IDBI बैंक को किसी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के साथ मर्ज किए जाने की मांग, अधिकारियों ने वित्त मंत्री से लगाई गुहार
IDBI बैंक की स्थिति और मर्जर की चर्चा : –
पिछले कुछ समय से IDBI बैंक के मर्जर की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं। देश की बड़ी बैंकिंग घटनाओं में से एक यह है कि IDBI बैंक को किसी बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के साथ मिलाने की मांग अधिकारियों के बीच से उठ रही है। हाल ही में ऑल इंडिया बैंकिंग ऑफिसर्स एसोसिएशन (AIIBOA) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर इस मुद्दे को प्राथमिकता देने की बात कही है। उनका मानना है कि मर्जर से न सिर्फ बैंक के डिपॉजिटर्स और लघु उधारकर्ताओं के हित सुरक्षित होंगे, बल्कि कर्मचारियों की चिंता भी कम होगी।
क्यों है मर्जर जरूरी ? : –
IDBI बैंक पिछले कुछ वर्षों से लगातार मुनाफा कमा रहा है, लेकिन बाजार में इसकी हिस्सेदारी और पूंजी की मजबूती को और बेहतर बनाने के लिए इसे किसी बड़े बैंक के साथ जोड़ना जरूरी है। बैंक के अधिकारियों का कहना है कि निजी या विदेशी निवेशकों को बैंक बेचने के बजाय, सार्वजनिक क्षेत्र के किसी मजबूत बैंक के साथ इसका विलय देश हित में होगा। इससे बैंक की विश्वसनीयता और ग्राहक सेवा दोनों में सुधार होगा।
कर्मचारियों और सामाजिक वर्गों की चिंता : –
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि IDBI बैंक के कर्मचारियों का बड़ा हिस्सा कमजोर सामाजिक वर्गों से आता है, जैसे SC, ST, OBC, EWS, महिलाओं और दिव्यांगों से। मर्जर ना होने पर इन कर्मचारियों की सेवाएं, पेंशन और भविष्य सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। इसलिए उनकी सामाजिक सुरक्षा और रोजगार को बनाए रखना भी जरूरी बताया गया है।
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सरकार की योजना और प्रक्रिया : –
सरकार फिलहाल बैंकिंग सेक्टर में मर्जर को लेकर सतर्क रुख अपनाए हुए है। नई नीति के तहत अब छोटे और कमजोर बैंकों को बड़े टिकाऊ बैंकों के साथ जोड़ने की योजना है, लेकिन इसमें हर कदम सोच-समझकर उठाया जाएगा। IDBI बैंक को लेकर भी कई संभावित विकल्पों पर विचार हो रहा है, जिसमें Kotak Mahindra Bank जैसे निजी बैंक भी रुचि दिखा चुके हैं, जबकि अधिकारियों और कर्मचारियों की मांग है कि इसे सार्वजनिक क्षेत्र में ही रखा जाए।
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आम आदमी की नजर से समझें : –
अब अगर आप आम इंसान के तौर पर सोचें तो, बैंक का मर्जर होना या न होना आपके पैसे, लोन, एफडी या बैंक के काम के तरीके पर असर डाल सकता है। मर्जर होने पर बैंक की सेवाएं बेहतर हो सकती हैं, सुविधाएं बढ़ सकती हैं और बैंक मजबूत होगा। लेकिन वहीं, कुछ दिनों के लिए असुविधाएं भी हो सकती हैं जैसे शाखाओं का समेकन या नई प्रणाली में परिवर्तन। इसीलिए बैंक कर्मचारियों का मनोबल भी महत्वपूर्ण है जो सर्वश्रेष्ठ सेवा को सुनिश्चित करते हैं।
मर्जर के फायदे और चुनौतियां : –
- फायदे : – पूंजी बढ़ेगी, बैंक का नेटवर्क मजबूत होगा, तकनीकी व डिजिटल सेवाएं सुधरेंगी, ग्राहक सेवा बेहतर होगी।
- चुनौतियां: प्रक्रियागत बदलाव, कर्मचारी पुनर्संरचना, शाखाओं का बंद होना, वतन सुरक्षा की चिंता।
सरकार और वित्त मंत्री के सामने अब चुनौती यही है कि इस प्रक्रिया को कैसे जनता और कर्मचारियों के हित में सरल और सटीक रूप में लागू किया जाए।
