अमेरिका ने भारत के लिए ईरान के चाबहार पोर्ट पर दी गई छूट को रद्द कर दिया है, जिससे भारत की रणनीतिक योजनाओं को बड़ा झटका लगा है।
चाबहार पोर्ट : – भारत के लिए रणनीतिक महत्व
चाबहार पोर्ट ईरान में स्थित है और यह भारत के लिये अफगानिस्तान एवं मध्य एशिया तक पहुंच का एक महत्वपूर्ण मार्ग है, जिससे पाकिस्तान को बाइपास किया जा सकता है। भारत ने मई 2024 में ईरान के साथ 10 वर्ष का समझौता किया था, जिसमें इंडियन पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड ने शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल का संचालन और 370 मिलियन डॉलर से अधिक निवेश के लिए प्रतिबद्धता जताई थी।
अमेरिकी छूट और उसका असर : –
2018 में अमेरिका ने चाबहार पोर्ट की परियोजना को अपनी आर्थिक प्रतिबंधों से छूट दी थी, ताकि अफगानिस्तान पुनर्निर्माण और क्षेत्रीय व्यापार में सहयोग जारी रह सके। लेकिन 29 सितंबर 2025 से यह छूट खत्म हो रही है, और अब कोई भी व्यक्ति या कंपनी, जो चाबहार पोर्ट के संचालन या उससे संबंधित गतिविधियों में शामिल रहती है, वह अमेरिकी प्रतिबंधों के दायरे में आ जाएगी।
भारत के लिए बड़ा खतरा : –
अमेरिका द्वारा छूट खत्म करने से भारत को आर्थिक और रणनीतिक दोनों स्तरों पर नुकसान हो सकता है:
भारत द्वारा किये गए निवेश का जोखिम बढ़ गया है, जिससे अरबों रुपये डूबने का खतरा है।
भारतीय कंपनियों पर अमेरिकी वित्तीय प्रतिबंध लग सकते हैं, जिससे उनके वैश्विक कारोबार पर भी असर पड़ेगा।
भारत का अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक व्यापार, रणनीतिक पहुंच कमज़ोर हो सकती है।
यह कदम क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान के बढ़ते प्रभाव के मुकाबले भारत की क्षमता को कमजोर कर सकता है।
अमेरिकी नीति और भविष्य की चुनौतियाँ : –
यह अमेरिकी फैसला राष्ट्रपति ट्रंप की “मैक्सिमम प्रेशर” नीति का हिस्सा है, जिससे ईरान को आर्थिक रूप से अलग-थलग किया जा रहा है। भारत अब अमेरिका, ईरान, और क्षेत्रीय साझेदारों के बीच संतुलन बनाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। नई दिल्ली को अपने निवेश की सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की जटिलता और भू-राजनीतिक रिश्तों का बहुत संतुलित ढंग से प्रबंधन करना होगा।
अमेरिका द्वारा चाबहार पोर्ट पर प्रतिबंधों की छूट रद्द करना भारत के लिए बड़ा झटका है। इससे भारत के आर्थिक निवेश, क्षेत्रीय हितों और रणनीतिक योजनाओं पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। आगे की राह मुश्किल और चुनौतीपूर्ण रहेगी।
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