अब ट्रेन सिर्फ मुसाफिर नहीं ले जाती—भारत ने रेल से मिसाइल दागकर दुनिया को चौंका दिया!

 

जब हम ट्रेन की बात करते हैं, तो दिमाग में क्या आता है? स्टेशन, सीटी, डिब्बे, और सफर। लेकिन अब भारत ने ट्रेन को ऐसा रूप दे दिया है कि वो दुश्मनों पर मिसाइल दागने का ज़रिया बन गई है। हां, आपने सही सुना—भारत ने पहली बार रेल लॉन्चर से मिसाइल दागी है। और ये कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि 25 सितंबर 2025 को हकीकत में हुआ है।

रात के अंधेरे में ओडिशा के चांदीपुर टेस्ट रेंज से भारत ने अग्नि-प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण किया। लेकिन इस बार बात सिर्फ मिसाइल की नहीं थी—बात थी उसे दागने के तरीके की। इस बार मिसाइल को एक खास तरह की ट्रेन से लॉन्च किया गया, जिसे “रेल-बेस्ड मोबाइल लॉन्चर” कहते हैं। ये सिस्टम पूरी तरह से स्वदेशी है और भारत के किसी भी रेल नेटवर्क पर चल सकता है।

अब सोचिए, अगर युद्ध के हालात हों और सेना को जल्दी से मिसाइल तैनात करनी हो, तो ये ट्रेन कहीं भी जाकर मिसाइल दाग सकती है। न कोई रनवे चाहिए, न कोई बड़ा लॉन्च पैड। बस ट्रेन को सही जगह ले जाइए और मिसाइल छोड़ दीजिए।

इस लॉन्चर की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसे किसी भी मौसम में, कम दृश्यता में, और बेहद कम समय में एक्टिव किया जा सकता है। यानी दुश्मन को पता भी नहीं चलेगा और मिसाइल निकल जाएगी। यही तो असली ताकत है।

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अब बात करते हैं उस मिसाइल की जो इस ट्रेन से दागी गई—अग्नि-प्राइम। ये अग्नि सीरीज़ की नई पीढ़ी की मिसाइल है। इसकी मारक क्षमता 1000 से 2000 किलोमीटर तक है। ये परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है और बेहद हल्की भी है, जिससे इसे मोबाइल लॉन्चर से आसानी से दागा जा सकता है।

अब ट्रेन सिर्फ मुसाफिर नहीं ले जाती—भारत ने रेल से मिसाइल दागकर दुनिया को चौंका दिया!(image source -instagram)

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफलता पर DRDO और सेना को बधाई दी और कहा कि भारत अब उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जिनके पास रेल नेटवर्क से मिसाइल लॉन्च करने की क्षमता है। इससे पहले रूस, चीन और उत्तर कोरिया ने ऐसा किया था। अमेरिका ने कभी इसकी पुष्टि नहीं की।

अब आम आदमी के लिए ये समझना जरूरी है कि ये तकनीक सिर्फ दिखावे के लिए नहीं है। ये भारत की सुरक्षा को मजबूत करती है। अगर कभी युद्ध जैसी स्थिति बने, तो सेना को फिक्स लॉन्च साइट पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। ट्रेन से मिसाइल दागने का मतलब है—तेज़ी, गोपनीयता और लचीलापन।

इस सिस्टम को “कैनिस्टराइज्ड लॉन्चिंग सिस्टम” कहा जाता है। इसमें मिसाइल को एक मजबूत धातु के कंटेनर में रखा जाता है, जिससे वो धूल, नमी और मौसम से सुरक्षित रहती है। इससे मिसाइल की उम्र भी बढ़ती है और लॉन्चिंग आसान हो जाती है।

अब ट्रेन सिर्फ सफर का ज़रिया नहीं रही। अब वो देश की सुरक्षा का हिस्सा बन गई है। और ये सब हुआ है भारत की तकनीकी ताकत और वैज्ञानिकों की मेहनत से। अगली बार जब आप ट्रेन की सीटी सुनें, तो याद रखिए—अब वो सिर्फ मुसाफिर नहीं, मिसाइल भी ले जा सकती है।

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