झारखंड के वैज्ञानिकों की दुनिया में पहचान: स्टैनफोर्ड की लिस्ट में भी चमके हमारे लोग

 

कुछ दिन पहले मैं अखबार पढ़ रहा था, तो एक खबर ने दिल खुश कर दिया—अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने दुनिया के टॉप 2% वैज्ञानिकों की लिस्ट जारी की है। और सोचिए, इस लिस्ट में भारत के 6,239 वैज्ञानिकों के नाम हैं। लेकिन जो बात सबसे खास लगी, वो ये कि झारखंड जैसे राज्य से भी वैज्ञानिकों ने इस लिस्ट में जगह बनाई है। अब हम भले ही कोल और खनिज के लिए जाने जाते हों, लेकिन अब रिसर्च और विज्ञान में भी हमारा नाम हो रहा है।

स्टैनफोर्ड की लिस्ट क्या है?

हर साल स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और Elsevier नाम की साइंटिफिक कंपनी मिलकर एक लिस्ट बनाते हैं। इसमें वो वैज्ञानिक शामिल होते हैं जिनका काम दुनिया भर में सबसे ज़्यादा असर डालता है। मतलब ये नहीं कि जिसने सबसे ज़्यादा पेपर लिखे वही टॉप पर है — बल्कि ये देखा जाता है कि उनके रिसर्च को कितनी बार दूसरे वैज्ञानिकों ने अपने काम में इस्तेमाल किया।

इस लिस्ट में दो तरह के आंकड़े होते हैं—एक तो पूरे करियर का असर और दूसरा सिर्फ पिछले साल का। और इस बार की लिस्ट में भारत से 6,239 वैज्ञानिकों ने जगह बनाई है, जो कि पिछले साल से भी ज़्यादा है।

झारखंड के वैज्ञानिकों की दुनिया में पहचान: स्टैनफोर्ड की लिस्ट में भी चमके हमारे लोग
झारखंड के वैज्ञानिकों की दुनिया में पहचान: स्टैनफोर्ड की लिस्ट में भी चमके हमारे लोग(image source-india today)

झारखंड से कौन-कौन शामिल हुए?

अब आप सोच रहे होंगे कि झारखंड से कौन-कौन शामिल हुआ? तो सुनिए:

  •  Central University of Jharkhand (CUJ), Ranchi से तीन प्रोफेसर इस लिस्ट में शामिल हुए हैं। ये लोग पर्यावरण विज्ञान, ऊर्जा और नैनो टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।
  •  BIT Mesra, जो कि झारखंड का गौरव है, वहां के कई प्रोफेसर भी इस लिस्ट में शामिल हुए हैं। खासकर इंजीनियरिंग और फिजिक्स के क्षेत्र में।
  • ISM Dhanbad (अब IIT Dhanbad) से भी कुछ नाम सामने आए हैं, जो खनन, भूविज्ञान और एनर्जी रिसर्च में काम कर रहे हैं।

मतलब ये कि झारखंड के वैज्ञानिक अब सिर्फ राज्य या देश तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उनका काम दुनिया भर में पहचाना जा रहा है।

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आम आदमी के लिए इसका मतलब क्या है?

अब आप कहेंगे, “हम तो खेत-खदान के लोग हैं, इससे हमें क्या?” तो सुनिए—जब हमारे राज्य के वैज्ञानिक दुनिया भर में नाम कमाते हैं, तो इससे झारखंड की पहचान बदलती है। अब लोग हमें सिर्फ कोयला या खनिज के लिए नहीं, बल्कि रिसर्च और इनोवेशन के लिए भी जानेंगे।

इसके अलावा, जब हमारे संस्थानों के प्रोफेसर इस लिस्ट में आते हैं, तो वहां पढ़ने वाले छात्रों को भी प्रेरणा मिलती है। उन्हें लगता है कि अगर हमारे गुरुजी दुनिया की टॉप लिस्ट में हैं, तो हम भी कुछ बड़ा कर सकते हैं।

झारखंड के लिए ये एक नई शुरुआत है। हम हमेशा से मेहनती रहे हैं, लेकिन अब वो मेहनत लैब में भी दिख रही है। स्टैनफोर्ड की ये लिस्ट हमें बताती है कि झारखंड सिर्फ खनिजों का भंडार नहीं, बल्कि प्रतिभा का भी केंद्र है।

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