भारत में अब मेट्रो शहरों से बाहर के टियर 2 और टियर 3 शहर भोजन और डाइनिंग के नए हॉटस्पॉट्स बनते जा रहे हैं। यह परिवर्तन न केवल उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव दिखाता है, बल्कि रेस्टोरेंट इंडस्ट्री की रणनीतियों में भी बदलाव का संकेत देता है। इस ब्लॉग में इस रुझान के पीछे के कारण, प्रमुख टियर 2 शहरों की भूमिका, चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाएँ विस्तार से समझाई गई हैं।
मेट्रो से बाहर के शहरों का रेस्टोरेंट व्यवसाय में उदय : –
Grant Thornton Bharat और नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) की एक रिपोर्ट बताती है कि टियर 2 शहरों में भोजन बाहर खाने की संस्कृति तेजी से लहर की तरह फैल रही है। यहां के युवा, खासकर जनरेशन Z और मिलेनियल्स, इसे केवल अवसर या त्योहारों का हिस्सा नहीं बल्कि दिनचर्या का हिस्सा मानने लगे हैं। जैसे-जैसे टियर 2 शहरों की मासिक औसत आय मेट्रो के करीब आ रही है, उपभोक्ता अधिक ब्रांड और गुणवत्ता की तलाश में हैं, लेकिन कीमत के प्रति भी संवेदनशील बने हुए हैं।
प्रमुख टियर 2 शहर और उनकी भूमिका : –
इंदौर, लखनऊ, जयपुर, नागपुर, और कोयम्बटूर जैसे शहर इस बदलाव के प्रमुख केन्द्र हैं। ये शहर आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से तेजी से विकसित हो रहे हैं और इनकी मांग में तेज़ी से वृद्धि हो रही है। तीर्थयात्रा तथा पर्यटन इन शहरों में निवेश और उपभोक्ता ट्रैफिक बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। इन जगहों पर ब्रांडेड रेस्टोरेंट्स, कैफे, और फूड कोर्ट्स की संख्या तेजी से बढ रही है।

कारण: क्यों बढ़ रहा है टियर 2 शहरों का आकर्षण?
कम व्यावसायिक किराया: मेट्रो शहरों के मुकाबले किराया Rs.200-250 प्रति वर्ग फुट है जबकि मेट्रो में यह Rs.1800-2200 तक होता है, जिससे कंपनियों का पूंजी निवेश कम होता है।
डिजिटल एंगेजमेंट: 72% से ज्यादा उपभोक्ता विदेशी व्यंजनों को पसंद करते हैं और 33% फूड एंड बेवरेज ब्रांड्स को ऑनलाइन फॉलो करते हैं।
रोज़गार और बढ़ता आय स्तर: बेहतर रोजगार की संभावनाएं और उपभोक्ताओं की खरीद क्षमता का बढ़ना।
जीवनशैली में बदलाव: अब खाना बाहर खाना एक फैशन और लाइफस्टाइल चाहता है, न कि केवल जरूरत।
रॉयल एनफील्ड बाइक अब फ्लिपकार्ट से आसानी से खरीदी जा सकती हैं।
सामने आई चुनौतियाँ : –
हालांकि अवसर बड़े हैं पर टियर 2 शहरों में कुछ चुनौतियाँ भी हैं:
- किचन और सर्विस स्टाफ की कमी, क्योंकि स्थानीय प्रशिक्षण सुविधाएं सीमित हैं और रोजगार के लिए लोग मेट्रो की ओर जाते हैं।
- सामग्री की आपूर्ति में बाधाएँ, यानी फ्रेश सामग्री, विशेषकर ठंडे उत्पादों के लिए कमजोर कोल्ड चेन।
- वास्तविक रियल एस्टेट की कमी, जो प्राइम लोकेशन पर ज्यादा कठिन है।
निवेश और भविष्य की संभावनाएँ : –
2025 में भारत के F&B सेक्टर ने अब तक 83 महत्वपूर्ण डील्स और लगभग 1.56 अरब डॉलर का निवेश देखा है, जिसमें तकनीकी-सक्षम और प्रीमियम फॉर्मेट में निवेश बढ़ा है। रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 94% रेस्टोरेंट ऑपरेटर टियर 2 और टियर 3 शहरों में विस्तार की योजना बना रहे हैं, जो अगले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में बहुत बड़ा बढ़ाव दिखाता है।
भारत में मेट्रो शहरों के बाहर के टियर 2 और टियर 3 शहर तेजी से डाइनिंग और रेस्टोरेंट हॉटस्पॉट्स बन रहे हैं। यहाँ की युवा पीढ़ी का बदलता रवैया, बढ़ती आय और डिजिटल जुड़ाव इस क्षेत्र को तेजी से बढ़ावा दे रहा है। हालांकि चुनौतियाँ हैं, फिर भी कम लागत, बेहतर रिटर्न, और लगातार बढ़ती मांग इन शहरों को भारतीय खाद्य एवं पेय उद्योग का अगला बड़ा मंच बना रही है। रेस्टोरेंट संचालकों के लिए यह समय रणनीतिक विस्तार का है ताकि वे इस नए हॉटस्पॉट का हिस्सा बन सकें और बाजार में मजबूती से टिक सकें।
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