बिहार 2025 के विधानसभा चुनावों में कई नई चेहरे राजनीति में सक्रिय हो रहे हैं, जिनमें से एक नाम है मैथिली ठाकुर का। मैथिली ठाकुर, जो लोक संगीत की प्रसिद्ध गायिका हैं, उनकी राजनीति में आने की खबरें अब चर्चा का विषय बन गई हैं। कैसे हो सकता है कि संगीत की यह मधुर आवाज चुनावी मैदान में गूँजे ? इसका जवाब जानने के लिए कहानी की तरह चलती इस चर्चा पर ध्यान दें।
मैथिली ठाकुर 2025 में 25 वर्ष की हो गई हैं, जो विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए जरूरी आयु भी है। वे बिहार की मिथिला क्षेत्र की रहने वाली हैं और अपनी कला के कारण पूरे देश में जानी जाती हैं। हाल ही में उन्होंने बीजेपी के कई शीर्ष नेताओं जैसे विनोद तावड़े, नित्यानंद राय, और धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात की, जो राजनीतिक हलचलों को तेज करने वाली खबर बनी। माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट दे सकती है, और उनकी संभावित सीटें बेनीपट्टी या अलीनगर हैं। बेनीपट्टी उनकी जन्मस्थली भी है और यह सीट जातिगत दृष्टि से ब्राह्मणों के लिए प्रमुख मानी जाती है, जबकि अलीनगर दरभंगा के अंतर्गत आता है जहाँ मैथिली ठाकुर की सामाजिक पहचान प्रभावशाली है।
मैथिली ठाकुर ने खुद भी कहा है कि अगर मौका मिला तो वे चुनाव जरूर लड़ना चाहेंगी। उन्होंने यह भी बताया कि वे अपने क्षेत्र का विकास करना चाहती हैं और अपने गांव से ही राजनीति शुरू करना पसंद करेंगी क्योंकि वहां उनका गहरा नाता है। वे मानती हैं कि बिहार में खासकर युवा वर्ग के लिए विकास जरूरी है और इसके लिए हर संभव योगदान देना चाहती हैं। हालांकि अभी तक इसका कोई आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन उनकी सक्रियता और राजनीतिक नेताओं से मुलाकातें इस दिशा में संकेत देती हैं।
राजनीतिक जानकार इन संकेतों को इसलिए भी महत्व देते हैं क्योंकि बिहार में तेजी से बदलते राजनीतिक समीकरणों में युवा, प्रभावशाली और लोकप्रिय चेहरों की जरूरत बनती जा रही है। मैथिली ठाकुर की लोकप्रियता और उनकी संस्कृति से जुड़ी छवि उन्हें एक नई पहचान दिला सकती है, जो चुनावी राजनीति में एक अलग ऊर्जा लेकर आएगा। उनका संगीत और सामाजिक पहचान उन्हें जनता के करीब ले जाता है, जो चुनावों में एक बड़ी ताकत हो सकती है।
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बीजेपी के वरिष्ठ नेता विनोद तावड़े ने सोशल मीडिया पर मैथिली ठाकुर के साथ अपनी तस्वीर साझा करते हुए कहा कि बिहार में जो परिवार 1995 में लालू राज के कारण बाहर गए थे, उसकी बेटी अब बदलते बिहार को देखकर वापस आ रही है। यह बयान बिहार की राजनीतिक दिशा और युवा हस्तियों के शामिल होने की संभावना को स्पष्ट करता है। उनकी यह वापसी और राजनीति में कदम, बिहार के विकास और बदलाव की ओर एक नया संदेश है।
अभी चुनाव समारोह करीब है, वोटिंग नवंबर के प्रथम और द्वितीय हफ्ते में होगी, और परिणाम जल्द ही सामने आएंगे। तब पता चलेगा कि मैथिली ठाकुर अपने संगीत के सुरों के साथ चुनाव के मैदान में भी कितना सुर लगाती हैं। यह देखना रोचक होगा कि क्या जनता भी उन्हें अपनी नेता के रूप में चुनती है या वे फिर से संगीत में ही अपना सफर तय करेंगी।
