घाटशिला उपचुनाव 2025: कौन बनेगा मंत्री, किसका बदलेगा प्रत्याशी?

घाटशिला उपचुनाव इन दिनों सिर्फ नेताओं या खबरों की दुनिया में ही नहीं, बल्कि गांव-कस्बों की हर चाय-गुमटी और चौपाल पर चर्चा का टॉपिक बना हुआ है। इस चुनाव को लेकर अफवाहें, बयानबाजी और अगले मंत्री की अटकलों ने माहौल बहुत ही दिलचस्प बना दिया है। जब-जब चुनावी मौसम आता है, झारखंड में राजनीति का पारा अपने आप चढ़ जाता है। इस बार तो स्थिति कुछ ज्यादा ही उलझी हुई है।

कहानी शुरू होती है प्रत्याशी बदलने की चर्चाओं से :

कुछ दिन पहले घाटशिला की गलियों में एक खबर गूंज रही थी — “इस बार जेएलकेएम अपना प्रत्याशी बदलने वाली है!” गांववाले, दुकानदार, ऑटो वाले, सबआपस में पूछ रहे थे कि अबकी बार कौन लड़ेगा ? रामदास मुर्मू पिछली बार भी मैदान में थे, तब उन्हें करीब आठ हज़ार वोट मिले थे। इस बार भी जेएलकेएम ने रामदास मुर्मू को ही टिकट दिया, लेकिन नामांकन के ऐन वक्त तक तरह-तरह की अटकलें लगाई जाती रहीं। ऐसे में कइयों ने सोचा कि क्या जेएलकेएम अपनी चाल बदल रही है, या फिर सिर्फ जनता के बीच उत्सुकता बढ़ानी है?

फिर आई मंत्री बनने की अटकलें : –

इसके ठीक बाद नए किस्से ने तूल पकड़ा — “अब जयराम महतो को मंत्री बनाए जाने की चर्चा चल रही है।” घाटशिला के बाजार में लोग आपस में बातें कर रहे थे — “देखो भाई, नेता लोग चुनाव के टाइम में कहां-कहां घूम जाते हैं”। सोशल मीडिया और खबरों ने भी इस आग में घी डाला। कई स्थानीय नेता तो यहां तक कहने लगे कि जयराम महतो की एक पार्टी के साथ नजदीकी बढ़ रही है, शायद मंत्री की सीट फाइनल हो जाएगी। लेकिन जिस तेजी से यह हवा चली, उसी तेजी से इंद्रजीत मुर्मू ने आगे आकर सभी बातों को अफवाह बताया — उन्होंने साफ कहा, “मैं जयराम के साथ मजबूती से खड़ा हूं”।

घाटशिला उपचुनाव 2025: कौन बनेगा मंत्री, किसका बदलेगा प्रत्याशी?
घाटशिला उपचुनाव 2025: कौन बनेगा मंत्री, किसका बदलेगा प्रत्याशी?(image source -instagram)

जनता की नजर में चुनाव : –

अब जनता की बात करें तो घाटशिला के लोग कहते हैं, नेता तो बदलते रहते हैं — लेकिन सड़क, बिजली, पानी और रोज़गार का सवाल वहीं का वहीं अटका है। चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा यही बन गया है कि जिसको भी वोट मिले, कम से कम अगले पांच साल कोई ठोस काम तो करे! किसी के लिए JMM का कैंडिडेट महत्वपूर्ण है, तो किसी को बीजेपी पर भरोसा है। कुछ लोग कहते हैं कि जेएलकेएम की लड़ाई से मुकाबला दिलचस्प हो गया है। भाजपा, झामुमो और जेएलकेएम — तीनों के अपने-अपने दावे हैं। कहीं किसी पार्टी के पुराने मंत्री का नाम सामने आता है, तो कहीं नये चेहरों को मौका देने की बातें होती हैं।

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चाय की दुकान और गुमटी की चर्चा : – 

गांव के लोग कहते हैं, “नेता लोग आये, गाड़ी में बैठे, भाषण दिए और चले गए। बाद में कोई गलियों का हाल पूछने नहीं आता।” नामांकन के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम और तीन लोगों द्वारा नामांकन पत्र खरीदना, यह सब तो चुनावी माहौल का हिस्सा है। लेकिन आवाम के दिल में सवाल वही घूमता रहता है — “आखिर इस बार कौन नेता जितकर आएगा और क्या वाकई घाटशिला का विकास होगा ?”

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मंत्री कौन बनेगा, क्या वाकई ? : –

अब सवाल है कि जयराम महतो के मंत्री बनने की अटकलों में कितना दम है? तो यहां स्पष्ट तौर पर कहना गलत नहीं होगा कि सच्चाई से ज्यादा हवा, अफवाहें और राजनीतिक दांवपेंच काम कर रहे हैं। जनता समझ गई है, चुनाव का असली रंग तो तभी देखने को मिलता है जब नेता, उनके समर्थक और प्रचार की गाड़ियां एक-एक मुहल्ले में घूम जाती है। मंत्री कौन बनेगा, यह तो विधानसभा की गिनती के बाद पता चलेगा, लेकिन लोगों की बातचीत में नेताओं को लेकर मजाक और गंभीरता साथ-साथ चलते हैं।

जनता की जुबान से”हर बार नये-नये दावे, बड़े-बड़े वादे सुनते हैं। नेता लोग चुनाव के वक्त खूब गंगाजल की तरह बातें करते हैं लेकिन बाद में गंगाजल भी कम पड़ जाता है। मंत्री कोई भी बने, घाटशिला की गलियों में बहस वही पुरानी।

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