झारखंड एविएशन: छोटे शहरों तक पहुंचाने की बड़ी कोशिश

झारखंड की उन्नति की कहानी ने अब आसमान की ऊँचाइयां छूनी शुरू कर दी हैं। 25 साल पहले जब झारखंड बना था, तो यहां सिर्फ एक हवाई पट्टी यानी रांची का बिर्सा मुंडा एयरपोर्ट था, लेकिन अब झारखंड की हवाएं तेजी से उड़ान भर रही हैं। आज वहां तीन ऑपरेशनल एयरपोर्ट जमशेदपुर,देवघर और रांची हैं, और आने वाले समय में अन्य एयरपोर्ट भी बनने वाले हैं। आइये ऐसे समझते हैं झारखंड के विमानन क्षेत्र की बढ़त को, जो आम आदमी की भाषा और नजर से देखी जा रही है।

एक उड़ान की शुरुआत: 2002 से आज : – 2002 में बिर्सा मुंडा एयरपोर्ट से पहली फ्लाइट दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी। उस वक्त यहां सिर्फ कुछ ही फ्लाइट्स थीं और कनेक्टिविटी भी सीमित थी। आज झारखंड में रोजाना 100 से ज्यादा उड़ानें संचालित होती हैं, जो देश के कई प्रमुख शहरों से जुड़ी हैं। दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे बड़े शहरों से अब नियमित उड़ानें सवाल नहीं बल्कि एक दिनचर्या बन गई हैं। पूर्वी सिंहभूम जैसे जिलों में जमशेदपुर का एयरपोर्ट, जहां छोटी विमान उड़ानों का संचालन होता है, वहां से कोलकाता और भुवनेश्वर जैसे शहरों से जुड़ाव है। नए एयरपोर्ट, नई उम्मीदें देवघर एयरपोर्ट एक बड़ा बदलाव लेकर आया है। साल 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटित इस एयरपोर्ट की क्षमता 5 लाख यात्रियों तक है। साल भर यहां से लगभग 62 फ्लाइटें संचालित होती हैं, जिनमें दिल्ली, बेंगलुरु और कोलकाता जैसी जगहों के लिए रोजाना नियमित उड़ानें शामिल हैं। देोगढ़र एयरपोर्ट के बनने से राज्य के पर्यटन क्षेत्र को भी बड़ा फायदा हुआ है क्योंकि यहां सालाना लाखों श्रद्धालु श्रावणी मेला मनाने आते हैं। अब एयरपोर्ट की नई तकनीकों से नाइट लैंडिंग की सुविधा भी शुरू हो रही है जिससे उड्डयन सेवा और भी सुलभ हो पाएगी।

और आने वाले हैं : – झारखंड के विकास में उड़ानों की संख्या बढ़ाने का मकसद साफ है – बेहतर कनेक्टिविटी, रोजगार और पर्यटन को बढ़ावा देना। राज्य में दो नए हवाई पट्टियां – बोकारो और डुमका – उदान योजना के तहत तेजी से बनाए जा रहे हैं। ये छोटी हवाई पट्टियां छह महीने के अंदर उड़ान संचालन प्रारंभ कर सकती हैं। सरकार और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) भी जमशेदपुर के डल्भुमगढ़ एयरपोर्ट के विकास में लगी है, जो राज्य के विमानन नक्शे को और मजबूत करेगा। इसके जरिए स्थानीय उद्योग-धंधों और व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा।

झारखंड एविएशन: छोटे शहरों तक पहुंचाने की बड़ी कोशिश
झारखंड एविएशन: छोटे शहरों तक पहुंचाने की बड़ी कोशिश(image source – AAI)

आम आदमी की नजर से कल्पना कीजिए कि कभी दूर-दराज के इलाके में रहने वाले लोग अब बस कुछ घंटों की उड़ान लेकर बड़े शहरों से जुड़ सकते हैं। इससे न केवल यात्रा का समय बचता है, बल्कि नौकरी-धंधे में भी नई संभावनाएं खुलती हैं। पुराने जमाने में ट्रेन या सड़क से कई घंटे लग जाते थे, जो अब मिनटों में पूरे हो पाएंगे। इससे झारखंड का विकास और भी तेजी से होगा, लोगों की जिंदगी आसान होगी और युवा भी देश-दुनिया में अपने पैर जमाने के लिए उत्साहित होंगे।

