सरकार ने औद्योगिक ग्रीन कवर नियमों में ढील दी, जानिए कैसी होगी असर

सरकार ने औद्योगिक प्रोजेक्ट्स के लिए ग्रीन कवर नियमों में ढील दी:

आम आदमी के नजरिए से पूरी बात : –

ग्रीन कवर का मतलब और नियम क्या थे ? हमारे देश में पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कई नियम बनाए गए हैं, जिनमें से एक है ग्रीन कवर — यानी औद्योगिक इलाकों के आसपास पेड़ों और पौधों का जो हिस्सा होता है। ये ग्रीन बेल्ट प्रदूषण को कम करने, हवा को साफ रखने और हमारे पर्यावरण को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती है। पहले नियमों के अनुसार, औद्योगिक क्षेत्रों में कम से कम 33% क्षेत्रफल को ग्रीन कवर के लिए रखना जरूरी था। खास तौर पर ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाली फैक्टरियों के लिए ये नियम कड़ी थे, और उन्होंने कुछ इलाकों में तो 40% तक ग्रीन बेल्ट बनाए रखना था।

अब सरकार ने क्या बदला है ? : –

अक्टूबर 2025 में पर्यावरण मंत्रालय ने एक बड़ा फैसला लिया और अब औद्योगिक परियोजनाओं के लिए ग्रीन कवर के नियमों को काफी हद तक ढीला कर दिया है। अब औद्योगिक एस्टेट की कुल क्षेत्रफल में सिर्फ 10% हिस्सा ग्रीन कवर रखा जाएगा और इसे एक जगह या कई जगहों पर बंटा भी सकता है। साथ ही, अलग-अलग फैक्टरियों को उनके प्रदूषण स्तर के हिसाब से ग्रीन बेल्ट बनानी होगी – जो फैक्ट्री ज्यादा प्रदूषण फैलाती है, उसे ज्यादा पेड़ लगाने होंगे और कम प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्री को कम या कभी-कभी ग्रीन कवर देना जरूरी नहीं होगा।

इस कदम का उद्देश्य है कि जमीन की उपलब्धता बढ़े, इंडस्ट्रीज को काम करने में आसानी हो और आर्थिक विकास पर ज्यादा जोर दिया जा सके। सरकार का कहना है कि इससे नई फैक्टरियों को खुलने में मदद मिलेगी और भारत की मैन्युफैक्चरिंग तेजी से बढ़ेगी।

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सरकार ने औद्योगिक ग्रीन कवर नियमों में ढील दी, जानिए कैसी होगी असर
सरकार ने औद्योगिक ग्रीन कवर नियमों में ढील दी, जानिए कैसी होगी असर(image source – the hindu)

अमूमन इसका असर क्या होगा ? : –

  • ज्यादा जमीन मिलेगी औद्योगिक विकास के लिए, जिससे नए रोजगार बनेंगे।
  • कम ग्रीन बेल्ट रखने से उद्योगों की लागत कम होगी, जिससे वे सस्ते दामों में चीजें बना पाएंगे।
  • हालांकि, इससे प्रदूषण बढ़ने की आशंका भी होती है क्योंकि ग्रीन बेल्ट हवा को साफ रखने में मदद करती है।
  • पर्यावरण संगठनों ने इस फैसले पर चिंता जाहिर की है, क्योंकि यह कदम वायु प्रदूषण के बढ़ने का खतरा रखता है, खासकर ऐसे समय में जब भारत कई शहरों में जहरीली हवा की समस्या से जूझ रहा है।

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आम आदमी के लिए इसका मतलब : –

जैसे आप जानते हैं, जब फैक्ट्रियां ज्यादा बनेंगी तो रोजगार के मौके बढ़ेंगे और चीजें बाजार में सस्ती मिलेगी। पर साथ ही, अगर पर्यावरण खराब होगा तो सांस लेना मुश्किल होगा और बीमारियां बढ़ेंगी। इसलिए, यह सोचना होगा कि विकास और पर्यावरण के बीच सन्तुलन कैसे बनाया जाए ताकि सभी को फायदा पहुंचे।

सरकार की जिम्मेदारी क्या होगी ? : –

अब औद्योगिक क्षेत्र वालों को अपने ग्रीन बेल्ट की सही देखभाल और रिपोर्ट सरकार को हर छह महीने में देनी होगी। सरकार और पर्यावरण विभाग को भी यह देखना होगा कि ग्रीन बेल्ट में सही पौधे लगें और वो जीवित रहें। इस प्रक्रिया में ड्रोन टेक्नोलॉजी और अन्य मॉनिटरिंग के तरीके अपनाए जाएंगे ताकि नियमों का पालन सुनिश्चित किया जा सके।

आगे का रास्ता : –

भारत तेजी से औद्योगिक देश बन रहा है, इसलिए विकास और पर्यावरण की सुरक्षा दोनों जरूरी हैं। सरकार ने जो नया नियम बनाया है, उसमें आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की कोशिश की गई है। अब जरूरी होगा कि इस नियम का सही तरीके से पालन हो और पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।

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