिए एक खास प्रक्रिया शुरू की है, जिसका नाम है Special Intensive Revision यानी SIR। इसके तहत पुराने वोटर लिस्ट की जांच-पड़ताल तेज़ी से की जाती है, ताकि सही लोगों के नाम लिस्ट में हों और गैर-जरूरी या गलत सूचनाएं हटाई जा सकें।

लेकिन तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी DMK ने इस कदम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उनका कहना है कि इस प्रक्रिया में बड़ी गड़बड़ी हो रही है, जो अनगिनत सचेत वोटरों को वोटिंग से वंचित कर सकती है। DMK का आरोप है कि SIR असल में NRC (National Register of Citizens) जैसा एक छुपा हुआ तरीका है, जो लोगों को उनके मताधिकार से वंचित कर सकता है।

DMK की सुप्रीम कोर्ट में याचिका की वजह : –

DMK ने सुप्रीम कोर्ट में यह कहा कि चुनाव आयोग ने SIR को इतने

लोकतंत्र पर सवाल: DMK ने सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग के SIR आदेश को चुनौती दी(image source – the hindu )

कम समय में और बिना उचित प्रक्रिया अपनाए बड़े पैमाने पर लागू किया है। इसके चलते लाखों वोटर्स जो असल में चुनाव में हिस्सा लेने वाले हैं, उनके नाम लिस्ट से हटा दिए गए हैं। ये प्रक्रिया संविधान के कई अधिकारों का उल्लंघन करती दिखती है, जैसे कि समानता का अधिकार (Article 14), अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Article 19), और जीवन व स्वतंत्रता का अधिकार (Article 21)।DMK के संगठन सचिव और वरिष्ठ नेता आर. एस. भारती ने कहा है कि यह निर्णय लोकतंत्र को कमजोर कर रहा है और चुनाव आयोग अपने दायरे से बाहर जाकर मनमानी कर रहा है। उनका कहना है कि SIR एक तरह से वोटरों की पहचान और वोट देने के अधिकार को खतरे में डालती है।

CM एम के स्टालिन का सख्त आरोप : –

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने SIR को “एक राजनीतिक षडयंत्र” करार दिया है। उनका आरोप है कि यह वही तरीका है जो बिहार में इस्तेमाल किया गया था, जिसमें विपक्षी वोटरों को निशाना बनाया गया था। स्टालिन ने कहा कि चुनाव आयोग भाजपा के निर्देश पर काम कर रहा है और इसका मकसद विपक्ष को कमजोर करना है।

स्टालिन ने कहा कि चुनाव आयोग इस SIR प्रक्रिया के तहत चुनाव से पहले सही वोटरों को हटाने की कोशिश कर रहा है, जिससे देश के 12 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव प्रभावित होंगे।

विपक्षी पार्टियों का समर्थन : –

DMK की इस याचिका को तमिलनाडु के लगभग 44 दलों का समर्थन मिला है। इनमें कई प्रमुख पार्टियां भी हैं जिन्होंने EC के SIR कदम की आलोचना की है। AIADMK जैसे विपक्षी दल भी चुनाव आयोग की इस नीति का विरोध कर रहे हैं, हालांकि वे स्वतंत्र रूप से काम कर रहे हैं।

सवाल उठ रहे हैं — क्या SIR से लोकतंत्र खतरे में ? : –

SIR जैसा उपाय अगर सही तरीके से और पारदर्शिता से लागू न किया जाए, तो लोकतंत्र की मूल भावना पर खतरा आ सकता है। लाखों वोटर जिनकी पहचान सही है, अगर उनसे उनका वोटिंग अधिकार छिन लिया जाए तो चुनाव निष्पक्ष नहीं रहेंगे। DMK ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है कि SIR को तत्काल रोका जाए ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया सही तरीके से चल सके।

ये भी पढ़े : – 51 करोड़ मतदाताओं के लिए बड़ी प्रक्रिया: 12 राज्यों/संघशासित प्रदेशों में Special Intensive Revision (SIR) आज से 

आम आदमी की समझ : – 

चुनाव का मतलब होता है लोग अपने प्रतिनिधि चुनें। अगर चुनाव आयोग वोटर लिस्ट पर मनमानी करता है, तो आम आदमी का वोटिंग अधिकार खतरे में पड़ जाता है। DMK की याचिका आम लोगों के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह है जो चुनावों को निष्पक्ष बनाए रखने की कोशिश करती है।

ये भी पढ़े : – झारखंड सरकार ने विश्वविद्यालय और कॉलेजों के लिए दिए 200 करोड़ रुपये

बहुत से लोग इससे डरते भी हैं कि कहीं उनकी वोटिंग लिस्ट से नाम न हट जाए, इसलिए चुनाव आयोग और सरकार से पारदर्शी और निष्पक्ष व्यवहार की उम्मीद की जा रही है।

आखिरी बात : –

SIR-विरोधी इस याचिका ने देश के चुनावी माहौल को गरम कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट अब इस पर जल्द सुनवाई करेगा। इसके फ़ैसले से न केवल तमिलनाडु बल्कि पूरे देश के चुनावी रीति-रिवाज प्रभावित होंगे। यह मामला हमें यह भी याद दिलाता है कि लोकतंत्र को बचाए रखना तभी संभव है जब चुनाव आयोग और सरकारें पूरी ईमानदारी से नियम कायदे अपनाएं, और मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा करें।

Exit mobile version