मनोज बाजपेयी और नीम करोली बाबा: कैंची धाम में हुई आध्यात्मिक यात्रा जिसने बदल दी जिंदगी
बॉलीवुड के महान अभिनेता मनोज बाजपेयी न केवल अपने अभिनय से चर्चा में रहते हैं, बल्कि हाल ही में उन्होंने अपने जीवन के एक ऐसे अनुभव को साझा किया है जिसने उनकी सोच और करियर दोनों को एक नई दिशा दी। यह कहानी जुड़ी है बाबा नीम करोली और उनके प्रसिद्ध आश्रम कैंची धाम से, जहां मनोज बाजपेयी की आध्यात्मिक यात्रा ने उनके जीवन में जादुई बदलाव किए।
नीम करोली बाबा कौन थे?

नीम करोली बाबा, जिन्हें बाबा नीब करोरी भी कहा जाता है, एक रहस्यमय और आध्यात्मिक फकीर थे जिन्होंने कई दिग्गज हस्तियों, संगीतकारों, नेताओं और सेलिब्रिटीज को प्रेरित किया। उनके भक्तों में विराट कोहली, अनुष्का शर्मा, मार्क जुकरबर्ग, स्टीव जॉब्स और जूलिया रॉबर्ट्स जैसे विश्व के नामचीन व्यक्ति शामिल हैं। उनका कैंची धाम उत्तराखंड में स्थित है और यह आध्यात्मिक शांति का केंद्र माना जाता है।
मनोज बाजपेयी का आध्यात्मिक अनुभव
मनोज बाजपेयी ने एक इंटरव्यू में बताया कि जब वे दो दशक से ज़्यादा लंबी अभिनेता यात्रा के बाद एक बेचैन दौर से गुज़र रहे थे, तब उन्हें अपने कैरियर और जीवन के बारे में बहुत असमंजस था। उनके जीवन में एक वक्त ऐसा आया था जब उन्हें लगा कि शायद उनका अभिनय करियर खत्म हो चुका है।
उस समय मनोज और उनकी फिल्म ‘जुगनुमा’ के निर्देशन राम रेड्डी ने तय किया कि वे उत्तराखंड के कैंची धाम जाकर बाबा नीम करोली के आश्रम में ध्यान और आत्मावलोकन करेंगे। यह यात्रा उनके लिए कई मायनों में एक टर्निंग पॉइंट साबित हुई।

कैंची धाम की यात्रा का प्रभाव
मनोज ने बताया कि उन्होंने बाबाजी की गुफा में जाकर गहरा ध्यान किया। इस दौरान उन्हें अज्ञात शांति और वैराग्य का अनुभव हुआ, जिसे वे शब्दों में बयां नहीं कर पाए। उन्होंने महसूस किया कि जीवन की सबसे बड़ी समस्याएं और बेचैनी आॅत्मिक लगावों (Attachment) से आती है।
मनोज ने कहा, “कैंची धाम में जो अनुभव मिला, उसने न सिर्फ मेरी बेचैनी को शांति दी बल्कि मुझे फिल्म ‘जुगनुमा’ के लिए प्रेरणा भी प्रदान की। यह फिल्म उन्हीं भावनाओं, दर्द और मुक्ति की कहानी कहती है।”
मिराई फिल्म का वर्ल्डवाइड कलेक्शन
फिल्म ‘जुगनुमा’ का संबंध नीम करोली बाबा से
‘जुगनुमा’ एक मैजिकल रियलिज्म आधारित फिल्म है जो 1980 के दशक के उत्तराखंड के ग्रामीण जीवन को दिखाती है। इसमें मनोज बाजपेयी ने देव नामक किरदार निभाया है जो मानसिक और सामाजिक संघर्ष से गुजरता है। फिल्म में सामाजिक भेदभाव, प्राकृतिक आपदा, और आध्यात्मिक खोज के पहलू देखने को मिलते हैं।
मनोज ने कहा कि ‘जुगनुमा’ के निर्देशक राम रेड्डी और वे स्वयं कैंची धाम में गए और वहां की आध्यात्मिक ऊर्जा ने इस फिल्म को आकार दिया। फिल्म में जो संघर्ष और जीवन दर्शन दिखाया गया है, वह उनके अपने अनुभव से जुड़ा हुआ है।

मनोज बाजपेयी के विचार
मनोज बाजपेयी ने स्वीकार किया कि वह उस समय बहुत बेचैन और परेशान थे लेकिन नीम करोली बाबा के आश्रम में जाकर उन्हें आंतरिक शांति मिली। उन्होंने कहा, “जितना अधिक हम किसी चीज से जुड़े रहते हैं, उतनी ही हमें परेशानी होती है। इस कनेक्शन को छोड़ना ही असली मुक्ति है।”
उन्होंने बाबा को मात्र गुरु नहीं बल्कि अपना बड़े भाई, मित्र और मार्गदर्शक बताया। जीवन में यह आध्यात्मिक पल उनके लिए आयाम बदलने वाला साबित हुआ।
मनोज बाजपेयी की नीम करोली बाबा से जुड़ी यह आध्यात्मिक यात्रा जीवन के संघर्ष और समाधान का जीवंत उदाहरण है। कैंची धाम में हुई इस अनुभवपूर्ण यात्रा ने न केवल उनके निजी जीवन को संवारा बल्कि उनके करियर में भी नई उम्मीदों और ऊर्जा का संचार किया।
नीम करोली बाबा के इस प्रभाव को समझना आज भी उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है जो अपने जीवन में शांति, सफलता और संतोष की तलाश में हैं। मनोज बाजपेयी की कहानी यह दिखाती है कि आध्यात्मिकता और आत्मावलोकन से हर मुश्किल का हल निकल सकता है।
अधिक पढ़े : – जॉली एलएलबी 3 का रिव्यू – एक मनोरंजक कोर्टरूम ड्रामा और सामाजिक संदेश
1 thought on “मनोज बाजपेयी और नीम करोली बाबा: कैंची धाम में हुई आध्यात्मिक यात्रा जिसने बदल दी जिंदगी”