रूस के तीन MiG-31 लड़ाकू विमानों द्वारा एस्टोनिया के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन

रूस के तीन लड़ाकू विमानों द्वारा एस्टोनिया के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन वर्ष 2025 के सबसे चर्चा में रहे अंतरराष्ट्रीय मुद्दों में से एक बन गया है। यह घटना न केवल एस्टोनिया के लिए चिंता का विषय है, बल्कि संपूर्ण NATO(North Atlantic Treaty Organisation) गठबंधन के लिए गंभीर चुनौती और क्षेत्रीय सुरक्षा का संकेत भी है .

घटना का सारांश : –

शुक्रवार को रूस के तीन MiG-31 लड़ाकू विमानों ने फिनलैंड की खाड़ी के पास एस्टोनिया के वैंडलू द्वीप के आसपास 12 मिनट तक बिना अनुमति के उड़ान भरी। इस समय उनके ट्रांसपोंडर बंद थे, कोई उड़ान योजना दर्ज नहीं थी और वे हवाई यातायात नियंत्रण से संपर्क में भी नहीं थे। इस खतरनाक उल्लंघन के जबाब में NATO के बाल्टिक एयर पुलिसिंग मिशन के तहत तैनात इतालवी F-35 लड़ाकू विमान तुरंत सक्रिय किए गए और उन्होंने रूसी विमानों को खदेड़ दिया .

एस्टोनिया द्वारा उठाए गए कदम : –

एस्टोनिया के विदेश मंत्रालय ने मास्को के प्रभारी राजदूत को तलब कर विरोध पत्र सौंपा। विदेश मंत्री मार्गस त्साहकना ने इसे अभूतपूर्व बेशर्मी की संज्ञा दी और कहा कि यह रूस की सोची-समझी उकसावे की नीति है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष यह चौथा हवाई घुसपैठ है, लेकिन एक साथ तीन विमानों की कार्रवाई सबसे गंभीर थी .

“इस्लामिक NATO/ISLAMIC NATO” 

NATO का प्रतिक्रिया और आर्टिकल 4 : –

NATO के प्रवक्ता एलिसन हार्ट ने घटना को ‘रूसी लापरवाही’ का उदाहरण बताया और कहा कि गठबंधन ने तुरंत कार्रवाई की। एस्टोनिया ने गठबंधन के साथ NATO की संधि के आर्टिकल 4 के तहत औपचारिक परामर्श शुरू करने का फैसला लिया है, जिसमें सदस्य देशों को सलाह-मशविरा करने का अधिकार होता है, यदि किसी सदस्य की सीमा, स्वतंत्रता या सुरक्षा खतरे में हो .

राजनीतिक और रणनीतिक प्रभाव : –

एस्टोनिया, जो बाल्टिक क्षेत्र का संवेदनशील NATO सदस्य है, पूर्व में कई बार रूसी सैन्य उल्लंघनों का सामना कर चुका है; लेकिन इस बार का उल्लंघन न केवल समय में लंबा था, बल्कि क्षेत्रीय तनाव को चरम पर ले गया। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन और EU विदेश नीति प्रमुख काजा कल्लास ने भी रूस की हरकत के खिलाफ कड़ी निंदा जाहिर की। EU ने एस्टोनिया के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूती देने का भरोसा दिलाया .

क्षेत्रीय युद्ध और भविष्य की चिंताएं : –

इस घटना के कुछ दिन पहले ही रूस द्वारा पोलैंड और रोमानिया के एयरस्पेस में ड्रोन्स भेजे गए थे, जिससे NATO देशों की सुरक्षा की चिंता बढ़ गई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि रूस की ये हरकतें पश्चिमी देशों की मजबूती की परीक्षा लेने का प्रयास हैं और यह चेतावनी भी है कि यूक्रेन युद्ध के प्रभाव अब सीमाओं से बाहर फैलने लगे हैं .

रूस की आक्रामक नीति और सीमा उल्लंघन अब केवल यूक्रेन तक सीमित नहीं रहे हैं। एस्टोनिया द्वारा NATO परामर्श की मांग क्षेत्रीय सुरक्षा बढ़ाने का संकेत है, जिससे आने वाले समय में राजनीतिक और सैन्य स्तर पर बड़ा जवाब दिया जा सकता है

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