करप्शन का साया: Skill Ministry ने ब्लैकलिस्ट किए 178 ट्रेनिंग पार्टनर्स
भारत के युवाओं को कौशल (स्किल) सिखाने के लिए सरकार ने जो कार्यक्रम शुरू किया था, उसका नाम है प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY)। साल 2015 से यह योजना देश भर में लाखों युवाओं को रोजगार के लिए तैयार कर रही थी। लेकिन अब इस योजना पर भ्रष्टाचार का ऐसा बादल छा गया है, जिसने सबको चौंका दिया है। हाल ही में Skill Ministry ने 178 ट्रेनिंग पार्टनर्स और ट्रेनिंग सेंटर्स को ब्लैकलिस्ट कर दिया है। यानी ये संस्थान अब इस सरकारी योजना से बाहर कर दिए गए हैं क्योंकि उनके खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप हैं।
ट्रेनिंग पार्टनर और ट्रेनिंग सेंटर क्या होते हैं ? : –
सबसे पहले ये जान लेना ज़रूरी है कि ट्रेनिंग पार्टनर वे लोग या संस्थान होते हैं जो इस योजना के तहत ट्रेनिंग सेंटर चलाते हैं। ट्रेनिंग सेंटर वो जगह होती है जहां युवाओं को स्किल ट्रेनिंग दी जाती है। योजना का मकसद था कि इस ट्रेनिंग से युवा रोजगार योग्य बनेंगे। लेकिन कुछ पार्टनर और सेंटर ने इस योजना का ग़लत फायदा उठाया।
क्या हुआ था ? : –
साल 2022 में PMKVY का चौथा वर्शन आया, और इसके बाद कई शिकायतें आने लगीं। आरोप थे कि कई ट्रेनिंग पार्टनर्स ने विद्यार्थी नाम का फर्जी रिकॉर्ड बनाया, यानी गैरहाज़िर छात्र को उपस्थित दिखाकर पैसा लेकर खूब चालाकी की। कई जगहों पर बिल बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए गए। कुछ ट्रेनिंग सेंटर तो ऐसे थे जो असल में मौजूद ही नहीं थे!
जांच में क्या मिला ? : –
मंत्रालय ने जब जांच की, तो पाया कि कुल 178 पार्टनर और सेंटर गड़बड़ी में शामिल थे। इनमें से ज्यादातर का रिकार्ड ही झूठा था। खास बात यह कि 122 मामलों में ट्रेनिंग पार्टनर का नाम अलग था और ट्रेनिंग सेंटर का नाम अलग, मतलब कुछ नकली या सामने आने वाले फ्रंट संस्थान थे। इसके खिलाफ सरकारी विभाग ने कड़ी कार्रवाई की, जिसमें इन पार्टनर्स को ब्लैकलिस्ट करना, पैसे की रिकवरी शुरू करना और एफआईआर दर्ज कराना शामिल है।
राज्यवार स्थिति कैसी है ? : –
सबसे ज्यादा ब्लैकलिस्टिंग उत्तर प्रदेश में हुई है, जहां 59 ऐसे ट्रेनिंग पार्टनर्स हैं। इसके बाद दिल्ली में 25, मध्य प्रदेश में 24 और राजस्थान में 20 पार्टनर्स पर कार्रवाई हुई है। अन्य राज्यों जैसे महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर, तमिलनाडु, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, मिजोरम में भी कुछ ब्लैकलिस्टेड पार्टनर्स हैं।
कुछ ब्लैकलिस्टेड ट्रेनिंग पार्टनर्स के नाम : –
- हेराउड ट्रेनिंग एंड एजुकेशन (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड, चंडीगढ़
- जगनराज प्रोफेशनल स्टडीज प्राइवेट लिमिटेड, जयपुर
- अनुना एजुकेशन नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड, लखनऊ
- मास इन्फोटेक, लखनऊ
- प्रोवाइडर्स स्किल एकेडमी प्राइवेट लिमिटेड, चेन्नई
- हिन्दुस्तान सॉफ्ट एजुकेशन लिमिटेड, दिल्ली
- स्किल्स एंड यू कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, नोएडा
- प्रैगमैटिक एजुकेशनल सोसाइटी, दिल्ली
इन नामों पर कई जगह जांच और एफआईआर दर्ज कराई गई है, और इनके खिलाफ सरकारी कार्रवाई जारी है।
सरकारी जवाब और आगे की राह : –
इस कांड ने सरकार की योजना को बड़ा झटका दिया है। पर मंत्रालय ने कहा कि इसे गंभीरता से लिया जा रहा है, और अब कड़ी मॉनिटरिंग हो रही है ताकि ऐसे फर्जीवाड़े दोबारा न हों। मंत्रालय ने सभी राज्यों को हिदायत दी है कि वे भविष्य में इस योजना के तहत मिलने वाली सभी प्रस्तावों की अच्छी तरह जांच करें।
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आम आदमी की समझ में क्या होता है ? : –
अगर आप सोचें कि आपका पैसा सरकार की योजना में जा रहा है ताकि युवाओं को काम दिया जा सके, लेकिन इसका कुछ हिस्सा फर्जी कारिंदों के हाथों चला जाए, तो आप भी नाराज़ होंगे। जो प्रोमोशन वाले और पैसे लिखने वाले लोग पूरी ईमानदारी से काम नहीं करते, वो देश की गरीब जनता के भविष्य के साथ खेल रहे हैं। इस ब्लैकलिस्टिंग से साफ़ संदेश मिल रहा है कि अब ऐसे लोगों पर लगाम लगेगी।
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आखिर क्यों महत्वपूर्ण है ये खबर ? : –
इस खबर से यह समझ आता है कि जितनी भी सरकारी योजनाएं बनती हैं, उनकी निगरानी और पारदर्शिता बहुत जरूरी है, खासकर जब गरीब और युवा देश के भविष्य की बात हो। सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अपने टैक्सपेयर्स के पैसे की रक्षा करे। इस मामले में कार्रवाई से उम्मीद जगी है कि PMKVY जैसी योजनाओं में सुधार होगा और असल में मेहनत करने वाले युवाओं को सही मौके मिलेंगे
