बगराम एयरबेस की वापसी की मांग: ट्रंप की सियासी चाल या रणनीतिक ज़रूरत?

 

जब से अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपनी फौजें हटाई हैं, तब से वहां की सियासत और सुरक्षा दोनों ही उथल-पुथल में हैं। लेकिन हाल ही में एक बयान ने फिर से सबका ध्यान खींचा — अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान से बगराम एयरबेस वापस मांग लिया। अब आम आदमी के लिए ये सवाल उठता है — “बगराम एयरबेस है क्या, और ट्रंप को इसकी इतनी जल्दी क्यों है?”

बगराम एयरबेस, अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से करीब 60 किलोमीटर उत्तर में है। ये वही जगह है जहां अमेरिका ने 2001 में तालिबान के खिलाफ जंग शुरू की थी। 20 साल तक ये एयरबेस अमेरिका की सबसे बड़ी सैन्य चौकी रही। यहां से अमेरिका ने तालिबान और अल-कायदा के खिलाफ ऑपरेशन चलाए। इतना बड़ा बेस था कि वहां सुपरमार्केट, फास्ट फूड आउटलेट्स (जैसे Burger King, Pizza Hut), अस्पताल, और यहां तक कि एक बड़ा जेल भी था।

2021 में जब अमेरिका ने अफगानिस्तान से वापसी की, तो बगराम को खाली कर दिया गया। ये फैसला ट्रंप के कार्यकाल में हुए एक समझौते के तहत लिया गया था, लेकिन इसे लागू किया गया राष्ट्रपति जो बाइडन के समय। ट्रंप अब कह रहे हैं कि ये एक “बड़ी गलती” थी और अमेरिका को ये बेस वापस चाहिए।

बगराम एयरबेस की वापसी की मांग: ट्रंप की सियासी चाल या रणनीतिक ज़रूरत?
बगराम एयरबेस की वापसी की मांग: ट्रंप की सियासी चाल या रणनीतिक ज़रूरत?(image source-bagram airfield)

अब सवाल उठता है — ट्रंप को अचानक इसकी याद क्यों आई?

ट्रंप का कहना है कि बगराम एयरबेस चीन के न्यूक्लियर हथियार बनाने वाली जगह से सिर्फ एक घंटे की दूरी पर है। यानी अगर अमेरिका को चीन पर नजर रखनी है, तो बगराम से बेहतर जगह कोई नहीं। इसके अलावा, ये बेस ईरान, पाकिस्तान, चीन और मध्य एशिया के बीच में पड़ता है — मतलब रणनीतिक तौर पर बेहद अहम।

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ट्रंप ने हाल ही में ब्रिटेन की यात्रा के दौरान कहा, “अगर अफगानिस्तान ने बगराम हमें नहीं दिया, तो बुरे नतीजे होंगे”। उन्होंने ये भी कहा कि अमेरिका अफगानिस्तान से बात कर रहा है और जल्द ही फैसला लेना होगा।

लेकिन अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने साफ कह दिया — “हम अपनी जमीन का एक इंच भी नहीं देंगे”। उन्होंने अमेरिका को याद दिलाया कि दोहा समझौते में अमेरिका ने वादा किया था कि वो अफगानिस्तान की संप्रभुता का सम्मान करेगा।

अब आम आदमी की नजर से देखें तो ये मामला सिर्फ एक एयरबेस का नहीं है। ये अमेरिका की ताकत दिखाने की कोशिश है, और ट्रंप की चुनावी रणनीति भी हो सकती है। ट्रंप पहले भी बाइडन की अफगानिस्तान से वापसी को “बेवकूफी” बता चुके हैं। अब जब चुनाव नजदीक हैं, तो बगराम की वापसी की मांग से वो खुद को “मजबूत नेता” दिखाना चाहते हैं।

बगराम एयरबेस की वापसी की मांग: ट्रंप की सियासी चाल या रणनीतिक ज़रूरत?
बगराम एयरबेस की वापसी की मांग: ट्रंप की सियासी चाल या रणनीतिक ज़रूरत?(image source -bagram airfield)

लेकिन सवाल ये भी है — क्या अमेरिका वाकई बगराम वापस ले सकता है?

तालिबान ने साफ मना कर दिया है। चीन ने भी कहा है कि अफगानिस्तान का भविष्य वहां के लोगों को तय करना चाहिए। ऐसे में अगर अमेरिका दबाव बनाता है, तो मामला और बिगड़ सकता है।

तो कुल मिलाकर, बगराम एयरबेस की वापसी की मांग एक बड़ा मुद्दा बन गया है — जिसमें राजनीति, रणनीति और अंतरराष्ट्रीय रिश्तों की परतें जुड़ी हैं। आम आदमी के लिए ये समझना जरूरी है कि एक एयरबेस सिर्फ जमीन का टुकड़ा नहीं होता, बल्कि वो ताकत, नजर और असर का प्रतीक होता है।

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