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अभी भी है रास्ता लंबा : – जहां झारखंड के विमानन क्षेत्र ने बड़ी छलांग लगाई है, वहां कुछ चुनौतियां भी हैं। राज्य के कई हिस्सों में अभी भी हवाई कनेक्टिविटी की कमी है। कुछ एयरपोर्ट निर्माणाधीन हैं, जिन्हें समय पर पूरा करना जरूरी है। साथ ही उड्डयन सेवाओं में और भी इंटरकनेक्टिविटी और उड़ानों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है ताकि पर्यटन और व्यापार में और तेजी आए। ये काम तभी सफल होगा जब सरकार, उद्योग और स्थानीय लोग साथ मिलकर इस क्षेत्र की मजबूती पर ध्यान दें।झारखंड के आसमान की उड़ान निरंतर जारी झारखंड 25 साल में छोटे-छोटे कदम लेकर विमानन क्षेत्र में बड़ा बदलाव ले आया है। अब हवा में उड़ान सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे राज्य और देश के अन्य हिस्सों से जुड़ने लगी है।

आने वाले सालों में नए एयरपोर्ट और ज्यादा उड़ाने इस विकास को और गति देंगी। उद्योग और पर्यटन क्षेत्र को फायदा होगा और यहां के युवाओं के लिए रोजगार के नए रास्ते खुलेंगे।अंत में यही कहा जा सकता है कि झारखंड धीरे-धीरे देश के विमानन नक्शे पर अपनी खास जगह बना रहा है। जहां एक वक्त था जब रांची एकलौता एयरपोर्ट था, आज वहां हर दिन 100 से ज्यादा विमान उड़ान भरते हैं। यह बदलाव सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर का नहीं, बल्कि लोगों के सपनों और आकांक्षाओं का भी है जो अब आसमान छू रहे हैं।यह ब्लॉग झारखंड के विमानन क्षेत्र की बेहतरीन प्रगति की ताजा और विश्वसनीय जानकारी पर आधारित है, जिसे आम भाषा में पेश किया गया ताकि हर कोई इसे आसानी से समझ सके और राज्य के विकास की कहानी को महसूस कर सके।

झारखंड के विमानन क्षेत्र की कहानी एक दशक पहले तक बहुत साधारण थी—एक ही एयरपोर्ट था रांची में, जहां से सिर्फ एक-दो उड़ानें हफ्ते में चलती थीं। लेकिन आज झारखंड की हवाई सुविधा ने जबरदस्त तरक्की की है। 25 साल में राज्य में तीन ऑपरेशनल एयरपोर्ट हैं: रांची का बिर्सा मुंडा, देोगढ़र और जमशेदपुर के डल्भुमगढ़ एयरपोर्ट, और आने वाले समय में और भी एयरपोर्ट बनने के रास्ते पर हैं।हर दिन झारखंड में करीब 100 से ज्यादा उड़ानें संचालित होती हैं, जो देश के ज्यादातर बड़े शहरों से इस राज्य को जोड़ती हैं। 2002 में पहली उड़ान दिल्ली के लिए थी, और अब दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद जैसे अनेक शहरों से झारखंड की पुरजोर कनेक्टिविटी है। देवघरएयरपोर्ट, जिसकी लागत करीब 401 करोड़ रु. आई, वहां से लगभग 62 उड़ानें सप्ताह में चलती हैं। यह एयरपोर्ट विशेष रूप से श्रावणी मेला जैसे धार्मिक आयोजनों में लाखों यात्रियों को सुविधाजनक पहुंच देता है।सरकार और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने बोकारो, डुमका, और हजारीबाग एयरपोर्ट के विकास की योजना बनाई है, जो जल्द ही उड़ान शुरू कर देंगे। डल्भुमगढ़ एयरपोर्ट का निर्माण भी तेजी से चल रहा है, जिससे जमशेदपुर की कनेक्टिविटी और बेहतर होगी। छोटे विमान भी संचालित होंगे, जिससे दूर-दराज के इलाकों की दूरी कम होगी।

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आम आदमी के लिए इसका मतलब है कि अब वह तेज़ी से बड़ी शहरों से जुड़ सकेगा, जो नौकरी, व्यापार, और शिक्षा के नए रास्ते खोलता है। ट्रेन या सड़क की तुलना में उड़ान से यात्रा का समय बहुत बचता है। हालांकि, अभी भी कुछ जगहों पर कनेक्टिविटी पूरी तरह नहीं है, और इन पर काम होना बाकी है। लेकिन जो विकास हो रहा है, उससे साफ दिखता है कि झारखंड का विमानन क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ रहा है।झारखंड अब एक हवाई क्षेत्र के रूप में उभर रहा है, जहां विमानन इंफ्रास्ट्रक्चर और उड़ानों की संख्या दोनों में निरंतर वृद्धि हो रही है। यह न सिर्फ आर्थिक विकास का आगाज है, बल्कि राज्य के युवाओं के सपनों को भी आसमान छूने का मौका दे रहा है। ये कहानी आज की नहीं, आने वाले कल की भी है, जहां झारखंड की उड़ान और ऊंची होगी।

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